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एनडीटीवी को सरकारी प्रतिबन्ध की बधाई

Sanjaya Kumar Singh : एनडीटीवी पर कार्रवाई की खबर से मुझे आम आदमी पार्टी के सासंद भगवंत मान पर संसद की सुरक्षा से खिलवाड़ करने के आरोप और फिर मान के आरोप की याद आई। पता नहीं अब यह मामला किस स्थिति में है पर “सैंया भये कोतवाल” ऐसे ही नहीं कहा जाता है। संसद की साइट पर संसद भवन का वर्चुअल लिंक दिख तो अब भी रहा है पर चल नहीं रहा। चूंकि संसद देखा हुआ है इसलिए वर्चुअल लिंक देखने की जरूरत ही नहीं महसूस हुई। संसद का वीडियो लोड करने के लिए जब मान का मामला गर्माया तो मैंने देखना चाहा कि अधिकृत तौर पर क्या दिखाया जा रहा है और मान ने क्या दिखा दिया। पर उस दिन से वह लिंक चल ही नहीं रहा है। काफी दिन हो गए। आज याद आया तो सोचा फिर देखा जाए। पर उसे चलाने, लगाने, हटाने वाले भी, लगता है, भूल गए। वैसे ही है। ना हटा है, ना चल रहा है। फिलहाल, एनडीटीवी मामले में मुझे यकीन है कि वह इस कार्रवाई से और मजबूत होगा। उसका समर्थन बढ़ेगा। अगर ऐसे प्रतिबंधों से डरना होता तो वह ऐसा कुछ करता ही क्यों जिससे मिर्ची लगती है।

<p>Sanjaya Kumar Singh : एनडीटीवी पर कार्रवाई की खबर से मुझे आम आदमी पार्टी के सासंद भगवंत मान पर संसद की सुरक्षा से खिलवाड़ करने के आरोप और फिर मान के आरोप की याद आई। पता नहीं अब यह मामला किस स्थिति में है पर "सैंया भये कोतवाल" ऐसे ही नहीं कहा जाता है। संसद की साइट पर संसद भवन का वर्चुअल लिंक दिख तो अब भी रहा है पर चल नहीं रहा। चूंकि संसद देखा हुआ है इसलिए वर्चुअल लिंक देखने की जरूरत ही नहीं महसूस हुई। संसद का वीडियो लोड करने के लिए जब मान का मामला गर्माया तो मैंने देखना चाहा कि अधिकृत तौर पर क्या दिखाया जा रहा है और मान ने क्या दिखा दिया। पर उस दिन से वह लिंक चल ही नहीं रहा है। काफी दिन हो गए। आज याद आया तो सोचा फिर देखा जाए। पर उसे चलाने, लगाने, हटाने वाले भी, लगता है, भूल गए। वैसे ही है। ना हटा है, ना चल रहा है। फिलहाल, एनडीटीवी मामले में मुझे यकीन है कि वह इस कार्रवाई से और मजबूत होगा। उसका समर्थन बढ़ेगा। अगर ऐसे प्रतिबंधों से डरना होता तो वह ऐसा कुछ करता ही क्यों जिससे मिर्ची लगती है।</p>

Sanjaya Kumar Singh : एनडीटीवी पर कार्रवाई की खबर से मुझे आम आदमी पार्टी के सासंद भगवंत मान पर संसद की सुरक्षा से खिलवाड़ करने के आरोप और फिर मान के आरोप की याद आई। पता नहीं अब यह मामला किस स्थिति में है पर “सैंया भये कोतवाल” ऐसे ही नहीं कहा जाता है। संसद की साइट पर संसद भवन का वर्चुअल लिंक दिख तो अब भी रहा है पर चल नहीं रहा। चूंकि संसद देखा हुआ है इसलिए वर्चुअल लिंक देखने की जरूरत ही नहीं महसूस हुई। संसद का वीडियो लोड करने के लिए जब मान का मामला गर्माया तो मैंने देखना चाहा कि अधिकृत तौर पर क्या दिखाया जा रहा है और मान ने क्या दिखा दिया। पर उस दिन से वह लिंक चल ही नहीं रहा है। काफी दिन हो गए। आज याद आया तो सोचा फिर देखा जाए। पर उसे चलाने, लगाने, हटाने वाले भी, लगता है, भूल गए। वैसे ही है। ना हटा है, ना चल रहा है। फिलहाल, एनडीटीवी मामले में मुझे यकीन है कि वह इस कार्रवाई से और मजबूत होगा। उसका समर्थन बढ़ेगा। अगर ऐसे प्रतिबंधों से डरना होता तो वह ऐसा कुछ करता ही क्यों जिससे मिर्ची लगती है।

