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प्रसार भारती की नीति से परेशान मीडियाकर्मी डीडी न्यूज छोड़ जा रहे एआईआर!

प्रसार भारती की गलत नीतियों के कारण डीडी न्यूज के कर्मचारी डीडी न्यूज छोड़ जा रहे हैं ऑल इंडिया रेडियो। डीडी न्यूज का डॉट कॉम इन दिनों बुरे दौरे से गुजर रहा है। इसकी वजह है यहां के अधिकारियों का ढुलमुल रवैया और प्रसार भारती की दोगली नीति। डीडी न्यूज के हिंदी डॉट कॉम से कुछ कर्मी डीडी न्यूज छोड़कर ऑल इंडिया रेडियो के डॉट कॉम में ज्वाइन कर लिया है। ज्वाइनिंग के महज 6-7 महीने के भीतर डॉट कॉम के 4 विकेट गिर चुके हैं।

<p>प्रसार भारती की गलत नीतियों के कारण डीडी न्यूज के कर्मचारी डीडी न्यूज छोड़ जा रहे हैं ऑल इंडिया रेडियो। डीडी न्यूज का डॉट कॉम इन दिनों बुरे दौरे से गुजर रहा है। इसकी वजह है यहां के अधिकारियों का ढुलमुल रवैया और प्रसार भारती की दोगली नीति। डीडी न्यूज के हिंदी डॉट कॉम से कुछ कर्मी डीडी न्यूज छोड़कर ऑल इंडिया रेडियो के डॉट कॉम में ज्वाइन कर लिया है। ज्वाइनिंग के महज 6-7 महीने के भीतर डॉट कॉम के 4 विकेट गिर चुके हैं।</p>

प्रसार भारती की गलत नीतियों के कारण डीडी न्यूज के कर्मचारी डीडी न्यूज छोड़ जा रहे हैं ऑल इंडिया रेडियो। डीडी न्यूज का डॉट कॉम इन दिनों बुरे दौरे से गुजर रहा है। इसकी वजह है यहां के अधिकारियों का ढुलमुल रवैया और प्रसार भारती की दोगली नीति। डीडी न्यूज के हिंदी डॉट कॉम से कुछ कर्मी डीडी न्यूज छोड़कर ऑल इंडिया रेडियो के डॉट कॉम में ज्वाइन कर लिया है। ज्वाइनिंग के महज 6-7 महीने के भीतर डॉट कॉम के 4 विकेट गिर चुके हैं।

डीडी न्यूज डॉट कॉम में कन्टेंट एक्जीक्यूटिव की भर्ती 20 हज़ार रुपये प्रति माह पर की जा रही है जबकि आकाशवाणी उसी पोस्ट के लिए 25 हज़ार रुपये दे रहा है। इतना ही नहीं, प्रसार भारती की एक ही नियमावली के तहत काम करने वाले डीडी न्यूज और आकाशवाणी की अपनी नीतियों में जमीन-आसमान का अंतर है। जनवरी माह में एक लंबी प्रक्रिया (राष्ट्रीय स्तर की लिखित परिक्षा बाद में साक्षात्कार) के बाद डीडी न्यूज ने डॉट कॉम की हालत सुधारने के लिए 20 हज़ार रुपये मासिक पर करीब 21 कंटेंट एक्जिक्यूटिक की भर्ती की थी, लेकिन पद केवल 17 लोगों ने ही संभाला।

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इसके बाद करीब 6 माह तक अनुबंध पत्र देने के लिए कर्मचारियों को खूब दौड़ाया। उसके बाद परिचय पत्र की बारी आई…हालात ये हैं कि नए कंटेंट एक्जीक्यूटिव ने अब परिचय पत्र के बारे में सोचना ही छोड़ दिया है। दूरदर्शन में प्रवेश के लिए इन लोगों को पास आदि की प्रक्रिया में रोजना 10-15 मिनट का समय गंवाना पड़ता है। परिचय पत्र के लिए यहां का सुरक्षा विभाग पुलिस सत्यापन करने की बात कहता है। पासपोर्ट को ये लोग तरजीह नहीं देते उधर पुलिस विभाग 100 रुपये के स्टांप पेपर पर छपे लंबे-चौड़े अनुबंध पत्र को स्वीकार करने से इंकार कर रहा है।

पुलिस का कहना है कि दूरदर्शन के लेटर हैट पर ज्वाइनिंग होनी चाहिए। इन बातों पर ऑल इंडिय रेडियो के नियम जुदा हैं। वहां रेडियो खुद ही अपने लैटर हैट पर अपने कर्मचारियों को ज्वाइन कराता है तथा खुद ही परिचय पत्र तैयार कर मुहैया कराता है। इन वजहों से डीडी नयूज का डॉट कॉम एक बार फिर स्टाफ की कमी का सामना कर रहा है। इस कमी को देखते हुए प्रसार भारती ने पुनः आवेदन मांगें हैं…लेकिन 400 रुपये के ड्राफ्ट के साथ लेकिन पुराने नियमों पर ही। इस तरह प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया का सारा दिन राग अलापने वाला डीडी न्यूज खुद इस अभियान में पलीता लगा रहा है।

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एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.


इस पोस्ट पर रिमझिम नामक एक महिला कर्मी का मेल भड़ास के पास आया है जिनमें उन्होंने उपरोक्त बातों को निराधार बताया है… रिमझिम का पक्ष यूं है…

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sir

This is Rimjhim.

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i am very disappointed regarding this news. this is baseless information. Designations are different and Salary are also. Your team should verify this information. Both organisation is working under prasar bharti and both organisation pays according to the prasar bharti policy.

If one person is hired for the post content manager, both the organisation pays same salary. Ur team could verify from the organisation’s website. And the last thing is that, this is my personal choice, so i’ll not allow this to say anything about me without my concern. so, sir its my humble request to publish clarification regarding this on the said website and further you may contact me on [email protected]

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Rimjhim

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