Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

और मीडियाकर्मियों ने अपने हिस्से की स्क्रीन पर कब्जा जमा लिया….

Vineet Kumar : p7 न्यूज चैनल बंद हो गया. ये वही न्यूज चैनल है जिसने लांचिंग में अपने एंकरों से रैम्प पर नुमाईश करवायी, शोपीस एंकरिंग को बढ़ावा दिया. पिछले दिनों इसी ग्रुप की पत्रिका बिंदिया और शुक्रवार के बंद हो जाने पर बेहद जरूर सरोकारी मंच के खत्म होने का स्यापा आपने देखा था. पत्रिका सहित ये चैनल क्यों बंद हो गया, ये बार-बार बताने की जरूरत इसलिए पड़ती है कि एक वेंचर बंद होने के वाबजूद दूसरे के बने रहने के दावे मैनेजमेंट की तरफ से ताल ठोंककर दिए जाते हैं..लेकिन सच आपसे और हमसे छिपा नहीं है.

Vineet Kumar : p7 न्यूज चैनल बंद हो गया. ये वही न्यूज चैनल है जिसने लांचिंग में अपने एंकरों से रैम्प पर नुमाईश करवायी, शोपीस एंकरिंग को बढ़ावा दिया. पिछले दिनों इसी ग्रुप की पत्रिका बिंदिया और शुक्रवार के बंद हो जाने पर बेहद जरूर सरोकारी मंच के खत्म होने का स्यापा आपने देखा था. पत्रिका सहित ये चैनल क्यों बंद हो गया, ये बार-बार बताने की जरूरत इसलिए पड़ती है कि एक वेंचर बंद होने के वाबजूद दूसरे के बने रहने के दावे मैनेजमेंट की तरफ से ताल ठोंककर दिए जाते हैं..लेकिन सच आपसे और हमसे छिपा नहीं है.

दरअसल ये पूरी कंपनी ही फर्जीवाड़े मामले में बुरी तरह फंसी हुई है. लेकिन इन सबके बीच सबसे दिलचस्प और सराहनीय पहलू है कि इसी चैनल के मीडियाकर्मी ने अंदरखाने की वो खबर चला दी जो आप और हम सिर्फ टेक्सट की शक्ल में जान पाते, स्क्रीन की खबर की शक्ल में नहीं..अभी हम हरियाणा में मीडियाकर्मियों पर हुए हमले को लेकर उसकी हालत पर बात कर ही रहे हैं कि ये खबर थोड़ी राहत देती है कि कुछ नहीं तो उन मीडियाकर्मियों ने एक रास्ता तो निकाल ही लिया है कि जब नौकरी जानी ही है तो जाए लेकिन अपने हिस्से की स्क्रीन लेकर जाएंगे, खुद से जुड़ी खबर तो चलाएंगे ही..बेहद जरूरी है ऐसा करना.

Advertisement. Scroll to continue reading.

युवा मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.

मूल खबर…

Advertisement. Scroll to continue reading.

‘पी7 न्यूज’ के निदेशक केसर सिंह को हड़ताली कर्मियों ने बंधक बनाया, चैनल पर चला दी सेलरी संकट की खबर

Click to comment

0 Comments

  1. A R G

    November 22, 2014 at 3:27 pm

    तमाम वरिष्ट पत्रकार भाइयो को प्रणाम -अभीतक भड़ास मिडिया में कई तरह के खबरे पढ़ा जितने भी न इंसाफी हुई है वह सारे लोग स्टाफ में थे मगर फ्री लांसर [स्ट्रींगर ] का दर्द कौन सुने ग आप लोगो को सैलेरी स्लिप मिलती है कई प्रकार के सुविधा भी मिलता है मगर फ्री लांसर [स्ट्रींगर ] को क्या मिलता है ,,,,,,,,,,,,,,मै सिर्फ ईमानदार फ्री लांसर [स्ट्रींगर ] की बात कर रहा हु ,जो कम्पनी से मिलने वाले तनखा पर टिका होता है

    वो देखो एक पत्रकार जा रहा है…
    जिँदगी से हारा हुआ है…
    पर काम से हार नही मानता,

    अपनी स्टोरी की एक-एक लाईन इसे रटी हुई है..
    पर आज कौन से रंग के मोजे पहने है ये नही जानता…

    दिन पर दिन इधर उधर डोलता जा रहा है..
    वो देखो एक पत्रकार जा रहा है…
    .
    .
    .
    10,000 अच्छाइयो में से भी एक गलती ढूंढ लेता है….
    लेकिन बीवी की आँखो की नमी दिखाई नही देती..

    कम्प्यूटर पर हजार विन्डो खुली है…
    पर दिल की खिडकी पे कोई दस्तक सुनाई नही देती,
    रिर्पोटिँग करते करते पता ही नही चला बॉस कब माँ बाप से बढकर हो गया है..
    किताबो मेँ गुलाब रखने वाला खबरों में खो गया
    दिल की जमीँ से अरमां विदा हो गया..

    सैलरी मिलने पर वडापाव खाकर जश्न मना रहा है…
    वो देखो एक पत्रकार जा रहा है…।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement