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सुख-दुख

क्या Red FM मुंबई की लड़कियों ने लक्ष्मण रेखा पार कर दिया?

श्याम मीरा सिंह-

वैसे किसी के प्यार करने और चाहने के मसले पर प्रश्न करना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. प्रेम संबंध भावनाओं के इतर आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के आधार पर भी किए जा सकते हैं, ये किसी का अपना चुनाव है. लेकिन जिस तरह की हरकत नीरज चोपड़ा के आगे Red FM मुंबई की लड़कियों ने की है वो न केवल इरिटेटिंग है बल्कि पूर्वग्रहों को बढ़ाने वाली भी है.

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ऐसे लग रहा था जैसे किसी शहद के आसपास मक्खियाँ घूम रही हों,(मक्खियाँ और शहद परिस्थिति को परिभाषित करने के लिए एक उदाहरण भर है, इसे ज्यों का त्यों न लें)। ये पूरा दृश्य इस पूर्वाग्रह को बढ़ाता है कि सफलता सिर्फ़ आदमियों की वस्तु है और उसे लुभाने का काम, उसे खुश रखने का काम स्त्रियों का है. इस आम पूर्वाग्रह को Red FM की इन लड़कियों ने बढ़ाया है. जबकि स्त्री विमर्शों की खुद की लंबी लड़ाई रही है कि उन्हें इन पूर्वग्रहों के साथ न देखा जाए.

स्त्री विमर्श की एक लड़ाई ये भी रही है कि महिलाओं को “ऑब्जेक्ट” की तरह न देखा जाए. लेकिन ये पूरा दृश्य एक सफल खिलाड़ी को ऑब्जेक्ट भर में समेट देता है. ये उसी तरह छिछला व्यवहार था जिस तरह क्रिकेट के मैदान में पाकिस्तान की लड़कियों को देखकर कुंठित भारतीय मर्दों का रहता है. इस पूरे video में जिस तरह का रीऐक्शन नीरज का था उससे साफ़ पता चल रहा है कि वो कितने असहज महसूस कर रहे हैं.

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ये पोस्ट रेडियो FM की लड़कियों से शिकायत नहीं है, न उनकी आलोचना है. इसे बस टोकने के रूप में दर्ज किया जाए. सवाल सिर्फ़ मेल प्लेयर्स को objectify करने का नहीं है, सवाल महिलाओं के बारे में उपस्थित पूर्वाग्रहों को बढ़ाने में मदद करने का है, जो रुकना चाहिए.


समरेंद्र सिंह-

प्रेम में डूबी लड़कियां सबकुछ सह लेती हैं! और प्रेम में डूबे लड़के क्या करते हैं? कोई राजा राजपाट छोड़ देता है। कोई शानदार कवि अपने दोस्त से द्वंद कर लेता है और मारा जाता है। कोई बेमिसाल चित्रकार विक्षिप्त हो जाता है और खुद को गोली मार लेता है। कोई वैज्ञानिक दिल में प्यार सहेज कर पूरी जिंदगी गुजार देता है। कोई हैवान बन जाता है। तो कोई देवता। कोई युद्ध लड़ता है तो कोई समर्पण कर देता है।

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ये सिर्फ यूं ही लिखा है मैंने। किसी बच्चे की एक पोस्ट पर नजर पड़ी जिसमें वो कह रहा है कि लड़कियां खिलाड़ी को ऑब्जेटिफाई कर रही हैं। अरे नहीं भाई, वो बस प्रेम और खुशी का खुल कर इजहार कर रही हैं। करने दीजिए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मन में कोई प्यारी बात हो तो वो प्यार से कह देनी चाहिए। प्यार से कही गई बात का मतलब सिर्फ प्यार होता है। सामंती बेड़ियों में जकड़े हम लोग यही सलीका सीख नहीं पाते हैं। कहते नहीं हैं तो खुद को हर्ट करते हैं। जब कहते हैं तो इस तरह कि सामने वाला हर्ट हो जाए।

लड़कियां खुल कर हंस रही हैं और अपना हीरो भी हंस रहा है, थोड़ा लजा रहा है। तस्वीर में उसका रंग नहीं दिखा, मगर अंदाजा लगा सकता हूं कि उसका चेहरा लाल हो गया होगा। प्यार का रंग भी लाल ही है। वैसे भी अपना गोल्ड मेडलिस्ट असली हीरो है। लड़कियों को पूरा हक है कि उसके पीछे दीवानी हो जाएं।

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