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सुख-दुख

मीडिया में आया तो मेरे बेबाक बोलने पर भी पाबंदी लग गई… फिलहाल दो महीने से बेरोजगार हूं…

दिखती है ज़िंदगी मुझे उस मजार पर, जिसमें कोई बेरोजगार दफन था…. मैं पिछले दो महीनो से बेरोजगार बैठा हूँ… फोकस न्यूज़ में हुए विवाद ने मेरी भी नौकरी ले ली थी… इस विवाद का दंश मैं अब तक झेल रहा हूँ… दो महीनों से नौकरी की तलाश में दिल्ली में हूँ… यहां सांत्वना को छोड़ कुछ नहीं दिया जाता… नौकरी मांगता हूँ तो सिर्फ मिलता है एक झूठा आस… मीडिया में मैंने शुरुवात की थी बे-बाक बोलने लिखने के जरिए लेकिन यहाँ अब बोलने में भी पाबंदी लग चुकी है.

<p>दिखती है ज़िंदगी मुझे उस मजार पर, जिसमें कोई बेरोजगार दफन था.... मैं पिछले दो महीनो से बेरोजगार बैठा हूँ... फोकस न्यूज़ में हुए विवाद ने मेरी भी नौकरी ले ली थी... इस विवाद का दंश मैं अब तक झेल रहा हूँ... दो महीनों से नौकरी की तलाश में दिल्ली में हूँ... यहां सांत्वना को छोड़ कुछ नहीं दिया जाता... नौकरी मांगता हूँ तो सिर्फ मिलता है एक झूठा आस... मीडिया में मैंने शुरुवात की थी बे-बाक बोलने लिखने के जरिए लेकिन यहाँ अब बोलने में भी पाबंदी लग चुकी है.</p>

दिखती है ज़िंदगी मुझे उस मजार पर, जिसमें कोई बेरोजगार दफन था…. मैं पिछले दो महीनो से बेरोजगार बैठा हूँ… फोकस न्यूज़ में हुए विवाद ने मेरी भी नौकरी ले ली थी… इस विवाद का दंश मैं अब तक झेल रहा हूँ… दो महीनों से नौकरी की तलाश में दिल्ली में हूँ… यहां सांत्वना को छोड़ कुछ नहीं दिया जाता… नौकरी मांगता हूँ तो सिर्फ मिलता है एक झूठा आस… मीडिया में मैंने शुरुवात की थी बे-बाक बोलने लिखने के जरिए लेकिन यहाँ अब बोलने में भी पाबंदी लग चुकी है.

मैं तकरीबन तीन साल से इस क्षेत्र में काम कर रहा हूँ लेकिन इन तीन साल का अनुभव काफी ख़राब रहा. मेरे बेबाक बोलने पर विराम लगा दिया गया, मेरे काम करने के तरीके में और अब मेरे भविष्य पर भी. यह कहानी मेरे साथ सिर्फ फोकस में ही हुई.

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इसे पहले प्रभात खबर (रांची) में काम किया. मस्ती में पूरा साल गुजर गया. जमशेदपुर में हमार टीवी के लिए काम किया. वहां के लोगों ने भी काफी प्रोत्साहित किया. लेकिन जब से हमार चैनल फोकस में तब्दील हुआ, लोग बदल गए, मैनेजमेंट बदला, तब से मेरी तक़दीर भी बदल गई. अब मैं चाहता हूं कि मुझे कहीं नौकरी मिले जहां कलम की पहचान हो, न कि किसी जातिवाद की और न ही चाचा भतीजे की.…

पीयूष मिश्रा

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0 Comments

  1. sanjay kr ranjan

    June 21, 2014 at 10:23 am

    Logon ki aawaj bnne ke liye is field ko joine kiye…pr yahan ki systm ne to apni hi awaj ko dba rakha hai…..kv kv mai v sochta hu ki rasta badal lu…..

  2. shamim ekbal

    September 26, 2014 at 11:10 am

    is farebi jal me kaha hai kadr sacho ki

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