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साहित्य

हिंदी सम्मेलन और भोपाल के अखबारों का मोदीकरण शर्मनाक है : ओम थानवी

Om Thanvi : भोपाल पहुँच कर देखा – हवाई अड्डे से शहर तक चप्पे-चप्पे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तसवीरों वाले विशाल पोस्टर लगे हैं, खम्भों पर भी मोदीजी के पोस्टर हैं। इनकी तादाद सैकड़ों में होगी। यह विश्व हिंदी सम्मलेन हो रहा है या भाजपा का कोई अधिवेशन? अधिकांश पोस्टर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से हैं – शहर में मोदीजी के स्वागत वाले। अनेक में चौहान की अपनी छवि भी अंकित है।

Om Thanvi : भोपाल पहुँच कर देखा – हवाई अड्डे से शहर तक चप्पे-चप्पे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तसवीरों वाले विशाल पोस्टर लगे हैं, खम्भों पर भी मोदीजी के पोस्टर हैं। इनकी तादाद सैकड़ों में होगी। यह विश्व हिंदी सम्मलेन हो रहा है या भाजपा का कोई अधिवेशन? अधिकांश पोस्टर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से हैं – शहर में मोदीजी के स्वागत वाले। अनेक में चौहान की अपनी छवि भी अंकित है।

आयोजन की धुरी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक भी पोस्टर में मौजूद नहीं हैं। उनका स्वागत क्यों नहीं? दरअसल स्वागत होना चाहिए संभागी हिंदी सेवियों का, जिनमें अनेक विदेश से भी आए हैं। उनके सम्मान की इबारत ही दुर्लभ है, कम से कम अभी जो शृंखला नमूदार हुई उनमें तो। खम्भों पर तुलसी, कबीर, प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी आदि अनेकानेक विभूतियों के पोस्टर जरूर हैं, लेकिन एक भी विभूति का पोस्टर नरेंद्र मोदी के कद का नहीं है। हिंदी सम्मलेन के नाम पर हिंदी की विभूतियों का इससे बड़ा अपमान क्या होगा? मैं खुले दिमाग से सम्मलेन में आया हूँ, पर राज्य सरकार द्वारा हिंदी सम्मेलन का यह मोदीकरण शर्मनाक है।

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वरिष्ठ कवि राजेश जोशी ने बहुत मार्के की बात कही कि लेखकों की बात करते वक्त उनके खाने-पीने की बात करना लेखकों के प्रति संघ-भाजपा के रवैये का पता देता है। जनरल वीके सिंह की टिप्पणी के संदर्भ में उन्होंने यहाँ (भोपाल में) कहा कि लेखकों के मामले में उनका लेखन-कौशल और विचार महत्त्व रखते हैं – जैसे सैनिकों की बात करते वक्त हम उनके शौर्य और साहस की बात करते हैं, उन्हें कैंटीन से मिलने वाली रियायती शराब या छावनियों के जश्नों की नहीं। बिलकुल दुरुस्त।

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बिहार चुनाव मोदीजी के दिलो-दिमाग पर इस कदर हावी है कि हिंदी सम्मेलन की तकरीर में भी बिहार की गरीबी का जिक्र ले आए; पहली दफा किसी प्रधानमंत्री के मुंह से किसी बहाने फणीश्वर नाथ रेणु का नाम सुनने को मिला!

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“गुजरात में लोग झगड़े में हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं, गुजराती में तूतू-मैंमैं का वह मजा नहीं आता जो हिंदी में आता है!” – हिंदी सम्मलेन में प्रधानमंत्री के श्रीमुख से टीवी पर आपने भी सुना, हमने भी!

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भोपाल के अखबार (दिल्ली के मालूम नहीं) भी शिवराज सिंह चौहान ने मोदी-स्तुति से भर दिए हैं – और तो और, हिंदी की रेलमपेल के बीच ओआरओपी की मांग पूरी करने के लिए भी धन्यवाद मढ़वा दिया है: “वादा पूरा, सम्मान पूरा”! व्यापम की दाढ़ी का तिनका बहुत बाहर तक निकला दिखाई दे रहा है, शिवराजजी!

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टीवी पर देखा शिवराज सिंह ने वाकई मजा कर दिया, बोले – एक महात्मा गांधी हिंदी के लिए गुजरात से मध्य प्रदेश आए थे, दूसरे नरेंद्र मोदी हिंदी के लिए यहाँ आए हैं हैं, वे भी गुजरात से हैं … गुजरात से मध्य प्रदेश का गहरा संबंध है!

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वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के फेसबुक वॉल से.


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परम आदरणीय जनरल वीके सिंहजी, आप आचमनकर्ता हिन्दी प्रेमियों को आखिर बुलाते ही क्यों हैं?

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