काकोरीकांड के महानायक शहीद-ए-वतन अशफ़ाक़ उल्लाह खान, सामाजिक सदभावना के प्रतीक क्रांतिवीर राम प्रसाद बिस्मिल व ठाकुर रोशन सिंह को समर्पित शाहजहांपुर रंग महोत्सव का 16 दिसम्बर को गांधी भवन प्रेक्षाग्रह, शाहजहांपुर में आगाज हो गया है। इस चार दिनी कार्यक्रम का डिजिटल पार्टनर भड़ास4मीडिया डॉट कॉम है। पंचम शाहजहांपुर रंग महोत्सव के धमाकेदार आगाज़ वाले दिन प्रथम सत्र में नृत्य प्रस्तुतियां हुईं। पहली प्रस्तुति भरतनाट्यम के रूप में नृत्यधाम लखनऊ की दक्षता तिवारी और विदुषी सिंह के युगल नृत्य के साथ हुई। फिर वहीं की प्रेक्षा गुप्ता ने भरतनाट्यम कीर्तिनम प्रस्तुत किया। डुएट रॉकर्स सहारनपुर ने पंजाबी लोकनृत्य प्रस्तुत किया। नृत्यधाम की विदुषी ने कथक तो आरना सिंह ने शिव स्तुति पेश की।
इससे पूर्व गांधी भवन के प्रेक्षागृह में रंगकर्म की इंक़िलाब मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष अजय यादव ने वक्तव्य दिया। रंग महोत्सव कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शहीद-ए-वतन अशफ़ाक़ उल्लाह खान के प्रपौत्र ने कहा कि आज फिर से आज़ादी के लिए एक युद्ध लड़ना होगा। उन्होंने ये शेर सुनाया- ‘ये आँखें हैं तुम्हारी या तकलीफ का उमड़ता हुआ समुन्दर, इस दुनिया को जितनी जल्दी हो बदल देना चाहिए’। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर आनंद प्रकाश मिश्रा ने की। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन उस दिन से समाप्त होना शुरू हो जाता है जिस दिन हम उन मुद्दों को लेकर चुप्पी साध लेते हैं जो मायने रखते हैं.
कार्यक्रम की शुरुआत विशिष्ट अतिथि ने मां सरस्वती व शहीदों के चित्रों के सामने दीप जलाकर की। अनन्या सक्सेना ने मनोहारी गणेश वंदना प्रस्तुत की। प्रभा मौर्य द्वारा प्रशिक्षित बालिकाओं ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत पेश कर धूम मचाई। इसके बाद कलाकारों ने रंग-बिरंगी परिधानों में सज-धजकर कत्थक नृत्य पेश कर खूब तालियां बटोरी।
नृत्यधाम लखनऊ की दक्षता तिवारी व विदुषी ने भरत नाट्यम कर गणेश वंदना पेश की। प्रेक्षा गुप्ता ने भरत नाट्यम और कीर्तिनम पेश किया। रॉकर्स सहारनपुर ने पंजाबी लोकनृत्य से तालियां बटोरी। नृत्यधाम की विदुषी ने कत्थक और आरना सिंह ने शिव प्रस्तुति पेश की।अतिथियों ने शारंगम की डॉ. महेश प्रजापति द्वारा संपादित स्मारिका का विमोचन भी किया। मीडिया प्रभारी शिवम् श्रीवास्तव ने बताया उद्घाटन सत्र में महासचिव शमीम आजाद, कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, रफ़ी खान, संजय डोनाल्ड सिंह, अजय मोहन शुक्ला, एनुल हक, संजीव सोनू, अरविंद चोला, संजय राठौर, अतीक रहमान, परविंदर सिंह, महमूद खान आदि का अहम योगदान रहा।
इसके बाद चार नाटकों का मंचन हुआ. नारी की वेदना को चरितार्थ कर गया “अत्याचारी नारी”. रंग महोत्सव में पहले नाटक के रुप में ‘अत्याचारी नारी’ का मंचन किया गया। वायरल आर्य द्वारा लिखित नाटक में नारी की वेदना को चरितार्थ किया गया। नाटक के जरिए नारी पर होने वाले अत्याचार को बयां किया गया।
