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उत्तर प्रदेश

लव जेहाद मुद्दे को हवा दे कर आगे बढ़ गई भाजपा

उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का दो दिवसीय मथुरा मंथन खत्म हो गया है। ऐसा लगता है कि लोकसभा की शानदार जीत से लबरेज भाजपा के रणनीतिकारों ने तय कर लिया है कि वह साम्प्रदायिकता के आरोपों से डर कर संवेदलशील मुद्दों पर चुप बैठने वाली नहीं हैं। बात ‘लव जेहाद’ की हो रही है। बहुसंख्यक समुदाय की लड़कियों को जिस तरह से बहला-फुसला और भ्रमित करके एक वर्ग विशेष के लड़के सामाजिक ताने-बाने को तार-तार कर रहे थे, उसके खिलाफ प्रतिक्रिया तो होना ही थी। निश्चित ही इस प्रतिक्रिया के पीछे केन्द्र में सत्ता परिवर्तन की भी मुख्य भूमिका है।

<p>उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का दो दिवसीय मथुरा मंथन खत्म हो गया है। ऐसा लगता है कि लोकसभा की शानदार जीत से लबरेज भाजपा के रणनीतिकारों ने तय कर लिया है कि वह साम्प्रदायिकता के आरोपों से डर कर संवेदलशील मुद्दों पर चुप बैठने वाली नहीं हैं। बात ‘लव जेहाद’ की हो रही है। बहुसंख्यक समुदाय की लड़कियों को जिस तरह से बहला-फुसला और भ्रमित करके एक वर्ग विशेष के लड़के सामाजिक ताने-बाने को तार-तार कर रहे थे, उसके खिलाफ प्रतिक्रिया तो होना ही थी। निश्चित ही इस प्रतिक्रिया के पीछे केन्द्र में सत्ता परिवर्तन की भी मुख्य भूमिका है।</p>

उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का दो दिवसीय मथुरा मंथन खत्म हो गया है। ऐसा लगता है कि लोकसभा की शानदार जीत से लबरेज भाजपा के रणनीतिकारों ने तय कर लिया है कि वह साम्प्रदायिकता के आरोपों से डर कर संवेदलशील मुद्दों पर चुप बैठने वाली नहीं हैं। बात ‘लव जेहाद’ की हो रही है। बहुसंख्यक समुदाय की लड़कियों को जिस तरह से बहला-फुसला और भ्रमित करके एक वर्ग विशेष के लड़के सामाजिक ताने-बाने को तार-तार कर रहे थे, उसके खिलाफ प्रतिक्रिया तो होना ही थी। निश्चित ही इस प्रतिक्रिया के पीछे केन्द्र में सत्ता परिवर्तन की भी मुख्य भूमिका है।

अगर केन्द्र में राजग सरकार न होती तो शायद आज भी इसके खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाने की हिम्मत भाजपा या उसके अनुषांगिक संगठन नहीं कर पाते। यह खेल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वृहत तो पूरे प्रदेश में कहीं कम तो कहीं ज्यादा चल रहा है। भले ही भाजपा की इस मुहिम के खिलाफ तमाम राजनैतिक दल एकजुट हो गये हों लेकिन सच्चाई को झुठलाया और अनदेखा नहीं किया जा सकता है। यह सही है कि हमारी न्यायपालिका, कार्यपालिका सहित तमाम समाजसेवी संगठन समय-समय पर अंतरजातीय विवाह की वकालत करते रहते हैं, लेकिन इसका स्वरूप वैसा नहीं होना चाहिए जैसा कई मामलों में देखने को मिलता है।

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अगर कोई असलम अपने आप को अंकित बता कर और हाथ में कलावा बांध के किसी कमला से प्यार का नाटक करता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। अक्सर ऐसे मामलों का जब खुलासा होता है तो पीड़ित युवती के पास पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता है। दवाब के चलते ऐसी युवतियों को न चाहते हुए भी जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन तक करना पड़ जाता है। अगर असलम बिना अपना नाम बदले कमला के दिल में जगह बना लेता है तो शायद किसी को एतराज नहीं होता, लेकिन संयोग से ऐसा नहीं हो रहा है। इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं। जिसके चलते समाज में तनाव बढ़ रहा है।

लव जेहाद तमाम साम्प्रदायिक दंगों की वजह भी बन रहा है। धर्मांतरण और बलात्कार की घटनाओं में भी इसके चलते बाढ़ आ गई है। सामाजिक समरस्ता के लिये जरूरी है कि लव जेहाद के बारे में स्थिति पूरी तरह से साफ हो, मुस्लिम धर्मगुरूओं को भी इस मसले पर स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। इसे आरएसएस का एजेंडा कहकर हाशिये पर नहीं डाला जा सकता है, क्योंकि संघ से पूर्व न्यायपालिका भी इस समस्या को संज्ञान में लेकर सख्त आदेश दे चुकी है।

