सुमंत भट्टाचार्य जी, आपने तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लंपटों का भी कान काट लिया

Mahendra Mishra : सुमंत भट्टाचार्य जी आपने तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लंपटों का भी कान काट लिया। उन पर लड़कियों का दुपट्टा खींचने का आरोप लगता था। लेकिन आप ने तो सीधे इंडिया गेट पर बलात्कार की ही दावत दे डाली। इलाहाबाद विश्वविद्याल से पत्रकारिता के रास्ते यहां तक का आपका यह सफर सचमुच काबिलेगौर है। हमारे मित्र रवि पटवाल ने इसे नर से बानर बनने की संज्ञा दी है। लेकिन मुझे लगता है कि यह जानवरों का भी अपमान है। पशु और पक्षियों में नर और मादा के बीच एक दूसरे की इच्छा का सम्मान यौनिक रिश्ते की प्राथमिक शर्त होती है। फ्री सेक्स शब्द सुनते ही आप उतावले हो गए। और बगैर कुछ सोचे समझे मैदान में कूद पड़े।

हो गया नया नामकरण… ‘कुमंत कुंठाचार्य’!

(सुमंत भट्टाचार्या द्विअर्थी संवाद भी लिखता है… अपनी वॉल पर उसने एक महिला पत्रकार के प्रतिरोध के जवाब में सबसे लास्ट में क्या टिप्पणी लिखा है, आप पढ़ सकते हैं, साथ ही वह भक्तों को कैसी कैसी टिप्पणियां लिखने की छूट देता है, यह भी समझ सकते हैं.)


Shikha : संघी लफंगे “कुमंत कुंठाचार्य को एक वर्ष पहले ही “संघी सफाई अभियान” के तहत फेसबुक मित्रसूची से purge कर चुकी हूँ l आज पता चला कि उसकी फेसबुक मित्र सूची में सौ से ज्यादा साझे मित्र (mutual friend) फेसबुक पर मौजूद हैं जिनमें कई समझदार चिन्तक, गंभीर और इमानदार साथी, कॉमरेड भी हैं, जिनका बहुत सम्मान करती हूँ l बस सवाल उनसे है कि कॉमरेड कविता कृष्णन के बारे में ऐसी घटिया और कुंठित टिपण्णी करने वाला यह “कुमंत कुंठाचार्य” जो खुद को पत्रकार बुलाता है , अबतक आपलोगों की मित्रसूची में क्या कर रहा है ? क्या ऐसे मानसिक रोगी का मनोवैज्ञानिक उपचार करने हेतु आपलोग इसे अपनी मित्र सूची में अबतक जगह दिए हुए हैं, या फिर ऐसे दरिन्दे जानवर के “ह्रदय परिवर्तन” का गांधीवादी रास्ता अपनाने हेतु अबतक आपलोगों ने इसे इस प्लेटफ़ॉर्म पर जगह दे रखी है?

सुमंत भट्टाचार्य फेसबुक पर भक्तों के बीच वैसे ही लोकप्रिय हैं जैसे टीवी पर राकेश सिन्हा!

Sanjaya Kumar Singh : भक्ति या आस्था समर्थन, नहीं रोग है… मित्र सुमंत भट्टाचार्य फेसबुक पर भक्तों के बीच वैसे ही लोकप्रिय हैं जैसे टीवी पर राकेश सिन्हा। दोनों जनसत्ता में रहे हैं। राकेश सिन्हा सिर्फ परिचित हैं। सुमंत मित्र रहे हैं। विमर्श के बड़े पैरोकार हैं। मुझसे भी उलझते रहते हैं और कहते हैं कि विमर्श का फलक खुला रहना चाहिए। जब आप सवाल उठाते हैं तो कोई भी आपसे सवाल पूछ सकता है। आपकी निष्पक्षता जांच सकता है। यहां तक कि मैं कन्हैया को जमानत मिल जाने की बात करूं तो वे मुझसे पूछ सकते हैं कि मैं शाहबानो मामले में क्या जानता हूं। और फिर ऐसे ही विमर्श करते रहना चाहते हैं जिसमें मुद्दा गोल हो जाता है। जो अक्सर भाजपा, संघ या सरकार के खिलाफ होता है। मैंने उनसे सार्वजनिक रूप से हार मान ली है और मानता हूं कि वे विमर्श के बहाने लोगों को विषयांतर करने का महान काम कर रहे हैं।

