Mahendra Mishra : सुमंत भट्टाचार्य जी आपने तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लंपटों का भी कान काट लिया। उन पर लड़कियों का दुपट्टा खींचने का आरोप लगता था। लेकिन आप ने तो सीधे इंडिया गेट पर बलात्कार की ही दावत दे डाली। इलाहाबाद विश्वविद्याल से पत्रकारिता के रास्ते यहां तक का आपका यह सफर सचमुच काबिलेगौर है। हमारे मित्र रवि पटवाल ने इसे नर से बानर बनने की संज्ञा दी है। लेकिन मुझे लगता है कि यह जानवरों का भी अपमान है। पशु और पक्षियों में नर और मादा के बीच एक दूसरे की इच्छा का सम्मान यौनिक रिश्ते की प्राथमिक शर्त होती है। फ्री सेक्स शब्द सुनते ही आप उतावले हो गए। और बगैर कुछ सोचे समझे मैदान में कूद पड़े।