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सुख-दुख

नोएडा के झपट्टेमार और पुलिस : सुनिए इस युवा पत्रकार के साथ सरेआम और दिनदहाड़े क्या हुआ…

निशांत नंदन-

अरे आप तो पत्रकार हैं, वो झपट्टेमार तो हम पुलिसवालों का भी फोन छीन कर भाग जाते हैं…

घटना दिनांक 08-01-2023 की है। उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर 12 के पास लाल बत्ती के ठीक सामने (चौड़ा मोड़ के पास पुलिस, नोएडा स्टेडियम के नजदीक) मैं अपने मोबाइल फोन से सड़क किनारे बात कर ही रहा था कि चंद सेकेंड में स्कूटी सवार दो झपट्टेमार मेरा मोबाइल फोन छीन कर भागने लगे। लेकिन बिना वक्त गंवाए मैं उनके पीछे लगभग दौड़ता हुआ सिग्नल पार कर सामने ही स्थित पुलिस स्टेशन में घुसा और वहां थाने की गेट पर ही खड़े तीन वर्दी वालों से लगभग चीखते हुए कहा कि वो झपट्टेमार मेरा मोबाइल छीन कर इसी थाने को पार कर भाग रहे हैं। जल्दी से देखिए…

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हड़बड़ाहट में मेरी बात सुनते ही एक वर्दी वाले साहब ने हुक्म दिया कि अरे जल्दी देखिए कहां गये? इसपर एक अन्य वर्दी वाले साहब तुरंत बाहर आए और बड़ी फुर्ती से वहां खड़ी पुलिस वैन के पास जा पहुंचे। (वो झपट्टेमार अभी हमसे महज 10-15 कदम की दूरी पर ही होंगे) इसके बाद तो मुझे लगा कि अब इन झपट्टेमारों की खैर नहीं और ये अभी के अभी पकड़े जाएंगे।

वर्दी वाले साहब काफी फुर्ती से पुलिस वैन के पास पहुंचे थे तो मैं भी लगभग दौड़ता हुआ उनके पीछे वैन तक पहुंच गया। मुझे लगा कि अब वैन का दरवाजा खुलने वाला है और मेरे साथ यूपी पुलिस के ये रणबांकुरे वैन में बैठेंगे और फिर किसी फिल्मी स्टाइल में गुंडों का पीछा करते हुए वो उन्हें धर दबोचेंगे। मतलब हमको लगा कि अब एकदम रियल एक्शन देखने को मिलने वाला है।

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जितनी फुर्ती से वर्दी वाले साहब वैन तक पहुंचे थे उतनी ही फुर्ती से साहब ने वैन का गेट खोला और तुरंत गाड़ी के अंदर से अपनी एक डायरी निकाली और तपाक से मेरा नाम पूछ लिया। मेरा नाम सुनते ही उन्होंने बिना समय गंवाए सुनहरे अक्षरों में उस डायरी में मेरा नाम अमर कर दिया। अरे, झपट्टेमार भाग रहे हैं, बजाए उनका पीछा करने के मेरा नाम क्यों डायरी में लिख दिया? इसका जवाब आपको मिल जााए तो हमको भी बता दीजियेगा।

नाम लिखने के बाद तुरंत डायरी बंद कर मुझसे फिर पूछा कि मोबाइल लेकर किधर भागा..मैंने तुरंत फिर जल्दी से बताया, अरे अभी तो यहीं से भागा। इसके बाद साहब ने आगे कहा कि कहां ढूंढेंगे उसको…इनका कोई ठीक नहीं होता है। अभी आगे जाकर यू-टर्न लेकर उस वाले रोड में चले जाएंगे…पता ही नहीं चलेगा।

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इसके बाद वर्दी वाले साहब के साथ खड़े एक और अन्य साहब ने हमसे फिर पूछा कि कहां से झपट्टा मारा था आइए जरा दिखाइए…इतना कुछ होने के बाद रियल एक्शन देखने का भूत मेरे दीमाग से उतर चुका था। खैर. इस रियल स्टोरी में अभी कई अहम क्लाइमेक्स बाकी थे। मैं मन-मसोस कर पुलिस वाले भइया के साथ सड़क पार कर दूसरी तरफ गया और उन्हें फिर से क्राइम सीन दिखाया (नोट कर लीजियेगा कि मैं उन्हें तीन-चार बार पहले भी बता चुका था कि सड़क के उस पार से झपट्टेमार मेरा मोबाइल छीन कर आपके थाने के सामने से ही भाग रहे हैं) …

खैर. इस बार मेरी नजर वहां ट्रैफिक सिग्नल पर लगे सीसीटीवी कैमरे पर पड़ गई। मैंने कहा कि अरे, यहां तो सीसीटीवी कैमरा लगा है। तो मोबाइल छिनने और झपट्टेमार के भागने की पूरी घटना उसमें कैद हो गई होगी। इससे पता कर लीजिए ना तुरंत… मेरी तरह उन्होंने भी सीसीटीवी कैमरे को दूर से एक बार देखा… (बता दूं कि मैंने उनको पहले ही बता दिया था कि वो झपट्टेमार सफेद रंग की स्कूटी पर सवार थे, उसपर नंबर प्लेट नहीं था और दो लड़के थे)

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लेकिन झपट्टेमारों का हूलिया, उनके वाहन और जिस रास्ते से वो भाग रहे थे वो सब कुछ पहले ही बताने के बाद भी सीसीटीवी चेक करने की मेरी बात सुनने के बाद वर्दी वाले साहब ने तुरंत जवाब दिया। अरे ये सब कैमरा चलता कहां है (जबकि सीसीटीवी कैमरे में उस वक्त एक छोटी सी हरी बत्ती जल रही थी)। लेकिन इसके बाद साहब से मैंने कहा कि बताइए पत्रकारों का भी मोबाइल छीन ले रहे हैं बदमाश और कुछ भी नहीं हो पा रहा है।

इसके बाद तो पुलिसवाले भइया ने अपनी जो व्यथा सुनाई उसे सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गये। मैं यकीन दिलाता हूं कि वर्दी वाले साहब की यह बात सुनने के बाद आपको यह मन करेगा कि ‘सदैव आपकी सुरक्षा’ में खड़े रहने की बात कहने वाली पुलिस की सुरक्षा में क्यों ना जाकर मैं खुद ही खड़ा हो जाऊं। वर्दी पहने पुलिस के उस युवा जवान की बात नोट कर लीजिए। पुलिस वाले भइया ने कहा –

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अरे आप तो पत्रकार हैं…वो झपट्टेमार तो हम पुलिस वालों का भी, हमारा भी फोन छीन कर भाग जाते हैं।

वहां सड़क पर खड़े-खड़े चंद सेकेंड के अंदर मेरे दिमाग में यह सवाल कौंध गया कि कि अरे, पुलिस वाले भइया ने झपट्टेमारों का पीछा किया नहीं, सीसीटीवी कैमरे का फुटेज देखेंगे नहीं, मेरे बताए गए हुलिए के आधार पर आगे खड़ी किसी पीसीआर वैन को सक्रिय किया नहीं, तो आखिर मेरी फरियाद पर वो कार्रवाई क्या करने वालें हैं….

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कुछ मिनट तक मेरे साथ वहां खड़े रहने के बाद पुलिस वाले भइया ने थोड़ी धीमे आवाज में कहा – ओ, ये क्राइम तो हमारे थाने का मामला ही नहीं है। मतलब यह सब कुछ उनके थाने के अंतर्गत नहीं आता है।

कुछ समझें आप!

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