पत्रकार हो तो अरुण शौरी जैसा वरना फिर सीधा दलाल हो तो बेहतर है

Sumant Bhattacharya : पत्रकार अरुण शौरी ने पद्म सम्मान लेने से मना कर दिया.. वो भी पहले इस सूची में थे… शौरी ने कहा. मैंने किसी भी सरकार से कभी कुछ नहीं लिया.. पत्रकार हो तो शौरी जैसा….. वरना फिर सीधा दलाल हो तो बेहतर है…. ना शौरी ने इस पर शोर मचाया … और ना ही न्यूज हेडलाइन बनने की कोशिश की… इसे कहते सहिष्णुता. व्यवस्था का वॉच डॉग यदि .. हुकूमत से अनुकंपा लेगा तो.. फिर भौंकेगा किस पर…? शौरी के इस कदम को.. उदार ह्दय और लोकतंत्र को मजबूत करने… के कदम के तौर पर मोदी साहेब को स्वागत करना चाहिए. जाहिर है, अनुकंपा ग्रहण करने वाले… सिर्फ निर्दोष नागरिक समाज पर भौंकते हैं. हुकूमत पर नहीं..

पंकज पचौरी को कोई समझाए कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के प्रेस सचिव का पद गैर-राजनीतिक होता है या नहीं

Sumant Bhattacharya : UPA सरकार के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रेस सलाहकार रहे Pankaj Pachauri ने अपनी टाइम लाइन में लिखा- ”Any one who thinks I was in favour of UPA govt is wrong I was advisor to Prime Minister of India & not to Congress. I am a Journalist and non politico.”

ये मिताली आंटी वही बिहार के उन्मादी वकील तिवारी साहब हैं!

Sumant Bhattacharya : दाद दीजिए मुझे, साहस का काम है वॉल खुली रख विमर्श करना… दोस्तों आप क्या किसी Mitali sarkar को जानते हैं..? मैं भी नहीं जानता। दो-चार रोज पहले मेरे इनबॉक्स में देर रात एक झन्नाटेदार मैसेज गिरा। जिसमें कहा गया कि मैं फेसबुक साख को खत्म कर रहा हूं। मैं उनसे बात करता कि देखता हूं ब्लॉक कर दिया गया हूं। फिर दो दिन मेरी पोस्ट पर कुछेक कमेंट जड़ कर चली गईं। यानि वो ब्लॉक खोलने और बंद करने की कला में महारथनी हैं। फिर कल पता चला कि ये मोहतरमा Mitali sarkar मेरे मित्र सुरेंद्र सिंह सोलंकी, त्रिभुवन सिंह और संजय कोटियाल के साथ भी यह हरकत कर चुकी हैं।

विनोद मेहता पत्रकारों को पगार देने के नाम पर बेहद कंजूस थे लेकिन ‘एडिटर’ कुत्तों पर खूब खर्च करते थे

(स्व. विनोद मेहता जी)


Sumant Bhattacharya : विनोद मेहता की रुखसती का मतलब… मैं शायद उन चंद किस्मत वाले पत्रकारों में हूं, जिनका साक्षात्कार विनोद मेहता साहब ने लिया और पत्रकारिता के अपने स्कूल में दाखिला लिया। मैं हिंदी आउटलुक में था और हिंदी आउटलुक को नीलाभ मिश्र साहब देख रहे हैं। वो भी मेरे बेहद पसंदीदा और मेरी नजर में पत्रकारिता के बेहद सम्मानित, काबिल नाम हैं।

भागवत साहब, “भारतीय रेलवे” को “हिंदू रेलवे” घोषित कर दें….

