राणा यशवंत टीवी न्यूज इंडस्ट्री में पहले ऐसे मैनेजिंग एडिटर होंगे जिनकी रची ग़ज़लों का एलबम आ रहा है. राणा यशवंत इंडिया न्यूज चैनल में मैनेजिंग एडिटर पद पर कार्यरत हैं. राणा यशवंत टीवी न्यूज इंडस्ट्री में एक अलग मायने का नाम है. अलग सोच, अलग तबीयत, अलग फलसफा और कुछ अलग करने की धुन. एक ऐसा पत्रकार जो अपनी कविता में लिखता है कि – ‘बहुत कमजोर करती हैं, चुप्पियां जब शोर करती है’ और पिछले दो महीनों से अपनी सेहत, फिर मां की सेहत को लेकर समय के साथ होड़ करते राणा यशवंत, निजी जीवन में सचमुच कमजोर हो गए थे. लेकिन उनकी रचनात्मक सक्रियता उस वक्त भी शोर पैदा कर रही थी. वक्त से लगातार होड़ करने और राणा य़शवंत होने की गवाही लेकर, पिछले दो महीने की चुप्पियां अब सामने आई है.
राणा यशवंत की नज्मों और ग़ज़लों का एलबम “दरमियां” अगले एक-दो महीनों में टाइम्स म्यूजिक से आनेवाला है. इसका प्रोमो तैयार हो चुका है और इसमें राणा य़शवंत की गूंज है. इसमें उनकी क्रिएटिविटी की ऊंचाई का अंदाजा होता है और जज्बात की गहराई का भी. टाइम्स म्यूजिक से अलबम के आने का मतलब ही् है कि ग़ज़लें उम्दा हैं और वे राणा यशवंत के एक और चेहरे को लेकर सामने आएंगी. राणा उनके काव्य संग्रह “अंधेरी गली का चांद” की हिंदी साहित्य में खासी चर्चा रही थी और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता साहित्यकार केदारनाथ सिंह ने कई कविताओं को कालजयी कहा था.
टीवी न्यूज इंडस्ट्री में खबरों की बारीक समझ और उनके ट्रीटमेंट के लिहाज से राणा यशवंत अपनी अलग पहचान रखते हैं. उनकी शख्सियत एक अलग तरह का विस्तार लिेए हुए है. कलम और ज़ुबान दोनों के माहिर राणा यशवंत देश और समाज को उसके छोटे-छोटे बदलाव की बुनियाद तक देखते हैं. इसीलिए उनकी समझ में सफाई और जुबान मे साफगोई हैं. कलम भी कमाल की है. राणा यशवंत की तरह के बहुत कम पत्रकार हैं, जिन्होंने जमीनी सच्चाई और इंसानी सरोकार, दोनों सिरों से खबरों को जोड़े रखा है. आज दो फाड़ में बंटे मीडिया में पत्रकारिता के वजूद को बचाए रखनेवालों की लड़ाई में यशवंत की तरह के लोग आपको कम दिखेंगे. उनके अलबम में भी इंसानी रिश्तों की यह आवाज गूंजती है.
राणा यशवंत की चुप्पियां यहीं नहीं ठहरतीं, बल्कि उनका इंडिया न्यूज पर बेहद चर्चित साप्ताहिक शो “अर्धसत्य” भी किताब की शक्ल में आनेवाला है. इसका एक हिस्सा इस साल के चुनावों के बाद पूरा होगा. इसलिए किताब जून या फिर जुलाई में प्रकाशित होगी. अर्धसत्य, वो हिस्सा है जिसके बिना सच पूरा नहीं होता. यह शो अपनी इसी खूबी के कारण अलग पहचान रखता है. इसके असर का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “अर्धसत्य” के बारे में चिट्ठी लिखी थी और इस बात के लिए तारीफ की थी कि देश और समाज को सामने सच रखने और लोगों की सोच बदलने में “अर्धसत्य” ने अच्छी भूमिका निभाई है. “अर्धसत्य” के कुछ चुनिंदा एपिसोड को छोटी-छोटी कहानियों के जरिए एक किताब की शक्ल में लाने की तैयारी राणा यशवंत ने कर ली है. इस साल चुनावों के बाद शिल्प, कथ्य और कला के लिहाज से एक अलग तरह का पत्रकारीय साहित्य “अर्धसत्य” के रुप में सामने आएगा.
राणा यशवंत ने पिछले दो महीनों में उपन्यास का एक प्लॉट भी तैयार कर लिया है. उपन्यास का नाम है “मन पाखी”. यह एक प्रेम उपन्यास है, जिसको संभव है हिंदी साहित्य के चुनिंदा प्रेम उपन्यासों में आगे गिना जाए. यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि साहित्य पढने, समझने और लिखने में राणा यशवंत की पैठ गहरी है. साहित्य और संस्कृति की उनकी समझ ज्यादातर टीवी पत्रकारों से उन्हें अलग करती है. इसलिए राणा यशवंत के समझने और कहने में कोई उलझाव या उलझन कभी नहीं दिखते. उनसे जब भी आप बात करें, एक साफ राय और सीधी भाषा में साफ संदेश वाला सुलझा पत्रकार नजर आता है. राणा यशवंत की यही खूबियां, खबरों की दुनिया में उनको अलग पत्रकार के रुप मेंं खड़ा करती है. आनेवाले दिनों में उनका अलबम “दरमियां”, उनकी किताब “अर्धसत्य” और उपन्यास “मन पाखी” हिंदी साहित्य और पत्रकारिता की दुनिया में खासी चर्चा बटोरेंगे, ये आप कह सकते हैं. उनके अलबम के कुछ प्रोमो के लिंक नीचे दे रहा हूं, सुनिए और फिर अंदाजा लगाइए.