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सियासत

आज वसंत पंचमी… पधारो ऋतुराज

आज वसंत पंचमी है, जो ऋतुराज के आगमन का दिन तो है ही, वहीं ज्ञान यानि विद्या की देवी और वीणा वादिनी सरस्वती की पूजा का भी दिन है। ऋतुराज के आगमन के साथ ही मन में उल्लास और मस्ती छा जाती है और उमंग भर देने वाले कई तरह के परिवर्तन प्रकृति में भी नजर आने लगते हैं। शरद ऋतु की विदाई के साथ  ही पेड़-पौधे और प्राणियों में नवजीवन का संचार होता है और ऐसा लगता है मानों प्रकृति नख से शिख तक सजी-संवरी है और हर तरफ मादकता और मस्ती का आलम नजर आता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी आयुर्वेद में वसंत को हितकर माना गया है और इस त्यौहार को मनाए जाने के पीछे कई तरह की मान्यताएं भी है।

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आज वसंत पंचमी है, जो ऋतुराज के आगमन का दिन तो है ही, वहीं ज्ञान यानि विद्या की देवी और वीणा वादिनी सरस्वती की पूजा का भी दिन है। ऋतुराज के आगमन के साथ ही मन में उल्लास और मस्ती छा जाती है और उमंग भर देने वाले कई तरह के परिवर्तन प्रकृति में भी नजर आने लगते हैं। शरद ऋतु की विदाई के साथ  ही पेड़-पौधे और प्राणियों में नवजीवन का संचार होता है और ऐसा लगता है मानों प्रकृति नख से शिख तक सजी-संवरी है और हर तरफ मादकता और मस्ती का आलम नजर आता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी आयुर्वेद में वसंत को हितकर माना गया है और इस त्यौहार को मनाए जाने के पीछे कई तरह की मान्यताएं भी है।

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आज पीले रंग के कपड़े पहनने का भी चलन है, क्योंकि वसंत पर सरसों पर आने वाले पीले फूलों से समूची धरा पीली ही नजर आती है। वसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का अवतरण हुआ और इसलिए इस दिन विद्या और संगीत की इस देवी की पूजा भी की जाती है। यह बात अलग है कि हमारे सियासतदानों ने इस वसंत पंचमी पर भी खलल डालने के बंदोबस्त कर रखे हैं। भोजशाला का विवाद भी इसी में माना जा सकता है। बहरहाल हम बात सिर्फ वसंत पंचमी की ही करें तो इस दिन भागीरथ की तपस्या के चलते गंगा का अवतरण भी हुआ था।   माँ गंगा भी हमारी मान्यताओं और परम्परा का अटूट हिस्सा है और पुराणों के मुताबिक तो एक मान्यता यह भी है कि वसंत पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार सरस्वती की पूजा की थी और तब से ही इस दिन सरस्वती की पूजा करने का विधान हो गया। अपन जैसे कलम घिस्सुओं के लिए भी सरस्वती का आशीष जरूरी है। वैसे तो साल के 364 दिन सभी माता लक्ष्मी को मनाने के ही जतन में जुटे नजर आते हैं।

वसंत पंचमी का दिन मदनोत्सव और वसंतोत्सव के रूप में भी मनाया जाता रहा है। इस दिन महिलाएं अपने पति की पूजा कामदेव के रूप में करती थी और वसंत पंचमी के दिन ही ऐसा कहा जाता है कि कामदेव और रति ने पहली बार मानव ह्रदय में प्रेम व आकर्षण का संचार किया था, जिसके चलते मदनोत्सव के रूप में भी इसकी पहचान बनी। वसंत में मादकता और कामुकता संबंधी कई तरह के शारीरिक परिवर्तन भी देखने को मिलते हैं जिनका आयुर्वेद में भी अच्छा-खासा वर्णन किया गया है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है, जो सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य का परिचायक है और बच्चों को इस दिन अक्षर ज्ञान कराना और बोलना सिखाना भी शुभ माना जाता है।

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हमारे कवियों ने भी वसंत की व्याख्याएं अपने-अपने मौलिक अंदाज में की है। महाकवि कालीदास ने ऋतुसंहार में कहा… हे प्रिये! प्रफुल्लित आम के वृक्षों के अंकुर रुपी तेज बाण वाला, भौरों की माला रुपी धनुष की डोरी वाला यह वसंत समय रुपी वीर विलासियों के चित्तों को विदीर्ण करने के लिए आ गया… वहीं निराला की तो प्रसिद्ध कविता ‘सखी आया वसंत’ और ‘वर दे वीणा वादिनी वर दे’ आज भी उतनी ही लोकप्रिय है। हालांकि परसाई जी ने घायल वसंत भी लिखा है, तो हजारी प्रसाद द्विवेदी को तो यह कहना पड़ा… वसंत आता नहीं है उसे लाना पड़ता है… क्रांतिकारियों ने मेरा रंग दे वसंती चोला जैसा उद्घोष भी किया, तो सुभद्रा कुमारी चौहान ने वीरों का कैसा हो वसंत बताया… बहरहाल हम सबके जीवन में अब इतनी भाग-दौड़ है कि थमकर वसंत पंचमी जैसा उल्लास भी सोशल मीडिया पर जाकर ही मनाना पड़ता है। बहरहाल सभी शुभचिंतकों को वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ…

लेखक राजेश ज्वेल से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.

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0 Comments

  1. Shiv Lal Rnakoti

    February 13, 2016 at 12:19 pm

    basant panchmi ke aate hi dhari haribhari sunder dihkhne lagti hai. pile phooloun ki mahak Dhara par ganjne lagti hai, Aisa lagne lagta hai jashe swarag se pari uterkar in phooloun se masti ka Anand le rahi ho. subhe ki taji hawa ko sungo to sahi, jiwan ka Anand Aa jayaiga. palke bhichakar ye hawai aapko gar ke angan me bula rahi hai, kabhi is anand me kho kar to Dekho, jahan najar aayage.

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