Connect with us

Hi, what are you looking for?

आवाजाही

भास्कर ने ट्रांसफर के बाद ज्वाइन नहीं करने वाले अपने वरिष्ठ पत्रकार को यह दी सजा

  • इस्तीफ़ा देने के 7 दिन बाद अख़बार में आम सूचना छाप कर किया जलील

यह मामला राजस्थान के नागौर के एक वरिष्ठ पत्रकार का है। भास्कर ने इस वरिष्ठ पत्रकार से इस्तीफा भी ले लिया और उसके खिलाफ आम सूचना भी छाप दी कि अब इस पत्रकार का भास्कर ग्रुप से कोई लेना-देना नहीं है, यदि कोई अनुबंध करेगा तो दैनिक भास्कर ग्रुप को मान्य नहीं होगा।

दरअसल नागौर में बरसों तक ब्यूरो चीफ रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद आचार्य का सितंबर माह में नागौर से बाड़मेर ट्रांसफर किया गया था। आचार्य ने कंपनी के उच्चाधिकारियों से गुहार की कि उनके दोनों बच्चे नागौर में कॉलेज में एडमिशन ले चुके हैं और वे नागौर में किराए के मकान में रहते हैं इसलिए वह कम वेतन में बाड़मेर में रहकर बच्चों की परवरिश करने में असमर्थ हैं। इसलिए उनका तबादला निरस्त किया जाए।

प्रमोद आचार्य मूलरूप से बीकानेर के निवासी है। उन्होंने स्थानांतरण निरस्त कराने के लिए भास्कर के एमडी सुधीर अग्रवाल को भी पत्र लिखा और आग्रह किया कि कंपनी ने बाड़मेर ट्रांसफर करने के दौरान उनका वेतनमान भी नहीं बढ़ाया है इसलिए वे किसी सूरत में बाड़मेर में रहकर अपना घर नहीं चला पाएंगे ।

बार-बार रिक्वेस्ट करने के बाद भी उनका तबादला निरस्त नहीं किया गया तो आचार्य नागौर में ही अपने किराए के मकान में रहने लगे और वर्क विदाउट पेमेंट हो गए। कंपनी ने उनकी रिक्वेस्ट पर कोई सुनवाई नहीं की और उन पर बाड़मेर ज्वाइन करने या फिर त्यागपत्र देने का दबाव बनाया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बताया जाता है कि 11 जनवरी को प्रमोद आचार्य ने अपना त्याग पत्र दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर श्री ओम गौड़ को भेज दिया था क्योंकि ओम गौड़ ही उनसे बार-बार त्यागपत्र मांग रहे थे मगर इसके बावजूद दैनिक भास्कर ने नागौर एडिशन में यह आम सूचना छाप दी कि प्रमोद आचार्य अब भास्कर में नहीं है और उनसे किया गया अनुबंध अब दैनिक भास्कर को मान्य नहीं होगा।

यह सरासर अन्याय है क्योंकि प्रमोद आचार्य ही दैनिक भास्कर में अपना हिसाब मांग रहे है जबकि भास्कर का उन पर किसी तरह का बकाया नहीं है। वह डिफॉल्टर नहीं है ओर ना ही कंपनी ने उसे किसी तरह का नोटिस दिया है। उसके बावजूद कंपनी ने 18 जनवरी को नागौर भास्कर में आम सूचना छाप कर एक तरीके से उनको जलील किया है ।

अब यदि पत्रकार प्रमोद आचार्य न्यायालय की शरण लेंगे तो ही उन्हें वास्तविक न्याय मिलेगा। बाकी मीडिया हाउस तो हमेशा ही 50 प्लस के पत्रकारों के साथ इसी तरह का क्रूरता से बर्ताव करते आये हैं और यही मीडिया हाउसेस का इतिहास रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement