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सुख-दुख

माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय रीवा परिसर से 7 गेस्ट फैकल्टी को निकाला

महज 9 हजार रुपये प्रति पीरियड में ले रहे थे कक्षाएं

रीवा। एक ओर शिवराज सरकार कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों को न निकाले जाने और 50,000 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणायें कर रही है। वहीं प्रदेश में एक ऐसा उच्च शिक्षा संस्थान भी है। जिसने 1-2 नहीं बल्कि 7 अतिथि शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। खास बात यह है कि ये अतिथि शिक्षक महज 9 हजार रुपये प्रतिमाह में एक पीरियड पढ़ा रहे थे। यह सैलरी उस संस्थान के सिक्योरिटी गार्ड से भी कम है।

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हम बात कर रहे हैं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के रीवा परिसर की। जिसे पिछली बार जनसंपर्क मंत्री रहते राजेन्द्र शुक्ल रीवा लेकर आये थे। रीवा में बने इस शानदार परिसर का मुख्यालय भोपाल में है। संस्थान को भव्य परिसर तो मिला लेकिन खराब कार्यसंस्कृति और शिक्षा के गिरते स्तर ने इसकी गरिमा को तार-तार कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि बगैर किसी सूचना के 7 गेस्ट फैकल्टीज जिनमें अध्यापक हर्ष नारायण तिवारी, शुभम सक्सेना, मुस्तकीम खान, विनीता मुकुल, अमित मिश्रा, डॉ. आशुतोष वर्मा और संदीप दुबे शामिल हैं, इन्हें बगैर किसी पूर्व सूचना के बाहर कर दिया गया।

इनमें 5 फैकल्टीज रीवा के मूल निवासी हैं । इन सभी के पास अध्यापन के लिए पर्याप्त शैक्षणिक अर्हता व वर्क एक्सपीरियंस है। कैंपस में सिर्फ 2 पीएचडी अध्यापक थे उनमें से एक को निकाल देना और मीडिया में कार्यरत व लंबे अनुभव वाले शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखा देना एमसीयू रीवा में चल रही घोर मनमानी की एक बानगी है। इन्हें ऐसे समय में निकाला गया जब अतिथि शिक्षकों के लिए लगातार घोषणाएं करने वाली शिवराज सरकार चुनावी समर में भी है।

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रीवा परिसर के पूर्व छात्रों ने बताया कि नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को ज्यादा पीरियड आवंटित करने के लिए एकेडमिक इंचार्ज और वेस्ट यूपी से आए एक गेस्ट फैकल्टी ने इन शिक्षकों को निकलवाया।

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1 Comment

1 Comment

  1. amit mishra

    October 16, 2023 at 6:44 pm

    क्या आपके पास किसी प्रकार का पत्र है जिसमे इन 7 लोगों का हस्ताक्षर हो या कोई दस्तावेज की बिना सूचना के निकाला गया हो.मैं अमित मिश्रा पिछले 6 वर्षों से रीवा परिसर से जुड़ा रहा हूँ लेकिन कोई नियमित शिक्षक नहीं रहा हूँ इसलिए मुझे नहीं बुलाया गया या हटाया गया यह गलत है.जब मुझे कोई आपत्ति ही नहीं है और न मैंने किसी से कहा है न कहीं मेरा हस्ताक्षर है मतलब किसी पत्र में तो मेरा नाम इस तरह से न लिखा जाये. विवि.किसे बुला रहा किसे नहीं बुला रहा यह उनका विषय है और मै एक संस्थान चला रहा हूँ ऐसे में बिना तथ्य नाम न उछाला जाये.

    अमित मिश्रा
    रीवा

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