हिन्दुस्तान अखबार के वरिष्ठ फोटोग्राफर मंसूर आलम के आकस्मिक निधन पर पत्रकारों और छायाकारों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। वे पैर में संक्रमण होने के चलते वाराणसी के एपेक्स हास्पिटल में भर्ती थे, जहाँ उन्हें बचाया नहीं जा सका। लोकप्रिय व्यक्तित्व के धनी मृदुभाषी फोटो पत्रकार मंसूर आलम के असामयिक निधन से वाराणसी के फोटो पत्रकारिता के मजबूत कड़ी के जाने से पूरा पत्रकारिता जगत स्तब्ध है।
मंसूर आलम के अचानक निधन से पत्रकारिता जगत को गहरा सदमा लगा है, खासकर फोटो पत्रकारिता से जुड़े साथियों को यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मंसूर अब नहीं रहे। दुःख की इस घड़ी में वाराणसी प्रेस क्लब व क्लाउन टाइम्स ने स्थानीय प्रहलादका भवन, कर्णघण्टा स्थित प्रेस भवन में तत्काल शोक सभा बुलाकर सभी ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए अपने साथी को याद किया। इस मौके पर लोगों ने फोटो एडीटर महेश मंसूर आलम को याद करते हुए कहा कि वे एक अच्छे फोटो पत्रकार होने के साथ ही अत्यन्त मृदु भाषी थे।
क्लाउन टाइम्स के प्रधान संपादक और वरिष्ठ फोटो पत्रकार अशोक कुमार मिश्र क्लाउन ने कहा कि मंसूर आलम ने अपने करियर की शुरुआत वाराणसी के सबसे पुराने आज अखबार में खेल फोटोग्राफी से किया। समाचार पत्रों के शोषण के चलते कुछ ही समय में ही आज छोड़कर दैनिक जागरण में फोटोग्राफी शुरू कर दिया। इसी बीच हिन्दुस्तान अखबार का प्रकाशन शुरू हुआ तो वे इसी के हो लिए और आज तक बने रहे। मंसूर के साथ लगभग दो दशक से अधिक समय तक प्रेस फोटोग्राफी के दौरार अक्सर मुलाकात होने पर सहज भाव से मिलते रहे। पैर की तकलीफ तो काफी समय से रही किन्तु इधर उनकी समस्या बढ़ती गई और काम का बोझ उन्होंने सहझता के साथ पूरी ईमानदारी से निभाया। वे इधर काफी दिनों से अपनी तबियत खराब होने के बावजूद कभी प्रेस फोग्राफी काम करना नहीं छोड़ा।
इलेक्ट्रानिक मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह ने मंसूर को याद करते हुए कहा कि वे अपनी फोटोग्राफी के माध्यम से अक्सर तस्वीरों में जान फूँक देते थे। वाराणसी प्रेस क्लब के संमानित पदाधिकारी व वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ भट्टाचार्य ने मंसूर के असामयिक निधन पर कहा कि कबीर के सात सौ साल पत्रकारिता में कबीर थे मंसूर। जब वे नार्दन इण्डिया पत्रिका में बतौर प्रेस फोग्राफी का कार्य कर रहे थे, उसी दौरान उन्होंने एक स्कूटर खरीदा और सीधे उसे लेकर संकट मोचन मंदिर गए, बाकायदा प्रसाद चढ़ाकर सभी को कार्यालय में खिलाया। मंसूर का यह व्यवहार किसी के द्वारा पढ़ाया, लिखाया कोई डायलाग नहीं था। मंसूर पप्पू पंण्डित हुआ करते थे। परन्तु मंसूर का अचानक चला जाना “दिन रात जले सम्मा का बुझ जाना” जैसा है।
प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष गिरीश दूबे, मंत्री संजय मिश्र, पीआरओ पूजा कपूर, राजू श्रिवास्तव, नम्रता पाण्डेय आदि लोगों ने फोटो पत्रकार मंसूर आलम के अचानक निधन पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त किया। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी ने कहा कि मंसूर फोटो पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखते थे। हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों को सहन करने की शक्ती दे। वाराणसी प्रेस क्लब के अध्यक्ष महेश खन्ना की अध्यक्षता में बुलाई गई शोक सभा में उपस्थित प्रेस छायाकारों एवं पत्रकारों ने दो मिनट मौन रख कर मृत आत्मा की शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना किया।