Sandeep Verma : प्रतिबन्ध तो शेर पर ही लगता है, दुम हिलाने वालों को तो दूध-रोटी खिलाई जाती है. एनडीटीवी को सरकारी प्रतिबन्ध की बधाई.

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Anil Singh : एनडीटीवी इंडिया के साथ सभी चैनल करें ब्लैकआउट! जिस सरकार ने खुद पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों को (निश्चित रूप से जिसमें आईएसआई के लोग शामिल रहे होंगे) पठानकोट एयरबेस के चप्पे-चप्पे का दौरा कराया, वो एनडीटीवी इंडिया पर पठानकोट हमले के उस कवरेज़ के लिए एक दिन का बैन लगा रही है जो हर चैनल व अखबारों में कमोबेश एक ही तरह से कवर किया गया था। चैनल से कहा गया है कि वो 9 नवंबर की रात 12.01 बजे से 10 नवंबर को रात 12.01 बजे तक कुछ भी न दिखाए। जाहिर है कि एनडीटीवी इंडिया को सरकार विरोधी रुख की सज़ा दी जा रही है। यह मीडिया का गला घोंटनेवाली ऐसी लोकतंत्र-विरोधी कार्रवाई है जिसका विरोध न किया गया तो कल कोई भी नहीं बचेगा। इस समय एनडीटीवी इंडिया एकमात्र चैनल है जो सच को सच कहने की हिम्मत करता है और सरकार की हर बेज़ा हरकत पर वाजिब सवाल उठाता है। कल दूसरे चैनलों को भी एनडीटीवी इंडिया की तरह ब्लैकआउट किया जा सकता है। ऐसे में उचित यही होगा कि कम से कम हिंदी के सारे न्यूज़ चैनल एनडीटीवी इंडिया के साथ एकजुटता दिखाते हुए 9 नवंबर की रात से 10 नवंबर की रात तक 24 घंटे का ब्लैकआउट कर दें।

Nadim S. Akhter : एनडीटीवी इंडिया न्यूज़ चैनल पर केंद्र सरकार ने लगाया एक दिन के लिए बैन। अब पता चला कि देश का नंबर वन हिंदी न्यूज़ चैनल कौन है? मैं मीडिया के किसी भी संस्थान, चाहे वो भक्त संस्थान ही क्यों न हो, पे पाबन्दी लागए जाने के खिलाफ हूँ। और लोकतंत्र में हर नागरिक को सत्ता के ऐसे तानाशाही फैसलों का मुखर विरोध करना चाहिए। कभी एनडीटीवी पे रवीश कुमार ने प्राइम टाइम में स्क्रीन को ब्लैक कर दिया था। उससे -प्रेरणा- लेकर केंद्र सरकार पूरे चैनल को ब्लैक आउट कर रही है।  सनद रहे, ये रंग काला है। मुंह पे लग जाए तो -मुंह काला- हो जाता है और आँखों में लग जाए तो काजल बन जाता है। और पन्नों में समा जाए तो इतिहास बन जाता है। सो सावधान! विश्राम! लाठी पकड़, फुल पैंट पहन! अब माथे पे काली टोपी धर। तुम कौन? सेवक गुरूजी। अच्छा स्वयंसेवक! हाथ सीने की सीध में। हथेली नीचे। नाखून ऊपर। प्रशिक्षण समाप्त। #ndtvblackout

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Krishna Kant : जरूरी नहीं कि आपातकाल लगाने के लिए प्रधानमंत्री रेडियो से घोषणा करें. इंदिरा गांधी में फिर भी इतनी ईमानदारी थी कि जनता को बता दिया था. अब जनता तय करे कि उसे मजबूत जनतंत्र चाहिए या एक निरंकुश देवता. NDTV पर एक दिन का प्रतिबंध दो साल से लागू अघोषित आपातकाल की पहली मुनादी है।

Khushdeep Sehgal : आज NDTV का नंबर, कल सब का होगा…(सिर्फ सेल्फी-भक्ति वाले बचेंगे)

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Jitendra Narayan : आतंकवादियों को पठानकोट एयरबेस तक पहुँचाने वाले एसपी सलविंदर सिंह से बड़ा अपराधी NDTV है?