“सरफ़रोशी की तमन्ना” को मानसी अभिनय और सहारनपुर के कलाकारों ने किया पेश। उन्होंने दिखाया की किस तरह से काकोरी कांड के अमर नायकों ने सिर पर कफन बांधकर भारत माता को आजाद कराने के लिए काम किया। वह पूरी कहानी ‘सरफरोशी की तमन्ना नाटक में बयां की गई। नाटक के लेखक आदित्य शर्मा और निर्देशक योगेश पवार हैं।
अरे शरीफ लोग और तेतू ने बटोरी तालियां… कार्यक्रम के दौरान संस्कार कला आश्रम आरा बिहार का तेतू नाटक भी पेश किया। इसके लेखक कन्हाई लाल व निर्देशन सूर्य प्रकाश ने किया। इसी तरह ड्रामाटर्जी दिल्ली के कलाकारों ने अरे शरीफ लोग का मंचन किया। जयवंत दलवी द्वारा लिखित और सुनील चौहान निर्देशित नाटक में कलाकारों ने खूब तालियां बटोरी।
ज्ञात हो कि इस महोत्सव की शुरुआत २०१४ में की गयी थी और शहीदों की नगरी शाहजहांपुर में आयोजित होने वाला ये पहला महोत्सव है जिसमे देश भर के २० से ज्यादा प्रदेशों के लगभग ६०० से ज्यादा कलाकार यहाँ आकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। गत ४ वर्षों से ओडिशा, असम , मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , मणिपुर , उत्तर प्रदेश , कर्नाटक , राजस्थान व दिल्ली के कलाकारों ने अपनी संस्कृत, सभ्यता का अपनी कला के प्रदर्शन से दर्शकों को अवगत कराया जिसको दर्शकों ने खूब सराहा।
नृत्य के अलावा इस महोत्सव में देश भर से आई कई संस्थाओ द्वारा नाटको का मंचन भी किया जाता है। नाटक की अवधी ७० मिनट की होती है जिसमे कलाकारों को १० मिनट का समय सेट लगाने व ६० मिनट का समय नाटक के मंचन के लिए दिया जाता है। पिछले साल लगभग २१ नाटकों का मंचन हुआ।
महोत्सव के अंतिम दिन यानी की १९ दिसम्बर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक रंग यात्रा का भी आयोजन किया जाता है जिसमे देश भर से आई सभी संस्थाए अपनी कला का प्रदर्शन करती है। ये रंग यात्रा सुबह १० बजे से अग्रसेन भवन से शुरू होती है और शहर के मुख्य मार्ग जैसे की चौक, घंटाघर, सदर बाज़ार होते हुए नगर निगम पर लगी शहीदों की प्रतिमाओ पर पुष्प अर्पित करते हुए इसका समापन होता है। १६, १७, १८ को प्रतियोगिता के हिस्सा लेने वाले नाटक व नृत्य आयोजित होते हैं व अंतिम दिन शाम को नृत्य की स्पेशल परफॉरमेंस के साथ परिणाम की घोश्रना व पुरस्कार वितरण किया जाता है।
इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए ६ महीने से पूरी आयोजन समिति का दल एकजुट होकर काम करता है जिसमें अभिव्यक्ति नाट्य मंच के महासचिव शमीम आज़ाद, कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, संजय राठौर, संजय डोनाल्ड सिंह, अतीक रहमान, अरविन्द चोला, गुल्शाद, विकास भारती, रफ़ी खान, शिवम् श्रीवास्तव व अभिव्यक्ति नाट्य मंच के सभी रंगकर्मियों की दिन रात की मेहनत का अहम योगदान रहता है|