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छप्पन इंच के सीने पर छेद तमाम हैं… अगर छेद दिखाए गए तो बैन कर दिया जाता है…

सच को सच कह दिया था इसी पर मेरे पीछे ज़माना पड़ा है… इस ज़माने में सिर्फ वो सरकार है जिसे सवाल पसंद नहीं, और कुछ भक्तों की संख्या है जिनकी आंखें फूट चुकी हैं.. छप्पन इंच के सीने पर छेद तमाम हैं… और अगर छेद दिखाए गए… तो बैन कर दिया जाता है… 2014 से 2019 तक के बीच के लोगों को खुद को महान समझना चाहिए… क्योंकि उन्हें दोबारा हिटलर को देखने का मौक़ा मिल रहा है… हमें कोरिया जाने की ज़रूरत नहीं है… क्योंकि एक ‘किम जोंग’ हमारे देश में भी फल-फूल रहा है… उसे सवाल पसंद नहीं है, उसे मन की करनी है, उसे किसी की नहीं सुननी है… रावण जैसा अहंकार, बकासुर जैसी सोच, कंस जैसी क्रूरता उसके भीतर कूट-कूट कर भरी है…

<p>सच को सच कह दिया था इसी पर मेरे पीछे ज़माना पड़ा है... इस ज़माने में सिर्फ वो सरकार है जिसे सवाल पसंद नहीं, और कुछ भक्तों की संख्या है जिनकी आंखें फूट चुकी हैं.. छप्पन इंच के सीने पर छेद तमाम हैं... और अगर छेद दिखाए गए... तो बैन कर दिया जाता है... 2014 से 2019 तक के बीच के लोगों को खुद को महान समझना चाहिए... क्योंकि उन्हें दोबारा हिटलर को देखने का मौक़ा मिल रहा है... हमें कोरिया जाने की ज़रूरत नहीं है... क्योंकि एक ‘किम जोंग’ हमारे देश में भी फल-फूल रहा है... उसे सवाल पसंद नहीं है, उसे मन की करनी है, उसे किसी की नहीं सुननी है... रावण जैसा अहंकार, बकासुर जैसी सोच, कंस जैसी क्रूरता उसके भीतर कूट-कूट कर भरी है...</p>

सच को सच कह दिया था इसी पर मेरे पीछे ज़माना पड़ा है… इस ज़माने में सिर्फ वो सरकार है जिसे सवाल पसंद नहीं, और कुछ भक्तों की संख्या है जिनकी आंखें फूट चुकी हैं.. छप्पन इंच के सीने पर छेद तमाम हैं… और अगर छेद दिखाए गए… तो बैन कर दिया जाता है… 2014 से 2019 तक के बीच के लोगों को खुद को महान समझना चाहिए… क्योंकि उन्हें दोबारा हिटलर को देखने का मौक़ा मिल रहा है… हमें कोरिया जाने की ज़रूरत नहीं है… क्योंकि एक ‘किम जोंग’ हमारे देश में भी फल-फूल रहा है… उसे सवाल पसंद नहीं है, उसे मन की करनी है, उसे किसी की नहीं सुननी है… रावण जैसा अहंकार, बकासुर जैसी सोच, कंस जैसी क्रूरता उसके भीतर कूट-कूट कर भरी है…

राजकमल झा की दो लाइनों ने ही उसके फूलते सीने को पिचका दिया… अक्षय मुकुल की बात ने उसके अहंकारी सोच पर ज़ोर का तमाचा मारा… और रवीश के ‘मूक शो’ ने उसकी मरी हुई मानवता को कब्रिस्तान तक छोड़ने का काम किया… जब पत्रकार सरकार का ‘अंडु’ पकड़ कर लटकने लगेंगे, तो आप कहां जाएंगे, ये आपको सोचना होगा… जब पत्रकार सेल्फी मोड में ‘लेड़ी तर्र’ करवाते फिरेंगे, तो आप कहां जाएंगे, ये आपको सोचना होगा…. कौन आपके सवाल पूछेगा, कौन आपकी आवाज़ को वहां तक पहुंचाएगा… एक हैं बाबा तिहाड़ी… नाम नहीं लिखूंगा… नहीं तो आप समझ जाएंगे… सुधीर की बात कर रहा हूं… हां-हां… वहीं सुधीर… ज़ी वाला… गज़ब का देशभक्त पत्रकार है… उसे प्रधानमंत्री की चड्ढी का ब्रांड भी पता होगा… अमित शाह कहां दाढ़ी सेट करवाता है… उसे वो भी पता होगा…

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ये तिहाड़ी पूरी तरह से ‘नीचे वाला’ पकड़ के लटक चुका है… कुछ और भी हैं… कुछ क्या, बहुत सारे हैं… चाटे जा रहे हैं, चाटे जा रहे हैं… कुछ तो छोड़ ही नहीं रहे हैं… किसी को Z वाली सुरक्षा मिल रही है… किसी को Y वाली… इन्ही पत्रकारों की वजह से प्रधानमंत्री पर बीते दो साल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने तक का दबाव नहीं बन पाया… बताया जाए जनता को, कि क्या हुआ, क्या होगा… ट्वीट पर बिना सवाल के जवाब दे दिया जाता है… मौत पर सांत्वना होती है, हादसों पर दुख होता है, शहीदों पर सियासत होती है और जीत पर जश्न होता है… सब ट्वीट पर… लेकिन NDTV ने पिलाई करनी शुरू कर दी है… पत्रकारिता की ताक़त दिखानी शुरू कर दी है… आप साथ आओ… क्योंकि ये आपके हित का भी सवाल है… जो पैसा लेकर चाटते हैं, या भक्त बनकर चाटते हैं, उनके साथ आने की ज़रूरत नही हैं… जो सवाल पूछता जानते हैं, जो पत्रकारिता को समझते हैं… उनको एक साथ आने की ज़रूरत है…

युवा पत्रकार संजय सिंह की फेसबुक वॉल से. संपर्क : [email protected]

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0 Comments

  1. Gaurav Tyagi

    November 6, 2016 at 11:19 am

    Chama Karein Sir aap Ne Kis Kis Ka Chaat Ke Bulb Se Tubelite Bnaya H

  2. mm

    November 6, 2016 at 7:54 pm

    Sanjay ji, yadi aap sarkar ki baat kerte hain, to kya apko Congress wali sarkar achchhi lagti hai, jisne desh me khuli loot ki chhot, Andhera Kayam Rahey, aur naa janey kitni baatein hain, jo ye Ingit kerti hai ki “Tumhein jo kerna hai, karo, mujhey lootney do, desh jaye bhaand mein”. Aap yahi sarkar chahte hain na…..!!! Zara Sochiye, apney liye nahin, to desh ke liye, apney aaney waley kal ke liye…. lekin sochiye…

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