उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में सिस्टम से सर्वाधिक प्रताड़ित-पीड़ित पत्रकार सत्येंद्र को देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सत्येन्द्र की गिरफ्तारी तथा गोरखपुर पुलिस द्वारा सत्येंद्र के खिलाफ की जा रही गैंगेस्टर मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी है ।
सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने 22 जनवरी 2024 को पत्रकार सत्येंद्र के खिलाफ गैंगेस्टर मामले की सुनवाई की। सत्येंद्र के मामले को कोर्ट के समक्ष तेजतर्रार वकील एडवोकेट मयूरी रघुवंशी और एडवोकेट व्योम रघुवंशी तथा उनकी टीम ने गहन शोध और जाँच-पड़ताल के बाद रखा।
सत्येन्द्र की तरफ़ से कोर्ट के समक्ष पेश एडवोकेट मयूरी रघुवंशी व व्योम रघुवंशी एंड टीम ने सिलसिलेवार ढंग से अपनी बात कोर्ट के समक्ष रखी जिससे सहमत होते हुए बेंच ने यूपी के प्रमुख सचिव गृह तथा गोरखपुर एसएसपी और थानेदार गुलरिहा को नोटिस जारी कर दिया।
सच्चे और जुझारू पत्रकारों की मदद के लिए पैसों को दरकिनार कर अपने कदम आगे बढ़ाते हुए एडवोकेट मयूरी तथा व्योम रघुवंशी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यदि न्याय की लड़ाई सत्य को जिंदा रखने के लिए लड़ी जा रही है तो पैसों (फीस) का उनके लिए कोई महत्व नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद बेहद परेशान चल रहे पत्रकार सत्येंद्र कुमार को काफ़ी राहत मिली है।
इस मामले से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू ये है कि पिछले दिनों हार्ट अटैक के कारण दुनिया को अलविदा कह चुके रिटायर आईपीएस अधिकारी विजय शंकर सिंह ने गोरखपुर के बेबाक़ और जुझारू पत्रकार सत्येंद्र कुमार के उत्पीड़न के इस मामले को देखने के बाद अपने बेटे-बहू व्योम-मयूरी को यथासंभव मदद करने को कहा था। पत्रकार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने और ये प्रकरण अभिव्यक्ति की आज़ादी से जुड़ा होने के कारण विजयशंकर सिंह जी ने सत्येंद्र से कोई फ़ीस न लेने की हिदायत दी थी।
अपने पिता के निर्देशों का पालन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील द्वय व्योम और मयूरी ने इस केस को अपना केस समझ कर काम शुरू किया। इस बीच हार्ट अटैक से विजय शंकर सिंह जी का निधन हो गया जिससे केस फाइलिंग में थोड़ी सी देरी हुई। बेटे और बहू व्योम – मयूरी कानपुर में पिता के अंतिम संस्कार और तेरहवीं के क्रिया कर्म में बिजी हो गये थे। बाद में दिल्ली लौटने पर केस पर ध्यान लगाया और उसका नतीजा ये है कि एक ज़मीनी और साहसी पत्रकार सत्येंद्र को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। एडवोकेट व्योम और मयूरी रघुवंशी ने इस जीत को अपने पापा स्वर्गीय विजय शंकर सिंह जी को समर्पित किया है।
पूरे मामले को इस क्रोनोलॉजी के ज़रिए समझिए-
1 दिसंबर 2023
सत्येंद्र ने गोरखपुर में चल रहे ड्रग माफियाओं और ड्रग डिपार्टमेंट के गठजोड़ की शिकायत कमिश्नर से की। बगैर सबूत कार्यवाही करने की विवशता दिखाते हुए साहब ने झाड़ा पल्ला। सत्येंद्र ने स्टिंग आपरेशन कर सबूत ला दिया जनता और प्रशासन के सामने। साहब सबूत देख 10 दिन की लंबी छुट्टी पर गए।
16 दिसंबर 2022
सत्येंद्र के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा। गिरफ्तारी के लिए पुलिसिया दबिश हुई जारी।
27 दिसंबर 2022
अपने ख़िलाफ़ फर्जी मुकदमा दर्ज किए जाने पर सत्येंद्र ने मुख्यमंत्री तथा अन्य अधिकारियों से की शिकायत और जाँच की मांग हुई शुरू।
13 जनवरी 2023
जिम्मेदारों की चुप्पी से आहत सत्येंद्र पहुँचे इलाहाबाद हाइकोर्ट। हाइकोर्ट ने सत्येंद्र की गिरफ्तारी पर लगाई रोक।
7 जनवरी 2023
डिप्टी सी.एम.ओ. ए. के. सिंह की तहरीर पर पुलिस ने सत्यम हॉस्पिटल के डॉक्टर संचालक और मैनेजर के खिलाफ दर्ज की एफ.आई.आर.
