Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

मानहानि के केस में ‘पर्वतजन’ पत्रिका के संपादक और ब्यूरो चीफ को जेल

देहरादून से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘पर्वतजन’ के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल तथा पत्रिका के चीफ ऑफ ब्यूरो (कुमाऊॅ) महेश चन्द्र पन्त को मानहानि के एक मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी, डीडीहाट ने आईपीसी की धारा 500 के अन्तर्गत एक-एक साल की कैद तथा पांच-पांच हज़ार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में कहा कि पत्रिका के सम्पादक शिव प्रसाद सेमवाल व चीफ ऑफ ब्यूरो (कुमाऊॅ) महेश चन्द्र पन्त को महिलाओं के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संस्था महिला आश्रम मुवानी की मानहानि करने का दोषी पाया गया है।

<p>देहरादून से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'पर्वतजन' के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल तथा पत्रिका के चीफ ऑफ ब्यूरो (कुमाऊॅ) महेश चन्द्र पन्त को मानहानि के एक मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी, डीडीहाट ने आईपीसी की धारा 500 के अन्तर्गत एक-एक साल की कैद तथा पांच-पांच हज़ार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में कहा कि पत्रिका के सम्पादक शिव प्रसाद सेमवाल व चीफ ऑफ ब्यूरो (कुमाऊॅ) महेश चन्द्र पन्त को महिलाओं के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संस्था महिला आश्रम मुवानी की मानहानि करने का दोषी पाया गया है।</p>

देहरादून से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘पर्वतजन’ के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल तथा पत्रिका के चीफ ऑफ ब्यूरो (कुमाऊॅ) महेश चन्द्र पन्त को मानहानि के एक मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी, डीडीहाट ने आईपीसी की धारा 500 के अन्तर्गत एक-एक साल की कैद तथा पांच-पांच हज़ार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में कहा कि पत्रिका के सम्पादक शिव प्रसाद सेमवाल व चीफ ऑफ ब्यूरो (कुमाऊॅ) महेश चन्द्र पन्त को महिलाओं के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संस्था महिला आश्रम मुवानी की मानहानि करने का दोषी पाया गया है।

अदालत ने कहा कि अभियुक्तगण ऐसा कोई भी ऐसा तथ्य या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके जिससे यह स्पष्ट हो कि उनकी पत्रिका में प्रकाशित लेख के माध्यम से परिवादी संस्था महिला आश्रम मुवानी की मानहानि नहीं हुयी। पर्वतजन में ‘प्रश्नगत लेख के प्रकाशन के पूर्व यदि अभियुक्तगण ने सुसंगत दस्तावेजों की छानबीन की होती तो निश्चित रूप से यह प्रकाशन नहीं किया गया होता, जिससे स्पष्ट है कि अभियुक्तगण द्वारा सद्भावपूर्वक प्रकाशन नहीं किया गया है।’ अदालत ने माना कि अपराध जानबूझ कर किया गया था इसलिए अभियुक्तगण को परिवीक्षा अधिनियम का लाभ देने से इंकार कर दिया गया और उन्हे सज़ा भोगने के लिए जेल भेज दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

गौरतलब है की सितम्बर 2010 में ‘पर्वतजन’ पत्रिका में महिला आश्रम मुवानी के संबंध में एक लेख प्रकाशित हुआ था। पर्वतजन के संपादक व चीफ ऑफ ब्यूरो पर आरोप था कि उन्होने जानबूझ कर सुनी-सुनाई और तथ्यहीन बातों के आधार पर उक्त लेख को प्रकाशित किया था जिससे परिवादी संस्था की मानहानि हुई। जानकार कहते हैं कि कुछ लोगों ने नेता भगत सिंह कोश्यारी को बदनाम करने की साजिश रची थी और इसमें पर्वतजन पत्रिका के संपादक और चीफ ऑफ ब्यूरो को सिर्फ ‘इस्तेमाल’ किया गया था

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement