दीवाली पर पटाखे चलाने की सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी का असर नहीं हुआ और पटाखे देर रात तक चले। हालांकि, दीवाली के दिन छुट्टी होने के कारण अगले दिन अखबार नहीं आया और मैं समझ रहा था कि यह खबर नहीं छपेगी या अंदर के पन्नों पर होगी। पर ऐसा नहीं हुआ और हिन्दी के जो भी अखबार मैंने देखे सबमें यह खबर पहले पेज पर लीड है। कहा जा सकता है कि आज के अखबारों में पुरानी कबर लीड है पर ऐसा क्यों है, बताने की जरूरत नहीं है। मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ क्योंकि उसकी कोशिश ही नहीं हुई और खबर अगर छपनी थी तो यह भी छपनी चाहिए थी कि आदेश को लागू करने की क्या और कितनी कोशिश की गई।
सिर्फ गिरफ्तारियों की सूचना, वह भी मुख्य रूप से दिल्ली और बड़े शहरों की, पर्याप्त नहीं है। पर अखबारों में ऐसा कुछ नहीं है। उल्टे, “न पटाखे रुके न प्रदूषण” और “सुप्रीम कोर्ट का आदेश धुंआ” जैसे शीर्षक है और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण के चेयरमैन, भूरेलाल के बयान को प्रमुखता नहीं मिली है। इन सूचनाओं के बीच एक महत्वपूर्ण सूचना यह मिली कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए तमिलनाडु में 2190 मामले दर्ज हुए हैं जबकि और राज्यों की संख्या बहुत कम है या सूचना ही नहीं है।
दैनिक हिन्दुस्तान में पांच कॉलम के लीड का शीर्षक है, “न पटाखे रुके न प्रदूषण”। फ्लैग हेडिंग बैनर है, “दिल्ली का दम फूला सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बावजूद रातभर चली आतिशबाजी, एनसीआर में वायु गुणवत्ता और खराब, 520 लोगों के खिलाफ कार्रवाई”। इसके साथ तीन कॉलम में रायटर्स की 7 और 8 नवंबर की एक जैसी दो तस्वीरें ऊपर नीचे छपी हैं। कैप्शन है, “ये तस्वीरें दिल्ली के कनाट प्लेस की हैं। पहली तस्वीर गुरुवार सुबह की है जबकि दूसरी तस्वीर दिवाली से पहले यानी बुधवार सुबह की। दोनों तस्वीरें खुद-ब-खुद बयां कर रही हैं कि आतिशबाजी के चलते प्रदूषण का स्तर कितना बढ़ गया है।”
दैनिक भास्कर में यह खबर चार कॉलम में लीड है। मुख्य शीर्षक है, “सुप्रीम कोर्ट का आदेश धुंआ”। दो लाइन में दो फ्लैग शीर्षक हैं। पहला, धुंए वाली दीवाली : 10 बजे के बाद भी आतिशबाजी, दिल्ली में 327 लोग गिरफ्तार, कोलकाता में 97 दूसरा, और सुबह काली दिल्ली में अब तक का सबसे ज्यादा प्रदूषण, फरीदाबाद में सामान्य से 10 गुना ज्यादा। इसके साथ तीन कॉलम में एक फोटो का शीर्षक है, दिल्ली में इमरजेंसी जैसे हालात शहर के बाहर से आने वाले मालवाहकों की 11 नवंबर तक नो एंट्री। फोटो के ऊपर लिखा है, राष्ट्रपति भवन सुबह 9 बजे स्मॉग की वजह से ऐसा नजर आया …. जबकि सामान्य दिनों में ये ऐसा दिखता है। कैसा, बताने वाली छोटी सी फोटो है। फोटो के नीचे दो कॉलम में खबर है, चंडीगढ़ में भी गिरफ्तारियां, पिछले साल ऐसे मामलों में 5 से 10 हजार रुपए का जुर्माना लगा था।
नवभारत टाइम्स में भी यह खबर, 50 लाख किलो पटाखे फोड़ डाले, 77 गुना बढ़ा प्रदूषण शीर्षक से लीड है। मुख्य शीर्षक के नीचे मास्क लगाकर फुलझड़ी चलाते बच्चों की तस्वीर है और इसी काली फोटो पर रिवर्स में छपी लीड के दो उपशीर्षक हैं। पहला, 390 दिल्ली का औसत एयर रहा। दूसरे में बताया गया कि 2017 यानी पिछले साल दीवाली की रात यह 326 था। इसके साथ हवा में प्रदूषण की मात्रा से संबंधित जानकारी है और यह भी कि कहां कितना प्रदूषण था। मुख्य खबर के बीच में बोल्ड और बड़े अक्षरों में लिखा है, 562 केस दर्ज, 300 से ज्यादा गिरफ्तार।
नवोदय टाइम्स ने बहुत सारी खबरों को मिलाकर सात कॉलम में छापा है। करीब छह कॉलम में प्रदूषण की स्थिति दिखाने वाली एक फोटो पर “प्राण घातक वायु” शीर्षक लगाया है। फोटो का कैप्शन है, “नई दिल्ली : दिवाली के एक दिन बाद छाया स्मॉग” और इसके साथ एक कॉलम में, “बड़े शहरों में घुटा दम” शीर्षक खबर छापी है। फोटो पर प्रदूषण का स्तर और दूसरी सूचनाओं के साथ यह भी कहा गया है, “सुप्रीम कोर्ट का आदेश दरकिनार, जलाए पटाखे”, दूसरी सूचना है, “562 मुकदमे दर्ज किए पुलिस ने, 323 लोग गिरफ्तार”।
दैनिक जागरण में पूरे पेज पर चार कॉलम का विज्ञापन है। पटाखों और प्रदूषण की खबर लीड है और शीर्षक है, “खूब चले पटाखे, दमघोंटू हवा।” उपशीर्षक है, अदालत के आदेश का मामूली असर, खतरनाक हुआ एनसीआर का प्रदूषण स्तर। अखबार ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण के चेयरमैन, भूरेलाल का कोट, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर जनता को जागरूक करने की जरूरत थी। सरकारों और सरकारी विभागों को भी निष्क्रियता छोड़नी होगी” भी छापा है।
अमर उजाला ने भी इस खबर को पहले पेज पर रखा है और लीड बनाया है। “एनसीआर में गहराया सांसों का संकट दिल्ली में हवा आपात स्तर पर पहुंची”। उपशीर्षक है, “642 रहा एक्यूआई, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कई जगह देर रात तक हुई आतिशबाजी”। अखबार में मुख्य खबर के साथ अन्य सूचनाएं तो हैं ही तमिलनाडु में 2190 केस दर्ज की सूचना अंदर के पेज पर है।
लखनऊ के साप्ताहिक शुक्रवार में मीडिया पर प्रकाशित होने वाला वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह का कॉलम। अभी तक यह बुधवार को लिखा जाता था पर इस बार दीवाली की छुट्टी के कारण बुधवार को अखबार नहीं आए और अखबारों ने बुधवार की खबर शुक्रवार को छापी। वह भी लीड। आज यह कॉलम इसी पर।