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वहीं भाजपा विरोधी भी लव जेहाद जैसी सामाजिक कुरीति को पूरी तरह से खारिज नहीं कर पा रहे हैं। अगर ऐसा न होता तो लव जेहाद के सवाल पर अपना रूख रखने की बजाये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यह कहकर हल्की टिप्पणी नहीं करते कि मथुरा-वृंदावन, जहां से इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। वहां की सांसद(हेमामालिनी) का ‘धर्मात्मा’ फिल्म का गाना(तेरे चेहरे में वो जादू है) आपने सुना है। क्या इस गाने से मुद्दा(लव जेहाद) रूकेगा?

एक और खास बात। देखने में यह भी आता है कि जब कोई हिंदू युवती किसी मुस्लिम युवक के साथ प्यार करती है तब तो मुस्लिम समाज में कोई बघेड़ा खड़ा नहीं होता है। पूरा परिवार युवती को अपना लेता है, लेकिन जब एक मुस्लिम लड़की किसी गैर बिरादरी के लड़के से प्यार करती है तो उसे स्वीकारना तो दूर अक्सर ऐसे हालातों में लड़की के घर वालों द्वारा खून की नदियां तक बहा दी जाती है। एक वर्ग विशेष में लड़कों के लिये एक और लड़कियों के लिये दूसरी सोच मुसीबत का सबब बन रहा है।

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भले लव जेहाद को लेकर कुछ भी तर्क दिये जायें लेकिन सच्चाई यही है कि ‘लव जेहाद एक गंभीर और सुनियोजित समस्या तथा साजिश है। इससे हर हाल में तमाम सरकारों को निपटना ही होगा। ऐसे मामलों पर राज्य सरकारें समय रहते सख्ती करती और पुलिस उचित कदम उठाती तो किसी भी दल को धर्मांतरण और बलात्कार की घिनौनी हरकतों को मुद्दा बनाने का मौका नहीं मिलता, लेकिन ऐसा कभी हो नहीं पाया। तुष्टिकरण के चलते तमाम गैर भाजपाई सरकारों की चुप्पी लव जेहाद को खाद्य-पानी देती रहीं।

भले ही हाय-तौबा के बाद उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने कार्यसमिति की बैठक में लव जेहाद को लेकर कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया। ऐसा लगता है कि मथुराajaykumarmaya1 में जुटे भारतीय जनता पार्टी के नेता लव जेहाद के मुद्दे को हवा देने के बाद आगे निकल गये हों। भाजपा की प्रदेश इकाई ने कार्यसमिति की बैठक के बाद राजनैतिक प्रस्ताव में इस मुद्दे को स्थान देकर यह सिद्ध कर दिया कि वह किसी विवाद में नहीं फंसना चाहते हैं। भाजपा नेताओं ने समाज के ऊपर इस बात की जिम्मेदारी सौंप दी है। अब उसे ही प्रतिक्रिया देनी होगी।

 

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लेखक अजय कुमार लखनऊ में पदस्थ हैं और यूपी के वरिष्ठ पत्रकार हैं। कई अखबारों और पत्रिकाओं में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं। अजय कुमार वर्तमान में ‘चौथी दुनिया’ और ‘प्रभा साक्षी’ से संबद्ध हैं।

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0 Comments

  1. सिकंदर हयात

    August 25, 2014 at 4:17 pm

    में अजय कुमार जी से सहमत हु की कुछ एक केसिस में धर्मांतरण की सनक में कुछ सनकी खब्ती लोग जिनकी जेबो में अरब देशो का माल भरा हो सकता हे वो किसी मुर्ख लड़के को किसी मुर्ख या भोली या भावुक या दहेज़ की मांगो से परेशान लड़की को फंसाने को कह भी सकते हे या कोई न भी कहे तो भी हमारे यहाँ कुछ लोग धरमनतरण के प्रति दीवानगी रखते हे में खुद देख चूका हु और विवाह इस विषय में सबसे पहले २००० में सहारनपुर के एक लोकल अखबार में पढ़ा था असल में अधिकांश बड़े छोटे मुस्लिम लेखक पत्रकार ब्लॉगर ( सलीम अख्तर सिद्द्की सर और अफज़ल भाई जैसे अपवादों को छोड़ कर ) मुस्लिम कटटरपन्तियो की गतिविधयों पर शतुर्मुर्गी रवैया रखते हे वो सोचते हे की अगर हमने इस बारे में बात की तो भाजपा को फायदा होगा मगर सच ये हे की ये शतुर्मुर्गी रवैया जारी रहा तो भाजपा संघ शर्तिया फायदा में रहेंगे

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