Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

न हेल्थ बीमा है न नगद पैसा, टीवी पत्रकार आईसीयू में, संकट में हेमंत शर्मा काम आए!

यशवंत सिंह-

प्लीज भाई, हेल्थ इंश्योरेंस रखा करो. ये जरूरी खर्चा है. ये उस वक्त काम आएगा जब कोई काम नहीं आएगा. मेरे परिचित एक टीवी पत्रकार भरी जवानी में आज आईसीयू में एडमिट कराए गए. उनकी पत्नी और भाई का फोन आया तो मैं भाग कर पहुंचा. जहां भर्ती थे वो बेसिकली बच्चों का अस्पताल था. वहां के डाक्टर ने जवाब दे दिया. इनको किसी बड़े अस्पताल ले जाइए. मल्टी आर्गेन फेल्योर का खतरा है. हार्ट में भी प्राब्लम लग रही है. छाती में निमोनिया है, इंफेक्शन तगड़ा है. खून में एसिड बढ़ा हुआ है. लीवर और किडनी लोवेस्ट मोड पर काम कर रहे हैं.

कुछ सूझा नहीं कि कहां ले जाएं. उन्हें तत्क्षण नजदीक के कैलाश अस्पताल लेकर भागे. वहां पता चला कि इनके पास हेल्थ इंश्योरेंस ही नहीं है. आईसीयू की प्रतिदिन की फीस बीस पच्चीस हजार रुपये है. अपन के होश उड़ गए. ये गरीब पंडित कहां से इतना पैसा दे पाएगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.
बीमार पत्रकार शुक्लाजी

तुरंत वरिष्ठ पत्रकार और निदेशक हेमंत शर्मा भइया को मैसेज डाला और भाग कर पहुंचा फिल्म सिटी नोएडा, टीवी9 के उनके आफिस. वहां उनको सब कुछ विस्तार से बताया और अस्पताल मालिक महेश शर्मा जी से अनुरोध करने का निवेदन किया. हेमंत सर संकट में फौरन खड़े होते हैं, बाकी समय भले उनका फोन उठे या न उठे. उन्होंने आश्वस्त किया- ठीक है यशवंत मैं प्रयास करता हूं.

हेमंत शर्मा, निदेशक, टीवी9 समूह

उनके इतना कहने का मतलब है कि काम हो जाएगा. हेमंत सर के यहां से लौटकर फिर कैलाश अस्पताल गया तो आईसीयू के डाक्टर ने बुलाया. उसने विस्तार से सब समझाया. सुगर बंदे का चार सौ हो जाया करता था. कोई देसी इलाज करता था सुगर का. पाइल्स भी रहा है. तनाव भी बहुत लेता है जीवन में. बहुधंधी है.

डाक्टर ने जो कुछ कहा उससे लगा कि मामला क्रिटिकल है. डायलिसिस की भी जरूरत पड़ सकती है. मैंने उनके परिजनों को सब समझा दिया. फिफ्टी फिफ्टी चांस मानकर चलो.

उम्मीद करते हैं कि जीवट किस्म के शुक्ला जी रोगों से उबर कर फिर मैदान में आएंगे. घर लौटते समय सोचता रहा कि मनुष्य भी क्या चीज है. जब तक स्वस्थ है तो हाय हाय है, न जाने क्या क्या पा लेने की, जब बीमार हुए तो जिंदगी का मूल्य समझ आया. लेकिन तब तलक काफी देर हो चुकी होती है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

शुक्ला जी के पास न स्वास्थ्य बीमा है न नगद पैसे हैं. 33 साल की उम्र है. सोचिए. ऐसे में कैसे होगा इलाज. वो तो सौभाग्य रहा कि हेमंत भइया मिल गए तो चीजें पटरी पर फिलहाल आ गई हैं. दवाओं का दाम देना होगा. बाइस हजार रुपये दवाओं के बिल का भुगतान किया जा चुका है. कुछ मैंने दिया. कुछ अन्य पत्रकार साथियों ने, जो मौके पर मौजूद थे.

शुक्ला जी का प्रकरण हर व्यक्ति के लिए सबक है. हेल्थ बीमा मस्ट है भाई. न महंगा वाला लो तो जनरल इंश्योरेंस आफ इंडिया टाइप कोई सस्ता वाला सरकारी हेल्थ बीमा ही ले लो. न बीस लाख का लो, पांच लाख या तीन लाख का ही बीमा कवर लो, लेकिन लो जरूर. मैंने बीमा वाला काम छोड़ दिया है. बस शौकिया एक मित्र ने जबरन एजेंट बना दिया था तो बन गया था. इसलिए बीमा कराने के लिए मुझसे कोई संपर्क न करे. हर कंपनी अब आनलाइन है. आपका कोई परिचित विशेषज्ञ हो तो उससे संपर्क करें. पर हेल्थ बीमा जरूर रखिए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज पूरा दिन अस्पताल में ही बीता. अस्पताल में रह लो तो आदमी और जिंदगी की औकात समझ में आ जाती है. तरह तरह के दर्शन मन में पनपने लगते हैं. वैराग्य उमड़ने लगता है. इन्हीं सब भांति भांति के दुखों को देखकर बुद्ध राजपाठ सब छोड़कर फाइनल सोल्यूशन खोजने निकल पड़े थे. उनने रास्ते भी बताए. लेकिन कौन उन्हें पढ़ता, फालो करता है. देश दुनिया का सिस्टम कुछ ऐसा है कि आदमी को सरवाइव करने के लिए, जीने के लिए हर वक्त मरना पड़ता है.

दो दिन से मैं ओला उबेर के बाइक से चल रहा हूं. दो तीन ड्राइवर्स से बात की. एक पंडी जी थे. एक ठाकुर साहब निकले. एक बिल्डर कंपनी में ड्यूटी करने के बाद शाम से आधी रात बाइक चलाकर पैसे कमाते हैं. ये परिवार वाले हैं. बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए इतनी मेहनत करते हैं. दूसरे सज्जन भी परिवार के साथ रहते हैं नोएडा में. रात में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं और सुबह से दोपहर बारह बजे तक बाइक चलाकर कमाते हैं. सोचिए ये लोग कौन सा हेल्थ बीमा कराएगा जब जीने के लिए पैसे नहीं है, परिवार चलाने के लिए अठारह अठारह घंटा काम करना पड़ रहा है. तो स्थितियां बहुत विकट हैं. कितना भी गुणा भाग कर लीजिए. आखिर में नतीजा में दुख ही आएगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

शुक्ला जी स्वस्थ हो जाएं, आइए कामना करें.

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. अमित तनेजा पत्रकार

    October 11, 2023 at 11:33 pm

    भैया बिल्कुल सही कहा हेल्थ इंश्योरेंस जरूर होना चाहिए
    क्योकि मैं विगत 2 साल पहले मुझे दिक्कत हुई तो रुद्रपुर के महंगे हॉस्पिटल गया खर्च आया 4 लाख रुपये
    लेकिन बीमा था तो परिवार वाले सुकून से थे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement