इंदौर। हाई कोर्ट ने राजगढ़ (ब्यावरा) के एक पत्रकार पर वहां के प्रशासन द्वारा लगाई गई रासुका समाप्त करते हुए सरकार पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाने के आदेश जारी किए हैं। हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि इस तरह पत्रकारों को झूठे आरोपों में फंसाकर प्रताड़ित किया जाएगा तो वह समाज के सामने अच्छी खबर कैसे ला पाएगा। प्रेस की स्वतंत्रता को इस तरह दबाना स्वीकार नहीं किया जा सकता। पत्रकार के साथ इस तरह की हरकत निंदनीय है।
पत्रकार अनूप सक्सेना पर राजगढ़ प्रशासन ने विगत 14 अप्रैल को रासुका लगा दी थी। सक्सेना के वकील अभिषेक तुगनावत के मुताबिक अनूप ने तत्कालीन कलेक्टर एमबी ओझा की कुछ मामलों में अपर सचिव और लोकायुक्त से शिकायत की थी। इन मामलों की खबर भी प्रकाशित की थी।
इसके बाद अनूप के खिलाफ धारा 354 व अन्य में मामला दर्ज करवा दिया गया और सीधे रासुका लगाकर राजगढ़ गुना, शाजापुर, आगर भोपाल सीहोर, विदिशा जिले में नहीं मिलने का आदेश जारी कर दिया। अनूप ने इस आदेश को भोपाल संभागायुक्त के यहां चुनौती दी, लेकिन वहां भी सुनवाई टलती रही। इस पर अनूप ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई।
हाई कोर्ट ने संभागायुक्त को 15 दिन में सुनवाई करने के निर्देश दिए। संभागायुक्त ने अनूप का आवेदन खारिज कर दिया। अनूप ने रासुका को हाई कोर्ट में चुनौती दी। सोमवार को जस्टिस एससी शर्मा ने अनूप की रासुका समाप्त कर सरकार पर 10 हजार का हर्जाना लगाया।
manoj thakur
September 24, 2014 at 1:57 pm
😆
rajesh
September 25, 2014 at 1:12 pm
sahi kaha aapne
Gopalji Journalist
August 9, 2015 at 8:48 am
ऐसे ही चौथे स्तम्भ के कुछ प्रहरियों के कारण पत्रकारिता का जीर्ण-शीर्ण लेकिन किसी हद तक अस्तित्व क़ायम है और भ्रष्ट ब्यूरोक्रेट्स का कुरूप चेहरा बेपर्दा हो जाता है।
इंदौर हाई कोर्ट को कोटि-कोटि धन्यवाद।