15 फरवरी 2023
हाइकोर्ट द्वारा गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने-के बावजूद पुलिस दबिश थी जारी! इसलिए सत्येंद्र ने दर्ज कराया शाहपुर थाने के खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मामला
5 फरवरी 2023
पुलिस ने सत्यम हॉस्पिटल के खिलाफ हुई एफ.आई.आर. में सत्येंद्र का नाम लगभग एक महीने बाद फ़र्ज़ी तरीक़े से बढ़ा दिया ।
23 फरवरी 2023
अपना नाम मुकदमे में बढ़ाने के खिलाफ इलाहाबाद हाइकोर्ट जा रहे सत्येंद्र की गाड़ी में पुलिस ने टक्कर मार किया घायल, कागजात किये गायब और मेडिकल कॉलेज में कराया भर्ती।
24 फरवरी 2023
मेडिकल कॉलेज से सत्येंद्र को पुलिस ने भेजा जेल।
15 मार्च 2023
जेल में रहने के दौरान ही पुलिस की मिलीभगत से सत्येंद्र के खिलाफ जारी करा दिया गया फर्जी तौर पर गैर जमानती वारंट
अप्रैल 2023
60 दिन में सत्येंद्र के खिलाफ पुलिस आरोप पत्र अदालत में पेश नहीं कर पाई। अदालत ने सत्येंद्र को दी जमानत। साथ ही सत्येंद्र को टक्कर मार घायल करने वाले थानेदार मनोज पांडेय के खिलाफ कार्यवाही के दिये निर्देश।
मई 2023
बाहर आते ही सत्येंद्र ने फर्जी तौर पर जारी कराए गए वारंट का मामला हाइकोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश तक पहुंचाया। जाँच में एक कोर्ट नाजिर (सिपाही) तथा बाद में एक न्यायिक अधिकारी पर गिरी गाज।
मई 2023
सत्येंद्र ने गोरखपुर नगर निगम में भ्रष्टाचार का स्टिंग आपरेशन कर फैला दी सनसनी। साथ ही सत्येंद्र ने पुलिसवालों के खिलाफ हत्या का प्रयास करने के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग मानवाधिकार आयोग से की। आयोग ने सुनवाई करते हुए इंस्पेक्टर मनोज पांडेय, इंस्पेक्टर मधुप नाथ, सब इंस्पेक्टर चंदन सिंह, सब इंस्पेक्टर रविन्द्र तथा सिपाही अनिल (गुलरिहा) के खिलाफ कार्यवाही करने का एसएसपी गोरखपुर को दिया निर्देश ।
मई 2023
सत्येन्द्र ने गोरखपुर दैनिक जागरण, अमर उजाला तथा चेतना मंच के पत्रकार और संपादक के खिलाफ़ आपराधिक साजिश रचने व अन्य गंभीर धाराओं के तहत कोर्ट में दर्ज कराया मुकदमा।
16 जुलाई 2023
नतीजतन सत्येंद्र पर दर्ज किया गया गैंगेस्टर का मुकदमा और गिरफ्तारी के प्रयास हुए शुरू।
20 जुलाई 2023
सत्येंद्र के खिलाफ फर्जी पुलिसिया कार्यवाही का जनता ने किया विरोध। आमलोगों समेत प्रोफ़ेसर और बाहरी जिलों में कार्यरत कई पत्रकारों ने शुरू किया आमरण अनशन। रात दस बजे प्रशासनिक अधिकारियों ने न्यायिक जाँच का आश्वासन देकर समाप्त कराया धरना प्रदर्शन।
22 दिसंबर 2023
82 सी.आर.पीसी. के तहत कार्यवाही कर पुलिस ने सत्येंद्र को किया फरार घोषित। घर पर चस्पा किया नोटिस।
दिसंबर 2023
गोरखपुर के अस्पताल माफियाओं, ड्रग माफियाओं, ड्रग डिपार्टमेंट, स्वास्थ्य विभाग तथा इन सबसे जुड़े रैकेटियर व तमाम लोगो की मिलीभगत का सबूत लेकर सत्येंद्र पहुँचे सुप्रीम कोर्ट, साथ ही अपने खिलाफ दर्ज गैंगेस्टर के मामले को भी दी चुनौती।
22 जनवरी 2024
सुप्रीम कोर्ट ने सत्येंद्र के खिलाफ गैंगेस्टर के मामले में की जा रही पुलिसिया कार्यवाही पर लगाई रोक। साथ ही प्रमुख सचिव गृह, एसएसपी गोरखपुर तथा थानाध्यक्ष गुलरिहा को जारी किया नोटिस।
पत्रकार सत्येंद्र की तरफ़ से एडवोकेट मयूरी और व्योम रघुवंशी की तरफ़ से दायर पूरी याचिका देखें-
https://drive.google.com/file/d/1Caw552dr3oKgSa0k5H66uleAbctlrb4S/view?usp=drivesdk