रूसी मोदी बड़े फख्र से कहते थे- मैं फोरमैन से चेयरमैन बना हूं…

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Sumant Bhattacharya : अशोक तोमर भाई का एसएमएस आया, खबर बुरी थी, लिखा था सुमंत, रूसी मोदी नहीं रहे। आज की पीढ़ी रूसी मोदी से वाकिफ ना होगी..टाटा के चेयरमैन रहे रूसी जमशेद टाटा के बाद इंडियन एअरलाइंस और एअर इंडिया के ज्वॉइंट चेअरमैन भी रहे हैं। रूसी से मेरी पहली औपचारिक मुलाकात तब हुई, जब वो टाटा के चेयरमैन थे और कोलकाता के टाटा बिल्डिंग में रूसी ने चिलिका में झींगा मछली प्रोजेक्ट पर बुलाई थी….। रूसी दुबारा मिले जब रतन टाटा और जेजे ईरानी की वजह से रूसी को टाटा छोड़ना पड़ा और रूसी खुल्ला कहते थे, मुझे टाटा से किक आउट किया गया।

रूसी मोदीरूसी मोदी

कोलकाता में पार्क स्ट्रीट की जीवन ज्योति बिल्डिंग में रूसी का नया ऑफिस खुला-मोबार इंडिया, जो शिप ब्रेकिंग के बिजनेस में उतरा। रूसी से मेरी यहीं दूसरी मुलाकात हुई..जनसत्ता में नौकरी करते थे। कोलकाता यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर रही भारती राय की बेटे जिष्णु प्रताप राय ने रूसी से मिलवाया..पांच फुटे रूसी से जिष्णु बोला- सर यह सुमंत है…बंगभाषी है पर हिंदी अखबार में है। रूसी ने हाथ मिलाया और आगे बढ़ गए…चार या पांच कदम आगे बढ़ने के बाद लौटे और मेरे मुंह पर सवाल दागा, तुमको गुजराती आएंगा। अकबका कर दागे सवाल पर मैंने कहा..नहीं, बिल्कुल नहीं। चौहत्तर साल के रूसी के चेहरे पर मुस्कराहट आई और बोले..हमको आएंगा। और आगे बढ़़ गए।

बाद में सोचा, रूसी ने ऐसा क्यों किया..फिर समझ आया, दरअसल चौहत्तर

साल का यह बुजुर्ग 25-26 साल के एक युवा से प्रतिस्पर्धा कर रहा था और कहीं अपने को कमतर मानने को राजी नहीं था..दर के दर ही निपटाने में यकीन था उस शख्स को।

रूसी के बड़े भाई पीलू मोदी नामचीन सांसद और छोटे भाई काली मोदी वो इंसान है, जिसने डायनर्स क्लब की शुरुआत की थी। संयुक्त प्रांत के गवर्नर रहे सर होमी मोदी के दूसरे बेटे रूसी की जिंदगी का फलसफा अलहदा ही था… ऑक्सफोर्ड से हिस्ट्री में बीए आनर्स की डिग्रीधारी रूसी को बीबीसी ने दुनिया के छह शीर्ष इंडस्ट्रियल मैनेजर के खिताब से नवाज था। आइंस्टीन के साथ पियानो बजा चुके इस शख्स ने जब नौकरी की सोची तो बाप ने पारसी परंपरा के तहत जमशेदजी के पास भेज दिया..जमशेद ने होमी से पूछा कि भाई तेरे बेटे को कौन सी नौकरी दूं…होमी ने पूछा कि सबसे निचली नौकरी कौन सी है, जमशेद बोले फोरमैन की। रूसी बड़े फख्र से कहते थे, मैं फोरमैन से चेयरमैन बना हूं। रूसी से एक रोज मैंने पूछा, आपके मैने मैनेजमेंट के बुनियादी उसूल क्या हैं तो वाकई मुझे सीख मिली..। रूसी बोले..मैं बायबल के छह स्टैंजा पर अपने मैनेजमेंट को चलाता हूं। सारे तो याद नहीं, पर कुछेक साझा कर सकता हूं। रूसी ने कहा, इंसान को कभी मशीन मत समझो, मशीन की तरह मत हांको, वो भी इंसान है, उसके भीतर भी वहीं अहसास और जज्बात है जो आपके भीतर है, दूसरे, कभी सिपाही को मत मारो, जरनल को जिबह कर दो, क्योंकि सिपाही तो जरनल बन सकता है पर एक जरनल कभी सिपाही नहीं बन सकता है,

अशोक भाई की वजह से रूसी का बड़ा साथ मिला…खाना बनाने और खिलाने के गजब के शौकीन..सोलह अंडों का आमलेट तो कई बार मैं खुद खाते देखा। बहुत कम लोग जानते हैं कि रूसी ने विवाह भी किया था, और उनकी पत्नी की कब्र जमशेदपुर में हैं, रूसी जब भी जमशेदपुर जाते तो जरूरी अपनी पत्नी (नाम शायद सोनिया था) की कब्र पहुंचते और काफी देर तक सोनिया से बातें करते..हमें लगता था कि यह संवाद एकतरफा है..पर रूसी को यकीन था किय यह संवाद दोतरफा चल रहा है…। रूसी पर आरके लक्ष्मण ने जितना काम किया, उसका गवाह मैं भी रहा हूं, भारत में प्रगतिशील आर्टिस्ट ग्रुप (पैग) के नाम पर चला कला आंदोलन शायद वो शोहरत या मुकाम हासिल ना कर पाता, यदि रूसी पीछे ना होते..और संभवतः फिदा हुसैन, रजा, हैदर वगैरहा नामचीन आर्टिस्टों का संघर्ष कितना ही लंबा हो जाता…यही रूसी उस वक्त फिदा पर बेहद नाराज हो गए, जब फिदा ने विजर्सन नाम से अपनी पेंटिंग की सीरिज को मदर टेरेसा की संस्था को सौंपने से मना कर दिया, दर पर मैं भी मौजूद था, और मुझे नहीं लगता है कि रूसी ने फिर कभी फिदा से बात भी की होगी…

फिर 1996 में कोलकाता से दिल्ली आ गया..कुछ सालों में मोबार भी बंद हो गया, यदाकदा अशोक भाई से रूसी के बारे में बातचीत होती रही… पता चलता था कि रूसी अपनी याददाश्त खोते जा रहे हैं, फिर सुना कि उनका बंगला एनडीटीवी के प्रणव राय ने खरीद लिया, पर रूसी उसी में रहते रहे..आज रूसी नहीं, और उस बंगले में दो कब्र में दफन दो रूहें जरूर रूसी की मौत पर रुदन कर रही होंगी, बिस्मार्क और गैरी बाल्डी की, जर्मनी और इटली को संयुक्त करने वाले इन दो नायकों के नाम रूसी ने अपने प्यारे कुत्तों को दिए थे……. कारोबार में मानवीय इस चेहरे को मेरा विनम्र नमन….

वरिष्ठ पत्रकार सुमंत भट्टाचार्य के फेसबुक वॉल से.



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Comments on “रूसी मोदी बड़े फख्र से कहते थे- मैं फोरमैन से चेयरमैन बना हूं…

  • I know he told it. I remember his sound even today. I asked in college convocation one question Till How long Subsidy to continue .He replied with self example and explained soln could have been different for any problem, one may it be subsidy but not the last.
    A true birth on The Earth.

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