Vineet Kumar : मैं तो प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को सुझाव देना चाहता हूं कि आप ये बिल्कुल स्पष्ट कर दो कि कौन बीजेपी का पत्रकार है, उसके लिए काम कर रहा है, कौन कांग्रेस के लिए या किसी दूसरी पार्टी के लिए. सारा झंझट ही खत्म हो जाएगा. कम से कम लोगों के सामने चीजें स्पष्ट तो होंगी… लेकिन ये बात बर्दाश्त नहीं की जा सकती कि हम मेहनत से, बिना किसी से प्रभावित हुए काम करें और आप हमें दलाल बताएं.
ये सवाल आप मुझसे या पत्रकार समुदाय से मत कीजिए कि भारत में पत्रकारिता का क्या भविष्य है? ये सवाल समाज से किया जाना चाहिए कि आखिर आप किस तरह का पत्रकार चाहते हैं? इस पेशे में लोग आते हैं, शुरू-शुरू में सवाल करते हैं, असहमति जताते हैं लेकिन आखिर तक आते-आते या तो उनकी रीढ़ तोड़ दी जाती है, इसी सिस्टम के कल-पुर्जे हो जाते हैं और सब कुछ पहले की ही तरह बरकरार रहता है, कुछ भी बदलता नहीं. रही बात राजनीतिक पार्टियों की तो जो सत्ता से बाहर हैं, वो हर बात में सरकार की तरफ सवाल तो जरूर उछाल देते हैं लेकिन लोगों के बीच जाकर काम नहीं करते.. आखिर ड्राइंगरूम से बैठकर बयान जारी करते रहने से कितना-कुछ बदल सकेगा?
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युवा मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.
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