Saiyed Zaigham Murtaza : 10 नवंबर शाम 8-9 बजे एनडीटीवी ऑन ज़रूर कीजीए। इमरजेंसी का विरोध कीजीए। बताईए कि सत्य देखने नहीं समझने की चीज़ है। टीआरपी ब्लैंक स्क्रीन भी दे सकता है।

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Abhay Tiwari : कोई कह नहीं रहा है.. पर सारी गलती रवीश कुमार की है। सब सुधर गए .. बस वही एक बच गए हैं जो सुधरने का नाम नहीं लेते.. पर क्या करें.. हमें बिगड़े हुए रवीश कुमार ही अच्छे लगते हैं। जिस दिन वो सुधर जाएंगे हमारा टीवी पर न्यूज देखना बंद हो जाएगा।

Chandra Prakash Pandey : देश और समाज को नुकसान पहुँचाने वाले कॉन्टेंट के प्रसारण पर लगाम लगनी ही चाहिए, लेकिन ये तय कौन करेगा कि कौन सा कॉन्टेंट देश या समाज को नुकसान पहुंचाने वाला है? सरकारें तो बिलकुल नहीं तय कर सकती। आप ऐसा मैकेनिज्म बनाइये कि अदालत या कोई स्वतंत्र संस्था तय करे, दण्डित करे, आप कौन होते हैं? वैसे मीडिया में पर्याप्त आत्म-नियंत्रण है, ये काम उसी पर छोड़ देना बेहतर है। क्या आप डरा रहे हैं? असल में आप डरे हुए हैं। NDTV पर कार्रवाई का फैसला वापस लो, ऐसी तानाशाही से डराओ मत क्योंकि इसमें तुम्हारी हार तय है सरकार! #StandWithNDTV

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अजात अभिषेक : 9 तारीख़ को मैं कोई न्यूज़ चैनल नहीं देखूँगा. #Reject_Censorship (पहली बार कॉपी-पेस्ट कर समर्थन की अपील कर रहा हूँ इस अभियान के. इसे अपनी वाल पर चिपकाइए और दोस्तों से ऐसा ही करने की अपील कीजिये.सच मानिए, ज़रूरी है).

Madan Tiwary : सुनने में आ रहा है कि NDTV के प्रसारण पर रोक लगाई गई है. कारण पठानकोठ हमले के दौरान गैर जिम्मेवाराना रिपोर्टिंग. यह अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने की कवायद है. मैं रविश का घोर विरोधी हूँ परन्तु इस प्रतिबन्ध को देश के लिए खतरनाक मानता हूँ. यह फासीवाद है. इसके खिलाफ जनता को सड़कों पर आना चाहिए. आज मुल्क में वर्तमान में सबसे खतरनाक भाजपा और मोदी समर्थक हैं. वे सबसे ज्यादा गाली गलौज करते हैं. प्रतिबन्ध लगाना है तो पहले अपने समर्थकों पर लगाए सरकार. मोदी आग से खेल रहे हैं. जलकर ख़ाक हो जाएंगे अगर रवैया नहीं सुधारा तो. 

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Nishtha : NDTV चैनल की पत्रकारिता को सलाम। सरकार ने एक दिन का प्रतिबन्ध लगाकर इस बात को सही साबित कर दिया। आपातकाल में भी कई पत्रकारों को सच बोलने पर प्रतिबन्ध झेलना पड़ा था। यह भी अघोषित आपातकाल ही है। #I_Support_NDTV

Priyabh Ranjan : NDTV India पर एक दिन का BAN लगाने का फरमान तो आ गया…लेकिन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के अफसरों को पठानकोट एयर बेस की ‘सैर’ कराने वाली इस मोदी सरकार पर कौन सा BAN लगाया जाए? #UndeclaredEmergency #NDTV_Banned

