प्रेस फोटोग्राफर मंसूर आलम के निधन पर वाराणसी प्रेस क्लब में हुई शोक सभा

हिन्दुस्तान अखबार के वरिष्ठ फोटोग्राफर मंसूर आलम के आकस्मिक निधन पर पत्रकारों और छायाकारों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। वे पैर में संक्रमण होने के चलते वाराणसी के एपेक्स हास्पिटल में भर्ती थे, जहाँ उन्हें बचाया नहीं जा सका। लोकप्रिय व्यक्तित्व के धनी मृदुभाषी फोटो पत्रकार मंसूर आलम के असामयिक निधन से वाराणसी के फोटो पत्रकारिता के मजबूत कड़ी के जाने से पूरा पत्रकारिता जगत स्तब्ध है।

हिंदुस्तान वाराणसी के ‘हत्यारा संपादक’ ने एक और जान ली!

दोस्तों,

मैं जो कहने जा रहा हूं, वह कु्द्द लोगों को नागवार लग सकता है। लेकिन यह सत्य है कि हिन्दुस्तान वाराणसी में स्थानीय सम्पादक की प्रताड़ना ने एक और पत्रकार साथी की जान लेने में अहम भूमिका निभाई। कोई शक नहीं कि मंसूर माई अस्वस्थ चल रहे थे, फिर भी यथासम्भव काम कर रहे थे।

जिस फोटोजर्नलिस्ट ने बीएचयू को जिंदगी भर कवर किया, उसे अंतिम समय वहीं बेड नहीं मिला

नहीं रहे मंसूर चच्चा… हम सबके बीच नही रहे काशी के वरिष्ठ छायाकार मंसूर आलम जी। उन्होंने कइयों को फोटोग्राफी सिखाई, फीचर फोटो पर रिपोर्टरों को स्पेशल स्टोरी लिखने के बारे में बताया। हमेशा हंसता चेहरा। उम्र की कोई बंदिश नहीं। जहां मिले खुल कर मिले। खुल कर हंसा और हसाया। जिंदगी में किसी से कुछ बोला नहीं। संकोची टाइप के प्राणी थे। प्रोग्राम में पहुंचे। धीरे से काम किया। निकल लिए। अगला तब जान पाता था जब हिंदुस्तान में अगले दिन फोटो छपती थी।

स्वर्गीय मंसूर आलम

वाराणसी में हिन्दुस्तान अखबार के वरिष्ठ छायाकार मंसूर आलम का निधन

वाराणसी से एक दुखद खबर आ रही है। यहां हिंदुस्तान अखबार के वरिष्ठ फोटोग्राफर मंसूर आलम का निधन आज सोमवार की सुबह हो गया। वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि उन्हें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुन्दर लाल अस्पताल में भर्ती कराया गया। रविवार को मंसूर आलम की हालात एकदम से खराब हो गयी और उन्हें सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में ले जाने की जरूरत पड़ गयी लेकिन सघन चिकित्सा कक्ष उस समय खाली नहीं था और अंततः सोमवार की सुबह मंसूर आलम ने दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।