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सुख-दुख

रिश्वत के लिए फाइल पर कुंडली मार कर बैठ जाता है ये अफसर, कंप्लेन पर पीएमओ भी सक्रिय

Ashwini Kumar Srivastava : 2018 की तरफ बढ़ते हुए मुझे एक बेहद बड़ी खुशखबरी यह मिल रही है कि भ्रष्टाचार और एक भ्रष्टाचारी अफसर एसपी सिंह के खिलाफ चल रही मेरी लड़ाई को खुद प्रधानमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान में ले लिया है। दोनों ही जगहों से बाकायदा मेरी शिकायत पर न सिर्फ ताबड़तोड़ जांच आरंभ हो गई है बल्कि मेरी वह सितंबर में की गई सबसे पहली शिकायत को भी पीएमओ ने दोबारा जीवित करवा दिया है, जिसे इस भ्रष्टाचारी अफसर एसपी सिंह ने न जाने कैसे सांठ-गांठ करके निस्तारित करवा दिया था।

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और, कार्यवाही की यह सारी सूचनाएं मुझे खुद पीएमओ और मुख्यमंत्री कार्यालय के शिकायत तंत्र द्वारा ही देखने के लिए पोर्टल व मोबाइल एप पर मुहैया भी करा दी गयी हैं। यही नहीं, सूत्रों की मदद से सुनने में तो यहां तक भी आ रहा है कि ढाई बरस से लटकी हमारी फ़ाइल पर अपनी मुहर लगाते हुए हमारे प्रोजेक्ट की मंजूरी का पत्र भी संभवतः आज या कल तक शासन स्तर से ही हमें दे दिया जाएगा।

उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकार अपने ही तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने में इसी तरह भविष्य में भी हर आम आदमी का साथ देती रहेगी। मैंने भी इस लड़ाई को एक आम आदमी की ही तरह लड़ा है…प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के शिकायती तंत्र का ही इस्तेमाल किया, न किसी भाजपा नेता, विधायक, सांसद, मंत्री या अफसर के सामने जाकर सोर्स सिफारिश की और न ही उसी भ्रष्टाचारी अफसर के सामने घुटने टेक कर उसे भारी घूस देकर अपना प्रोजेक्ट कराने का रास्ता अपनाया। जबकि मुझे भिड़ने की बजाय ऐसा ही करने की कई लोगों ने सलाह भी दी।

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मुझे पूरा यकीन है कि मेरी ही तरह अगर हर आदमी भ्रष्टाचारी और भ्रष्टाचार के सामने डट कर खड़ा हो जाये और घूस देने से मना कर दे…तो देर से ही सही लेकिन उसे जीत हासिल होकर रहेगी। बहरहाल, 2018 में एक अच्छी दिशा में और बेहतरीन खबर के साथ कदम रखते हुए मैं आभारी हूँ, उन सभी का, जिन्होंने हर सुख-दुख में मेरा दिल से साथ दिया है।

मेरी इस लड़ाई में भी कई लोग खुल कर मेरे साथ भी आये। उनमें सबसे ऊपर नाम Bhadas4media वाले औघड़ बाबा यानी Yashwant Singh का भी है। जो हर उस लड़ाई में खुद ही प्रकट हो जाते हैं, जो अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ी जा रही होती है। उनकी शर्त बस इतनी ही होती है, जो इस बार उन्होंने लखनऊ में साथ जमी एक महफ़िल में खुद ही बताई थी कि जिसकी लड़ाई है, उसे अपना भय छोड़कर खुलकर एक बहादुर इंसान की तरह सामने आना होगा। क्योंकि कई बार उन्हें ऐसे लोगों के लिए भी कोर्ट, कचहरी या पुलिस का सामना करना पड़ चुका है, जो खुद डर कर दुबके रहते हैं, और यशवन्त जी को अपनी लड़ाई में सूली पर चढ़वा देते हैं।

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काश, हम सभी के भीतर ऐसे ही एक बेबाक और निर्भीक यशवन्त का जन्म हो जाये और हम सभी गूंगे-बहरों की तरह भ्रष्टाचार और अन्याय को सहकर मुर्दे बने रहने की बजाय यशवन्त जी की तरह भड़ास निकाल कर इस दुनिया को ही बदल कर रख दें…

अश्विनी कुमार श्रीवास्तव की एफबी वॉल से. अश्विनी दिल्ली में नवभारत टाइम्स, दैनिक हिंदुस्तान, बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे बड़े अखबारों में लंबे समय तक पत्रकारिता करने के बाद कई साल से यूपी की राजधानी लखनऊ में बतौर रीयल इस्टेट उद्यमी सक्रिय हैं.

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पूरे प्रकरण को विस्तार से समझने के लिए नीचे दिए शीर्षकों पर क्लिक कर पढ़ें :

यूपी के एक दुखी युवा उद्यमी का दर्द- ”योगी जी के राज में देर भी है, अंधेर भी”

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एक बिल्डर का आरोप- ”योगी जी के सजातीय एसपी सिंह निरंकुशता और भ्रष्टाचार की जीती जागती मिसाल बन चुके हैं”

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