भारत में ‘ज़िद करो दुनिया बदलो’ का नारा देने वाले डीबी कॉर्प को लगातार झटके लग रहे हैं, किंतु भास्कर प्रबंधन है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। दैनिक भास्कर ने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर मांगने पर अपने प्रिंसिपल करेस्पॅान्डेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह का मुम्बई से सीकर (राजस्थान) ट्रांसफर कर दिया। धर्मेन्द्र प्रताप सिंह अदालत की शरण में गए और इंडस्ट्रियल कोर्ट ने इस ट्रांसफर पर रोक लगा दी। इसके बाद अब भास्कर की सहायक महाप्रबंधक (कार्मिक) अक्षता करंगुटकर ने डी बी कॉर्प के मुम्बई के माहिम स्थित कार्यालय में कार्यरत महिला रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण का सोलापुर में ट्रांसफर कर दिया।
लतिका ने भी मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर तथा प्रमोशन की मांग को लेकर 17(1) के तहत कामगार आयुक्त कार्यालय में रिकवरी क्लेम लगाया हुआ है। इस बात का पता जैसे ही भास्कर प्रबंधन को चला कि लतिका ने रिकवरी क्लेम लगाया है, भास्कर प्रबंधन ने उन्हें कुछ ले-दे कर क्लेम वापस लेने को कहा। जब लतिका ने इनकार कर दिया तो अक्षता करंगुटकर ने उन्हें सीधे तौर पर धमकी दी कि ‘मैं तुम्हारा करियर बर्बाद कर दूंगी!’ यहां बताना आवश्यक है कि लतिका ने इसकी लिखित शिकायत कामगार विभाग में भी की है। यह बात और है कि लतिका के फैसले से गुस्साई अक्षता करंगुटकर ने उसी दिन उनका ट्रांसफर सोलापुर में कर दिया और घर पर ट्रांसफर लेटर भेज दिया।
यही नहीं, अगले दिन से लतिका चव्हाण के डीबी कॅार्प (माहिम) दफ्तर में प्रवेश पर रोक तक लगा दी गई! प्रबंधन के इस मनमाने रवैये से क्षुब्ध लतिका ने मजीठिया वेज बोर्ड हेतु पत्रकारों के पक्ष में लड़ाई लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उमेश शर्मा से बात की। तत्पश्चात उन्हीं की सलाह पर इंडस्ट्रियल कोर्ट में डीबी कॉर्प के एमडी सुधीर अग्रवाल और सहायक महाप्रबंधक (कार्मिक) अक्षता करंगुटकर के साथ-साथ डी बी कॉर्प को भी पार्टी बनाते हुए एक केस फ़ाइल कर दिया।
इस मामले में लतिका चव्हाण का इंडस्ट्रियल कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखा युवा एडवोकेट महेश शुक्ला ने। मामले की सुनवाई न्यायाधीश सूर्यवंशी जी ने किया। न्यायाधीश ने लतिका आत्माराम चव्हाण के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके ट्रांसफर पर रोक लगा दी। इस आदेश की जानकारी मिलते ही भास्कर कर्मियों में जहां एक बार फिर ख़ुशी फैल गई, वहीं भास्कर प्रबंधन इस दोहरे झटके से सकते में है! वैसे आपको बता दूं कि भास्कर प्रबंधन ने एक साल पहले भी अपने पत्रकार इंद्र कुमार जैन का ट्रांसफर किया था, मगर तब भी उसे मुंहकी खानी पड़ी थी। फिर 10 अक्टूबर को धर्मेन्द्र प्रताप सिंह के ट्रांसफर और उस पर लगी अदालती रोक के बाद तो भास्कर की पूरे भारत में थू-थू हो रही है!
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
मोबाइल: 09322411335
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October 13, 2016 at 8:09 pm
Shashikant ji, yahan aapney 17(1) ka zikra kiya hai, lekin SC ke 04 Oct. ke Order me to 17(2) ka zikra hai..! Jabki maine suna tha ki SC me Colin Sab ne 17(1) par charcha kari thi. Ab ye 17(2) kahan se aa gaya..! Iske tahat to workers ko kai saal Labour Court/ High Court ka chakkar lagaana padega. Aur yadi baat wahan bhi nahi bani, to fir se Supreme Court ka Chakkar. Bahut se log to yah kah rahey hain ki Order me 17(2) Aapkey (Bhadas ke) wakeel Umesh Sharma ji ka haath hai…!! Kya ye sahi hai aur kitna sahi hai…. thoda khul kar batayen, taki mujhe aur Bhadas4media ke pathkon ko kuchh tasaffi ho.
Regards