महिला दिवस 8 मार्च के दिन पहली बार एहसास हुआ कि भारत में एक विकलांग होना कितना बड़ा अभिशाप है। मैं एक विकलांग पत्रकार हूं। नाम है हिमांशु। श्री न्यूज़, इंडिया वॉयस, जनता टीवी और टीवी100 के साथ-साथ आकाशवाणी में काम कर चुका हूं।
दिनांक 8-03-2020 को दिल्ली से मैनपुरी अपने घर होली मनाने के लिए निकला। सुबह से माता जी का फोन आ रहा था कि आ जाओ-आ जाओ तो सोचा मां के लिए ही सही, जाना चाहिए। कैसे भी करके मैनेज किया। लेकिन आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर जो मेरे साथ हुआ उसने मुझे रुला दिया। साथ ही मुझे एहसास करवा दिया कि तुम विकलांग हो, ये एक पाप है, लोगों की नजरों में।
परेशानियों की शुरुआत टिकट काउंटर से हुई। रेलवे स्टेशन पर विकलांग टिकट काउंटर बंद था। बगल वाले काउंटर पर टिकट मांगा तो विपरीत दिशा में 5 काउंटर छोड़कर जाने को कहा गया। होली के पर्व की वजह से भीड़ थी तो मैंने विकलांगता का हवाला देकर टिकट की मांग की तो बदतमीजी की गई।
ट्रेन आ चुकी थी तो इसलिए मैंने बिना टिकट के ही यात्रा करने का मन बनाया, हालांकि यह गलत है, मैं मानता हूं लेकिन मरता क्या न करता।
ट्रेन की जानकारी हेल्प डेस्क से मांगी तो कहा गया कि 4 नंबर प्लेटफॉर्म पर आएगी। मैंने पूछा किधर से जाना है तो सीढ़ियों की तरफ इशारा किया गया।
सीढियां चढ़ने के बाद जब ऊपर पहुंचा तो पता चला प्लेटफॉर्म नंबर-4 तो नीचे ही है।
गुस्सा आया लेकिन फिर छड़ी के सहारे सीढ़िया उतरी और नीचे आ गया। नीचे आने पर मैंने पूछा कि विकलांग बोगी आगे हैं की पीछे तो जानकारी मिली की पीछे है।
18 बोगी की ट्रेन को पैदल चलकर पारकर पीछे पहुंचा तो पता चला विकलांग बोगी आगे लगी है। फिर से गुस्सा आ गया लेकिन ट्रेन छूटने वाली थी तो किसी भी तरह बिना टिकट के ही ट्रेन के पीछे पहुंचा तो जानकारी मिली की ट्रेन में विकलांग बोगी आज लगाई ही नहीं गई।
फिर याद आया कि ट्वीट करके मदद मांगने पर मदद जल्दी मिल जाती है तो मैंने ट्वीट कर दिया। ट्वीट के रिप्लाई का इंतजार करते करते ट्रेन सामने से निकल गई। मैं आंखों में आंसू लिए देखता रहा।
वापस घर आया तो रेलवे अधिकारी राकेश प्रसाद ने कॉल करके पूछा कि कहां है आप। मैंने कहा- मैं घर आ गया। मैं गुस्से में था इसलिए थोड़ा तेज आवाज में बात कर रहा था। हालांकि मैंने गाली नहीं दी। लेकिन राकेश प्रसाद जी को गुस्सा ऐसा आया कि मुझे ही फोन पर गालियां सुना दी। इसकी कॉल रिकॉर्डिंग मेरे पास है।
अब अफसोस इस बात का है कि एक पढ़ा लिखा विकलांग जब इतनी परेशानी झेल रहा है तो सोचिए उन विकलांगों के बारे में जो पढ़े लिखे नहीं है और डर की वजह से आवाज भी नहीं उठा पाते उनके साथ क्या-क्या नहीं होता होगा। इस बीच मां का फोन भी आ गया और पूछा कहां हो तो जवाब सिर्फ इतना निकला नहीं आ पाया और बहुत रोना आया इसलिए फोन काट दिया क्योंकि घर में मां का भी बुरा हाल हो जाता।
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Himanshu and Rail officer Audio
HIMANSHU KUMAR
[email protected]
Jharkhand working journalists union
March 12, 2020 at 5:44 pm
Railway higher authority should take action against Rakesh prasad.