आखिर वृन्दावन में नास्तिकता को आस्था ने घुटने टेकने को मजबूर कर ही दिया। नास्तिक सम्मेलन निरस्त कर दिया गया है। नास्तिक सम्मेलन आयोजन को रोकने लिये सभी संत एवं प्रबुद्धजन एकत्रित हुये तो प्रशासन ने भी किसी अनहोनी की आशंका के चलते इसकी अनुमति नहीं दी। संतों समाज का प्रतिनिधिमण्डल बालेन्दु स्वामी से मिला और विरोध प्रकट किया। बालेन्दु स्वामी ने ना केवल माफी मांगी है बल्कि भविष्य में ऐसा कोई आयोजन नहीं करने की बात कही जिससे लोगों की भावना और आस्था को ठेस पहुंचे।
सम्मेलन में भाग लेने आये लोगों को वापस भेजा जा रहा है। गौरतलब है कि शुक्रवार को नास्तिक सम्मेलन के सम्बंध में प्रेस कांफ्रेंस करते हुये स्वामी बालेन्दु ने ईश्वरीय सत्ता और धर्म को पाखण्ड बताते हुये संत एवं धर्मगुरूओं को खून चूसने वाला कहा था। वहीं उन्होंने सभी धार्मिक ग्रन्थों को मनोरंजक कहानियों का संग्रह करार दिया था। उनके धर्म विरोधी बयानों और धर्मग्रन्थों पर विवादित टिप्पणी से धर्मभूमि वृन्दावन में नास्तिक सम्मेलन को लेकर लोगों में भंयकर आक्रोश उत्पन्न हो गया था।
आयोजन के विरोध में संत समाज के प्रतिनिधि मण्डल ने एसएसपी से मिलकर इसे रोकने की मांग की थी। प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुये कार्यवाही करने की बात कही थी। विदित हो कि जनपद में धारा 144 लागू है वहीं आयोजकों ने उक्त आयोजन की अनुमति नहीं ली थी। इस आयोजन के चलते मथुरा-वृन्दावन में तीव्र विरोध प्रदर्शन की आशंका भी बन रही थी। प्रशासन ने रात्रि में ही आयोजन को रोकने की तैयारी की। वहीं शुक्रवार सुबह जब अखबारों के माध्यम से यह समाचार फैला तो आम जनता में भारी आक्रोश फैल गया। प्रशासन एवं संत प्रबुद्ध समाज के एक प्रतिनिधि मण्डल के सामने स्वामी बालेन्दु ने आयोजन निरस्त करने की घोषणा की। आगे से इस प्रकार का कार्यक्रम नहीं कराने की बात कही। उनका कहना था यह नास्तिकता और धर्म को लेकर उनके निजी विचार हैं, इन्हें किसी पर थोप नहीं रहे हैं।
लेखक जगदीश वर्मा ‘समन्दर’ हैं जो मथुरा के निवासी हैं. उनसे संपर्क metromedia111@gmail.com के जरिए किया जा सकता है.