इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए आज की सबसे बड़ी ख़बर ओमेगा ब्रॉडकास्ट प्रा. लि द्वारा संचालित 4रीयल न्यूज़ चैनल पर ताला लगना है। चैनल के लीगल रिपोर्टर धर्मेंन्द्र मिश्रा ने कानून का सहारा लेकर 4रीयल न्यूज़ को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। जानकारी के मुताबिक धर्मेंन्द्र ने 4रीयल न्यूज़ चैनल से जुड़ी कुछ गोपनीय जानकारी हासिल कर ली थीं। इस वजह से पूरे चैनल में भूचाल आ गया था। हालात यहां तक पहुंच गए कि चैनल के मालिक और सभी ज़िम्मेदार अधिकारियों के सर पर जेल जाने का ख़तरा मंडराने लगा था।
एक चौंकाने वाली जानकारी ये है कि 4रीयल न्यूज़ ने धर्मेंन्द्र की शिकायत के जवाब में पीएफ डिपार्टमेंट को दिए जवाब में कहा था कि हम ‘ओमेगा ब्रॉडकास्ट प्रा. लि’ न्यूज़ एजेन्सी के तौर पर रजिस्टर्ड हैं जिसमें अधिकतम सैलरी 6500 रुपए प्रति माह तक है लेकिन हम अपने सभी कर्मचारियों को इससे ऊपर सैलरी देते हैं। इसलिए पीएफ कटाना ज़रूरी नहीं है।
अब यहां सवाल ये है कि अगर ओमेगा ब्रॉडकास्ट प्रा. लि. के पास न्यूज़ एजेन्सी का लाइसेंस है तो न्यूज़ चैनल चलाना ग़ैर कानूनी है। धर्मेंन्द्र ने इसको आधार बना कर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में 17 जुलाई 2014 को एक आरटीआई भी दायर की थी। इसमें चैनल से जुड़ी कई तरह की जानकारियां मांगी थीं।
अब अगर चैनल के पास लाइसेंस था तो ईपीएफ डिपार्टमेंट से तथ्य छुपाने का मामला बनता है। ये भी एक गंभीर अपराध है। इस मामले में कंपनी के सभी ज़िम्मेदार अधिकारियों को जेल की हवा खानी पड़ सकती थी। दूसरा ये कि अगर वाकई में ओमेगा ब्रॉडकास्ट प्रा. लि. न्यूज़ एजेन्सी के तौर पर रजिस्टर्ड है तो 24X7 न्यूज़ चैनल चलाना पूरी तरह ग़ैर कानूनी था। दोनो ही परिस्थितियों में चैनल के मालिक समेत बड़े अधिकारियों के जेल जाने का ख़तरा बढ़ गया था। 4रीयल न्यूज़ प्रबंधन धर्मेंन्द्र की इस शिकायत की कोई काट निकाल पाने में नाकाम रहा। इसलिए बढ़ते हुए खतरे को भांपते हुए सरकारी शिकंजा कसने से पहले ही प्रबंधन ने बोरिया बिस्तर समेट लिया।
गौरतलब है कि धर्मेंन्द्र ने प्रबंधन को चैलेन्ज देते हुए कहा था कि अगर कर्मचारियों को उनका हक़ नहीं मिला तो 31 उगस्त के पहले चैनल को ताला लगवा कर ही रहूंगा। 4रीयल न्यूज़ में 200 से ज्यादा कर्मचारी हैं लेकिन किसी को कोई ऑफर लेटर या एप्वाइंटमेंट लेटर नहीं दिया गया था। इसके अलावा कंपनी में कोई नियम कायदा भी फालो नहीं होता था।
इन्ही मांगो को लेकर धर्मेंन्द्र ने अकेले ही चैनल के खिलाफ मोर्चा खोला था। प्रबंधन ने धर्मेंन्द्र को टर्मिनेट भी कर दिया था इसके बावजूद उनकी लड़ाई जारी रही।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
Alisha
July 24, 2014 at 4:04 am
चैनल ने झूठ का सहारा लिया हो या सच का… लेकिन सबसे बड़ा सच यह है कि अब हजारों बेरोजगार एक बार फिर सड़क पर हैं.. धर्मेंद्र को जो करना था उसने कर लिया, पर क्या किसी के पास इस बात का कोई जवाब है कि जिनके घर इस चैनल से मिलने वाले वेतन की वजह से चलते थे, उनका क्या होगा… कहां मिलेगी नौकरी… क्योंकि मीडिया में नौकरी कैसे मिलती है, यह भी किसी से छिपा नहीं।
JAIDEV SINGH
July 24, 2014 at 6:13 am
मीडिया में नौकरीलेकिन सबसे बड़ा सच यह है कि अब हजारों बेरोजगार एक बार फिर सड़क पर हैं
कैसे मिलती है, यह भी किसी से छिपा नहीं।
SHARMA JI
July 24, 2014 at 7:42 am
फॉर रियल जैसे न्यूज चैनलों का यही हश्र होता है… इससे पहले भी कई न्यूज चैनल्स जैसे आजाद, जीएनएन, सीएनईबी, महुआ, वीओआई, श्री न्यूज़ आदि जगहों पर प्रबंधन और उच्च स्तर के लोगों की लापरवाही का खामियाजा छोटे या मध्यम वर्ग के कर्मचारियों को भुगतना चाहिए… आज धर्मेंद्र ने जो किया वो वाकई में काबिलेतारीफ है… एक आम पत्रकार होकर उसने पूरे चैनल के एम्पायर को ध्वस्त कर दिया… इन सब चीजों के बड़ी हिम्मत और संयम की जरूरत होती है, जो कि बहुत ही कम लोग ही कर पाते हैं… ऐसे लोग ना तो अपने वर्तमान की चिंता करते हैं और ना ही भविष्य की कोई परवाह करते हैं… ये उन कुकुरमुते और फूहड़ न्यूज़ चैनल्स के लिए सबक है जो कि पत्रकार की भावनाओं और उनकी मजबूरियों से खिलवाड़ करते हैं… मैं और मेरे कई साथी भी धर्मेंद्र मिश्रा जैसी परेशानियों से जूझ चुके हैं, लेकिन हिम्मत कुछ ही लोगों ने की… न्यूज चैनल प्रबंधन, एडिटर इन चीफ या किसी भी डिपार्टमेंट का हेड हो उन्हें ये बात जरूर समझनी चाहिए कि कभी भी इम्पलॉय की कमजोरियों और मजबूरियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए… ..
Vikash Singh
July 24, 2014 at 8:37 am
Shabash Dharmendra ! Jio…. ek Aklea Mard sekro Hizron main !!!.. Tum jayese se kalyan ho sakta hai Media Mazdooron Ka…Tujhe Salam Dost !