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सियासत

ये मीडिया ख़बर दिखाता है या अपराधियों को सावधान करता है

…दाऊद के दिन पूरे … अब नहीं बच पाएगा डान और उसकी डी. कंपनी , खुफिया एजेंसियों की है पैनी नजर… , रिश्तेदारों पर भी रखी जा रही नजर…। एक राष्ट्रीय चैनल पर दिखाया जा रहा इस आशय का विशेष समाचार पता नहीं क्यों मुझे अच्छा नहीं लगा। एक तरह से यह बचकानी हरकत थी, जिससे कुख्यात डी कंपनी को बचने का मौका मिल सकता था। सवाल एक अंतर्राष्ट्रीय अपराधी का था। मैंने सोचा यदि सचमुच देश की खुफिया एजेंसियां दाऊद को पकड़ने की कोशिश कर भी रही हो, तो क्या इस तरह की खबरों का प्रसारण उनका खेल नहीं बिगाड़ देगा। बेशक इस समाचार को दिखाए जाने से कुछ घंटे पहले देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अक्लमंद को इशाऱा काफी है… जैसा कुछ बयान दिया था। जिससे लगने लगा कि शायद सरकार डी कंपनी के काफी करीब पहुंच चुकी है।

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…दाऊद के दिन पूरे … अब नहीं बच पाएगा डान और उसकी डी. कंपनी , खुफिया एजेंसियों की है पैनी नजर… , रिश्तेदारों पर भी रखी जा रही नजर…। एक राष्ट्रीय चैनल पर दिखाया जा रहा इस आशय का विशेष समाचार पता नहीं क्यों मुझे अच्छा नहीं लगा। एक तरह से यह बचकानी हरकत थी, जिससे कुख्यात डी कंपनी को बचने का मौका मिल सकता था। सवाल एक अंतर्राष्ट्रीय अपराधी का था। मैंने सोचा यदि सचमुच देश की खुफिया एजेंसियां दाऊद को पकड़ने की कोशिश कर भी रही हो, तो क्या इस तरह की खबरों का प्रसारण उनका खेल नहीं बिगाड़ देगा। बेशक इस समाचार को दिखाए जाने से कुछ घंटे पहले देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अक्लमंद को इशाऱा काफी है… जैसा कुछ बयान दिया था। जिससे लगने लगा कि शायद सरकार डी कंपनी के काफी करीब पहुंच चुकी है।

ऐसे दावे तो पहले भी हुए हैं। लेकिन दाऊद बड़े आराम से पाकिस्तान में पूरे कुनबे के साथ ऐश की जिंदगी बिताता रहा। बेटे-बेटियों की शादियां करवाता रहा। बालीवुड में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अपनी कथित आपराधिक जिंदगी का महिमामंडन करवाता रहा। लेकिन सरकार उसे पकड़ना तो दूर कभी ऐसी कोशिश करती भी नजर नहीं आई। सुना है कि यूपीए-2 सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में दाऊद को पकड़ कर जनता में अपनी छवि सुधारना चाहती थी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे अपना बड़बोलापन जरूर दिखाते रहे। शिंदे के बड़बोलेपन के दौरान भी मुझे लगा था कि यदि खुफिया एजेंसियां सचमुच उसे पकड़ने की कोशिश करे भी तो ऐसे बयान उनकी कोशिशों पर पानी फेर देंगे।

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दाऊद जैसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधी के मामले में सरकार ही नहीं मीडिया को भी काफी सूझ-बूझ का परिचय देना चाहिए। क्योंकि एक सामान्य अपराधी को भी यदि भनक लग जाए कि उसके खिलाफ कहीं कुछ हो रहा है तो वह तुरंत अपने बिल में घुसने में देर नहीं लगाता। दाऊद तो फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का अपराधी और मानवता का दुश्मन है। जिसे पाकिस्तान समेत कई देशों का समर्थन हासिल है। साधारणतः पेशेवर अपराधियों को सिर्फ अपनी सुरक्षा और स्वार्थ से मतलब होता है। लेकिन दाऊद ऐसा अपराधी है जिसने उस देश को लहुलूहान करने से भी गुरेज नहीं किया, जहां उसने जन्म लिया। देशद्रोहियों के साथ मिल कर अपने देश के बेकसूर लोगों की जानें लेने में वह पिछले दो दशकों से बढ़- चढ़ कर हिस्सा लेता आ रहा है।

यह भी समझना होगा कि दाऊद को एक  राष्ट्र का संरक्षण हासिल है। दुनिया के कई देशों में उसके शुभचिंतक है। अब बुढ़ापे में उसकी गिरफ्तारी भी रपट पड़े तो हर-हर गंगे… वाली कहावत को ही चरितार्थ होगी, फिर भी उस पर शिकंजा कसने से जुड़ी गतिविधियों के मामले में हर किसी  को विवेक का परिचय देना होगा। देश में श्रेय लेने की भोंडी होड़ ने इस मानवता के दुश्मन को कानून के शिकंजे से बचने में पहले भी सहायता प्रदान की है। लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि समाज का हर वर्ग अब इससे बचने का संकल्प लेगा।

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​लेखक तारकेश कुमार ओझा दैनिक जागरण से जुड़े हैं। संपर्कः 09434453934

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