सहारा इंडिया के चेयरमैन सुब्रत रॉय
एक बड़ी खबर सहारा इंडिया कंपनी से आ रही है. कंपने कोर्ट में यह लिखकर दे दिया है कि उसका अपने कमीशन एजेंटों, फील्ड वर्करों और मोटीवेटरों से कोई संबंध नहीं है.
सहारा इंडिया की तरफ से हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक मुकदमें की सुनवाई के दौरान कहा गया है कि मेसर्स सहारा इंडिया में कोई भी कमीशन एजेंट, रीजनल कार्यकर्ता यानि फील्ड वर्कर और मोटीवेटर न तो कार्यरत हैं और न कभी कार्यरत रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि सहारा में सभी कर्मियों का पीएफ न काटे जाने को लेकर शिकायत की गई थी जिसके बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने सहारा को नोटिस जारी किया. इसके बाद पूरा मामला कोर्ट में गया. अदालत में सहारा ने अपने यहां कर्मियों की लिस्ट में कमीशन एजेंटों, फील्ड वर्करों और मोटिवेटरों को नहीं रखा. सहारा का कहना है कि ये लोग कमीशन पर काम करते हैं और सिर्फ सहारा ही नहीं बल्कि दूसरी कंपनियों के लिए भी काम करते हैं, इसलिए इन्हें किसी एक कंपनी का इंप्लाई नहीं कहा जा सकता है.
पीएफ डिपार्टमेंट की तरफ से अदालत में कहा गया कि एक बार क्यों न सहारा के कमीशन एजेंटों, फील्ड वर्करों और मोटीवेटरों से पूछ लिया जाए कि वे खुद को सहारा का कर्मी मानते हैं या नहीं. कोर्ट ने इसके लिए रजामंदी दे दी. उसके बाद ही पीएफ डिपार्टमेंट ने एक विज्ञापन निकाल कर सहारा के सभी एजेंटों को सूचित किया है कि वे तीस दिन के भीतर सहारा से अपने जुड़ाव संबंधी दस्तावेज को भेज दें.
अगर आप सहारा के एजेंट हैं, फील्ड वर्कर हैं, मोटीवेटर हैं तो आपके लिए एक है. आप तीस दिनों के भीतर सहारा से खुद के जुड़े होने का अपना दावा डाक या ईमेल से भेज दीजिए. किस पते या मेल पर भेजना है, इसका उल्लेख अखबार में प्रकाशित विज्ञापन में किया गया है जिसकी कटिंग नीचे दी गई है.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने इस विज्ञापन को अखबारों में प्रकाशित करा कर सभी सहारा एजेंटों, वर्करों, मोटीवेटरों को सूचित करने का काम कर दिया है. अब गेंद सहारा के कमीशन एजेंटों, फील्ड वर्करों और मोटिवेटरों के पाले में है. यही मौका है सहारा से खुद का जुड़ाव साबित करने और खुद को प्रोविडेंट फंड की सुविधा से लैस करने का… इस विज्ञापन को गौर से पढ़ें….
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One comment on “सहारा इंडिया अपने एजेंटों, फील्ड वर्करों और मोटीवेटरों को अपना कर्मचारी नहीं मानता!”
Good