Sumant Bhattacharya :  मैं भारतीय रेल के बहाने श्रीयुत मोहन भागवत साहब के नाम खुला पत्र लिखना चाहता हूं। आदरणीय भागवत जी से मेरी अपील है कि वो भारतीय रेलवे को हिंदू घोषित करें। क्यों..? क्यों की इस पीड़ा का लेखाजोखा आपके सामने है। रेलमंत्री सुरेश प्रभु के साथ बातचीत के लिए दिल्ली के ताज पैलेस में ज़ी टीवी ने एक कार्यक्रम रखा था। ज़ी के एडिटर सुधीर चौधरी ने सुरेश प्रभु के आगमन के पहले कहा, “आज इस कार्यक्रम में भारत (मेरी नजर में दिल्ली भी नहीं) के श्रेष्ठ दिमाग मौजूद हैं, और मुझे उम्मीद है कि जब रेल मंत्री यहां से जाएंगे तो उनके सामने एक अलग ही “ब्लू प्रिंट” होगा।“ सुधीर के ये शब्द मेरे मन में काफी उम्मीद जगा गए। बहरहाल, भारतीय ट्रेन की तरह रेल मंत्री भी लेट हुए।

मीडिया को कोसने वालों, तुम्हारा और हमारा नायक दीपक शर्मा है

Sumant Bhattacharya : क्या होता है Deepak Sharma होने का मतलब..कभी सोचा? मेरे तमाम मित्र दीपक शर्मा को नहीं जानते होंगे। मुझे यह महसूस करते हुए फख्र होता है कि मैं दीपक को जानता हूं। और दीपक भी मुझे जानते ही होंगे। ऐसा कह कर अपनी बेशर्मी को छिपा रहा हूं। दो दिन पहले दीपक से प्रेस क्लब में मुलाकात हुई तो मैंने दीपक को बधाई दी। दीपक ने उसी गर्मजोशी से बधाई कबूल की। फिर फेसबुक की बात हुई तो दीपक ने तपाक से मेरी ताजी पोस्ट को दोहरा दिया।

टीवी न्यूज रूम से मासूम बच्चों को श्रद्धांजलि : एक दुई ठो संघी भी सेट करो.. मुल्ला-संघी भिड़ेंगे तब्बै ना मजा आई…

अबे ओए..उतार करीना ससुरी को…
आ गई खबर मोरे बाप…
का बे…?
डेढ़ सौ बच्चो हलाक ..
कहां बे..?
अऊर कहां पाकिस्तान में. बे…
सच्चे..?

हैरानी तब होती है जब मायावती बेशर्मी के साथ कहती हैं कि….

Sumant Bhattacharya : अरबों रुपए देने वाले ये कौन हैं मायावती के शोषित और गरीब… जब मायावती कहती हैं कि राज्यसभा पहुंचाने के एवज में अखिलेश दास ने मुझे 100 करोड़ का प्रस्ताव दिया तो मुझे कोई हैरानी नहीं हुई। हैरानी तब होती है जब मायावती बेशर्मी के साथ कहती हैं कि… “देश के गरीब शोषित के छोटे-छोटे अनुदान से पार्टी चलती है।” तो देश के “वास्तविक गरीब-शोषित लोग” मेरी आंखों के सामने घूमने लगते हैं।

कबीर साहेब क्यों हैं आज भी स्वीकृत और गौतम बुद्ध हो गए खारिज?

Sumant Bhattacharya : इस धरती पर “कबीर साहेब” एकमात्र ऐसे संत हुए जिन्होंने लाठी लेकर “हिंदू और मुसलमानों” के आडंबर पर बरसाया। जितना उन्होंने गरिआया, और वो भी देसी भाषा में, उतना तो किसी और ने नहीं। बावजूद आज भी भारत में कबीर साहेब के 21 करोड़ से ज्यादा अनुयायी है। वहीं “गौतम बुद्ध” हुए। जिन्होंने एक संगठित धर्म की स्थापना की. “ब्राह्मण आडंबरों” की पुरजोर मुखालफत की, समृद्ध दर्शन भी दिया। फिर क्यों गौतम बुद्ध अपनी ही जमीन से खारिज हो गए और कबीर साहेब आज भी पूजे जाते हैं?

