कार की टक्कर के बाद पत्रकार तड़पता रहा, पुलिस वाला पास भी नहीं आया… दोस्तों, अपने अनुभव के आधार पर पुलिस को लेकर अपनी बात रख रहा हूं। 11 अक्टूबर की रात लगभग 11:30 पर लखनऊ के सेंट फ्रांसिस स्कूल के पास एक तेज रफ़्तार वैगन आर ने पीछे से मेरी बाइक पर जोरदार टक्कर मारी और वो तेजी से निकल गया। अपनों के आशीर्वाद से मेरी जान तो बच गई लेकिन शरीर पर चोट आई थी। लेकिन दिल पर गहरा घाव वो पुलिसकर्मी दे गया, जो दूर से यह सब देखता रहा। लेकिन उसने करीब आकर ये देखने की जहमत तक नहीं उठाई कि इतनी तेज टक्कर होने के बाद घायल बाइक सवार यानि मैं, जिंदा हूं या मर गया। बन्दे ने पास की दूकान से गुटखा ख़रीदा, खाया और निकल गया।
इसके बाद अब मेरी सोच पुलिस वालों को लेकर बिलकुल बदल गई है। जबसे पत्रकारिता में आया हूं, हमेशा पुलिसकर्मी से जुडी जब भी कोई वसूली, रिश्वतखोरी की खबर आती या फिर किसी और कारणों से उन पर उंगली उठती तो मुझे लगता कि कुछ पुलिसवालों की वजह से सभी को गलत ठहरा दिया जाता है। लेकिन पहले सीएमएस चौक के पास हुए एक्सीडेंट जिसमें घायल की जान पुलिसकर्मी की लापरवाही से गई, और फिर अपने साथ हुए हादसे में एक पुलिसकर्मी का गैर-संवेदनशील रवैया देख कर इनसे विश्वास उठ गया है।
अब सिर्फ एक चीज समझ आई कि अपने भरोसे रहिए… ये पुलिस वाले किसी के भी सगे नहीं हैं। ये भी समझ में आ गया कि आखिर फरियादी दबंगों की देहरी पर क्यों जाते हैं, थाने क्यों जाने से डरते हैं। मित्र, आप सबको मेरी तरह से बिन मांगी एक सलाह है। जान लीजिए, ध्यान दीजिए, याद रखिए…. पुलिस सिर्फ एक धोखा है… इस धोखे से आपका विश्वास उठना-उठाना ही आपकी सेहत के लिए शुभ होगा।
Regards,
ashish sharma ‘rishi
lucknow
mo- 09721921921
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rishi
October 14, 2017 at 9:32 am
मेरी आपबीती को यशवंत भैया ने भड़ास पर स्थान दिया उसके लिए हमेशा मैं उनका आभारी रहूंगा| ये सिर्फ इसलिए नहीं कह रहा कि उन्होंने मेरी बात को भड़ास पर स्थान दिया| बल्कि इसलिए की एक बड़ा भाई जिस तरह सुख-दुःख में छोटे के साथ खड़ा हो उसे सहारा देता है ये उसके लिए है|
थैंक्स भैया!!