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सौजन्य : फेसबुक

इन्हें भी पढ़ें : 

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0 Comments

  1. ss

    November 6, 2016 at 6:51 pm

    Aap sabhi Lekhakon, Patrakaron aur NDTV ke Pakshkaron aur na janey kitno se ek Appeal…
    Iss ek din ke ban par itna kyon Ro-dho rahey… Inka rona dekh ker to aisa lagta hai, ki iss desh mein ab “Rashtriyata” ka paimana badal gaya hai aur desh ke khilaf bolney, aisi sthiti paida kerney, taki desh ki janta ko gumrah kiya jaa sakey, uska daur chal padaa hai… Main aap sabon ke samaksh kuchh batein rakhna chata hoon, dhyan se padhein aur fir apney dil ki aawaz ki suney. Yadi thodi si bhi Desh ke liye (kuchh gaddar partiyon ke liye nahin) kuchh bachaa ho, to sochein aur tab NDTV ke Paksh me apni aawaz buland karein….
    Prannoy Roy aur Swayamsiddh Kumar Sahab se kuchh sawaal…
    Ek din ke Ban se hi “Asahishnu ho gaye….
    Tumney Ishrat ko Defend kiya…
    Tumney Batla ko Defend kiya…
    Tumney Chara Chor ko Defend kiya…
    Tumney JNU ko Defend kiya….
    Tumney “Akhlaak” ko Defend kiya….
    Tumney “Sena par Prashn” kiya…
    Itna sab par bhi humlog aur Sangheeya Sarkar chup rahi, par ab, jab….
    “Rashtriya Suraksha aur Desh ki Samprabhuta ka prashn hai, Chup rahna bhi to ‘Namardgi’ hi hogi na…. Isliye ekdiwasiya Ban ke karan kya hoga? Tumhara Wichar wa Abhivyakti ke naam par “Randi-Rona” badh jayega, kintu ussey hame kuch nahin karna… Haan, iss mulq (desh) ki janta ne sarkar ko chuna hai, uskey dwara liye gaye nirnay se hum sahmat hain, kyonki iss desh par hamara bhi utna hi adhikar hai, jitna tumsab samajhte ho… Apney neech Wichar ko poorey desh par thopney ki koshish na karo… Apney masley ko wichar wa abhivyakti se jodkar “randi-rona” machaney ke bajai apney “PURANEY EPISODE HI DEKH LO” aur Ek din ka kuchh “Poonya Kaam” hi kar lo….
    Jai Bharat

  2. Mandeep

    November 6, 2016 at 10:54 pm

    पता नहीं आप लोगों ने इतना हो हल्ला क्यों मचा रखा है। ndtv पर बैन दोषी को दंड के नजरिये से भी देखा जा सकता है। मानते हैं कि रवीश जी बहुत अच्छे पत्रकार, प्रस्तोता हैं लेकिन गलती सभी से होती है। जब गलती अक्षम्य हो तो सजा मिलती ही है।
    अब मान लीजिए कि आपके पड़ोस में कोई चोर टाइप का आदमी रहता है तो आप जाने अनजाने में उसे यह नहीं बताना चाहेंगे कि आपके घर में कितना कैश, गोल्ड या अन्य कीमती सामान है। जाहिर सी बात है उस चोर टाइप आदमी को आसानी होगी।
    कोई आफत नहीं आ जाएगी एक दिन के बैन से, कोई जलजला नहीं आएगा, किसी की जिंदगी नहीं रुकेगी, ढेरों न्यूज़ चैनल हैं जो खूब मनोरंजन भी करते हैं। हजारों अखबार हैं, वेबसाइट हैं, सोशल मीडिया है और कानाफूसी करने वाले भी तो फिकर नॉट ख़बरें नहीं रुकेंगी।
    फिकर तो ndtv को इस बात की होगी कि 24 घंटे में उसकी कितनी कमाई मारी जाएगी। फिकर दूसरे चैनलों को कि नियम से, पत्रकारिता के उसूलों से, देश की सुरक्षा से समझोता न करते हुए रिपोर्टिंग करेंगे।
    बोलो जय श्री कृष्णा

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