एक नामचीन अखबार के मालिक ने एक महिला को शादी का झांसा देकर दैहिक शोषण किया, फिर निकाल बाहर किया

Sumant Bhattacharya : चौबीस साल की पत्रकारिता में यही पाया कि सत्ता में बैठे ज्यादातर मर्दों के लिए अपनी ताकत और ओहदे का आखिरी मकसद सिर्फ औरत का जिस्म हथियाना ही है।सत्ता के ताकत का अंतिम लक्ष्य। यदि कोई आकर्षक महिला नज़र में उतर गई तो यकीन मानिए, बहुतेरे अधिकारी, मंत्री, सांसद, विधायक, संपादक, प्रोफेसर और सीइओ अपनी पूरी मेघा और समूचे कायनात की ताकत उस महिला को जिस्मानी तौर पर हासिल करने में लगा देगा। यहां रेखांकित कर दूं कि तमाम अच्छे इंसान भी इनमें। लेकिन वो नैतिक तौर पर पस्त समाज के सामने खामोश ही बने रहते हैं।

सुमंत भट्टाचार्य

रूसी मोदी बड़े फख्र से कहते थे- मैं फोरमैन से चेयरमैन बना हूं…

Sumant Bhattacharya : अशोक तोमर भाई का एसएमएस आया, खबर बुरी थी, लिखा था सुमंत, रूसी मोदी नहीं रहे। आज की पीढ़ी रूसी मोदी से वाकिफ ना होगी..टाटा के चेयरमैन रहे रूसी जमशेद टाटा के बाद इंडियन एअरलाइंस और एअर इंडिया के ज्वॉइंट चेअरमैन भी रहे हैं। रूसी से मेरी पहली औपचारिक मुलाकात तब हुई, जब वो टाटा के चेयरमैन थे और कोलकाता के टाटा बिल्डिंग में रूसी ने चिलिका में झींगा मछली प्रोजेक्ट पर बुलाई थी….। रूसी दुबारा मिले जब रतन टाटा और जेजे ईरानी की वजह से रूसी को टाटा छोड़ना पड़ा और रूसी खुल्ला कहते थे, मुझे टाटा से किक आउट किया गया।

रूसी मोदीरूसी मोदी

सुमंत किस संपादक को सरेआम बेहया कह रहे हैं!

Sumant Bhattacharya : बेहया संपादक का रुदन… सच में हंसी आती है जब ढकोसलों को फेसबुक पर उछाले जाते पढता हूं। अभी हिंदी के एक संपादक की पोस्ट पढ़ी, जिसमें अमेरिका में राजदीप हुए हमले की निंदा और सत्ता के असहिष्णु हो जाने को लेकर बाकायदा रुदन किया गया। यह वही संपादक हैं जिन्होंने अपनी टीम के साथ पहली मीटिॆग में कहा था, रिपोर्टर और उपसंपादक बनना तो नियति है। यह वही हैं जनाब, जो संपादकीय सहयोगियों के सामने अपने पांच हजार रुपए के जूतों की खूबिया गिनाते थे, बजाय कि किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर बात करे। जिन दो टकिया नेताओं के करीब जाने में हम और हमारे वरिष्ठ नाक भौं सिकोड़ते थे, उनके मंचों पर जाकर खुद बेशर्मी के साथ विराजते थे और आज भी बेशर्मी का यही आलम शवाब पर है।

पालतू बाघ, पागल युवक, जंगली जनता और जाहिल मीडिया

PHOTO Sumant

Sumant Bhattacharya : कल दिल्ली जू में जो कुछ भी हुआ, साबित हुआ कि हम अपने परिवेश के प्रति अज्ञानता की हद में जी रहे हैं… चिड़ियाघर के घेरे में जन्मे बाघ को मकसूद और दीवार के ऊपर खड़े तमाम तमाशबीनों ने ऐसा करने के लिए उकसाया… मकसूद को विजय (बाघ का नाम) ने नहीं, तमाशबीनों ने मिलकर मारा… विजय के भीतर सिर्फ कौतुहल था… फुटेज देखिए….पंद्रह मिनट तक विजय की हरकतें सिर्फ उसके कौतुहल को ही दर्शा रही हैं.