नई दिल्ली | प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) के गवर्निंग बॉडी चुनाव से एक दिन पहले, माहौल में गर्म होता दिखा. इस चुनाव मेज पर सबसे बड़ा एजेंडा, भारत में प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारों को उत्पीड़न से बचाने का है.
चुनाव में दो गुटों के उभरने के साथ, मौजूदा पैनल उन प्रतिद्वंद्वियों के साथ प्रतिस्पर्धा करता दिख रहा है जो उनकी योजनाओं में बाधा डाल सकते हैं.
बता दें कि शनिवार 9 नवंबर को वोटिंग होनी है, जिसमें 4,532 सदस्य मतदान करने के पात्र हैं.
द इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट में प्रकाशित खबर के अनुसार, वर्तमान अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने कहा- “हमने प्रेस क्लब को यथासंभव जीवंत और समावेशी बनाए रखा है. प्रबंधन समिति यह सुनिश्चित करती है कि हर साल हमारे पास एक स्थानीय भाषा का पत्रकार, वीडियो पत्रकार, एक मैगजीन पत्रकार और एक फोटो पत्रकार शामिल हो. हमने दक्षिण और उर्दू समाचारों के स्थानीय पत्रकारों को शामिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है.”
लाहिड़ी ने आगे कहा- “मौजूदा पैनल का अभियान एक मसौदा विधेयक पर टिका है जिसे वे सत्ता में आने पर आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं. मीडिया पारदर्शिता (और जवाबदेही) विधेयक 2024, मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ शिकायतों की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय मीडिया परिषद- एक प्रतिनिधि निकाय की स्थापना का आह्वान करता है. इसका उद्देश्य सरकारी विज्ञापन के माध्यम से वित्तीय दबाव और स्वामित्व में पार्दर्शिता की कमी के खिलाफ प्रावधान प्रदान करना भी है. लाहिड़ी ने महिलाओं की सदस्यता संख्या बढ़ाने व उपरोक्त बातों के साथ सदस्यों से अपने पैनल को बनाए रखने की अपील की.”
वहीं, विरोधी उम्मीदवारों ने कहा कि- “क्लब में प्रदान की जाने वाली सुविधाओं की गुणवत्ता में गिरावट आई है. कोषाध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे नरेश गुप्ता ने कहा कि, हम महीनों से बेहतर कुर्सियों की मांग कर रहे हैं.. पहले वे अच्छी गुणवत्ता वाले ब्रांडों से बनी चाय परोसते थे, वह भी बर्बाद हो गई है. यहां तक की सदस्यों को क्लब में परोसे जाने वाले भोजन और पेय की कीमतों में मनमाने ढंग से वृद्धि की शिकायत की है.”
विपक्षी पैनल के उम्मीदवार अरुण शर्मा ने कहा- “कीमतों में 50 पैसे की बढ़ोतरी के बारे में भी सदस्यों को सूचित किया जाता था, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं किया जाता. शर्मा ने कहा, वह अपने चुनाव अभियान के वादे के तहत भोजन और मादक पेय (दारू इत्यादि) की कीमतों में कमी की पेशकश करते हैं.”
उन्होंने कहा कि, “हमारी (मीडिया) बिल को रद्द करने की कोई योजना नहीं है, लेकिन हम इसकी समीक्षा करेंगे.”
पीसीआई सदस्य भी उम्मीदवारों की विभिन्न योजनाओं को लेकर बंटते दिखे. रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार नीलम महाजन के हवाले से लिखा गया है कि- “विकल्प होने चाहिए, पिछले कुछ वर्षों से एक निश्चित पैनल की ओर से एकतरफा आलोचना हो रही है. मैं क्लब में बेहतर माहौल चाहती हूं. यह विशेष रूप से पत्रकारों के लिए होना चाहिए, इसे महिलाओं और युवा पत्रकारों के लिए एक सुरक्षित और खुला वातावरण बनाना चाहिए.”
क्लब की सदस्य व पत्रकार शबाना ने कहा कि- “मैंने यहां चार बार मतदान किया है. मौजूदा पैनल ने बेहतर काम किया है. जहां तक कीमतों का सवाल है तो क्लब इसमें कैसे मदद कर सकता है. यदि बाहर दरें बढ़ाई गईं तो इसका असर यहां की कीमतों पर भी पड़ेगा. बाकी यहां शाम के 7 बजते ही लोग सराब पीना पसंद करते हैं, लेकिन मैंने शायद ही कभी कोई लड़ाई-झगड़ा होते देखा हो.”
20 वर्षों से ज्यादा समय से क्लब के सदस्य अमित मल्होत्रा कहते हैं- “मैंने पिछले 20 सालों में सुविधाओं में कोई सुधार नहीं देखा है. वे कम से कम एक बेहतर मनोरंजन क्षेत्र बना सकते थे या कुछ खेल जोड़ सकते थे… इसके बजाय हमारे पास वही पुराने कैरम बोर्ड हैं.”