मनीष दुबे-
ऑस्ट्रेलिया के हाथों भारत के हारते ही सोशल मीडिया में एक शब्द इस कदर वायरल हुआ कि, लोगों के मुताबिक कहीं कोई रिकॉर्ड टूटने की आवाज आई थी. शब्द था पनौती (Panauti). 19 तारीख रविवार की रात से वायरल ‘पनौती’ की मीडिया को आज याद आई है. आपके मन में सवाल जरूर होगा, कि आखिर इत्ती देर काहे लगा दी..हमारी देशी इंटरनेशनल मीडिया ने?
रविवार रात से पनौती पर टकटकी लगाए मीडिया को काग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज मंगलवार 21 नवंबर को राजस्थान के जालौर से मौका दिया. वहां की एक सभा में कांग्रेस नेता के मुंह से पनौती निकलते ही, मीडिया ने पनौती अलाप शुरू कर दिया है. हो सकता है आज रात तक टीवी चैनल पनौती-पनौती चिल्लाकर डायबिटिक मनोरंजन (डिबेट की चिल्ल-पौं) भी करें. और कोई बड़ी बात नहीं जो टीवी द्वारा शाम की डिबेट के लिए पनौती पर रस्साकसी चालू हो. हालांकि, रविवार से लेकर आज मंगलवार शाम तक किसी भी प्रमुख मीडिया में पनौती शब्द छपा नहीं देखा गया. सूत्रों की माने तो इसे लाल आंख के भय से जोड़कर देखा जा रहा है.
फिलहाल कांग्रेस नेता ने मीडिया का भय खोल दिया है. जिसके बाद ABP न्यूज ने, ‘पनौती को पीएम से जोड़कर राहुल पर आरोप लगाया है.’ आज तक लिखता है, ‘मूर्खों के सरदार का पलटवार है राहुल का पनौती.’ हिंदुस्तान ने लिखा है, ‘वर्ल्ड कप जीत जाते, लेकिन पनौती ने हरवा दिया-राजस्थान के जालौर में बोले राहुल. लल्लनटाप ने जरूर रंगबाज हैडिंग बनाई, लिखा, ‘राहुल गांधी ने पीएम मोदी को कहा पनौती.’
इसी तरह जनसत्ता, अमर उजाला, जागरण ने लिखा है. नवभारत टाइम्स लिखता है, वर्ल्ड कप में हार के बाद पनौती की सियासत.’ इन सबके बीच ऑप इंडिया की हेडिंग कमाल है. ऑस्कर देने लायक. उसने लिखा, ‘यदि PM मोदी पनौती हैं तो भारत को पनौती प्रधानमंत्री ही चाहिए.’