Samar Anarya : पोस्ट के पहले डिस्क्लेमर: बीएचयू प्रोफ़ेसर और आलोचक/लेखक कृष्ण मोहन से मेरा कभी कोई निजी रिश्ता नहीं रहा है, अब भी नहीं है. यह भी कि बीते कुछ समय में निजी अनुभवों के चलते पॉलिटिकल करेक्टनेस नाम की बीमारी से हमेशा के लिए रोगमुक्त हो गया हूँ.
अब बात- कृष्णमोहन और उनके बेटे (मीडिया बता रहा है कि वीडियो में मौजूद दूसरा लड़का/पुरुष उनका बेटा है) का व्यवहार नैतिक रूप से अक्षम्य ही नहीं बल्कि आपराधिक भी है और उन्हें इसकी सजा मिलनी भी चाहिए। बल्कि आम अपराधियों से ज्यादा ही मिलनी चाहिए क्योंकि कृष्णमोहन सिर्फ व्यक्ति नहीं एक प्रतीक भी रहे हैं, हम लोगों के इंक़लाब के रास्ते पर चलना शुरू करने के समय आगे खड़े लोगों में से एक. पर उनकी सजा के साथ उनकी पत्नी से यह भी पूछा जाना चाहिए कि सालों से अलग रह रहे होने के बाद वह घर में घुसीं क्यों? तब जब वह गुजारा भत्ता ले रही हैं (और 25000 का गुजारा भत्ता बनारस जैसे शहर में इतना कम भी नहीं होता, एक सरकारी क्लर्क का वेतन है यह. मेरी प्रधानाध्यापिका माँ से जरा ही कम). फिर उनके साथ मीडिया भी है, माने यह पूर्वनियोजित भी हो सकता है कि जबरन घर में घुसो, भड़काओ और फिर बाकी काम मीडिया कर देगा। इसपर यह तर्क कि हो सकता है कृष्णमोहन ऐसे व्यवहार के आदी रहे हों और पत्नी ने उसे ही सार्वजनिक करने का इरादा कर यह किया बहुत लचर और भोथरा तर्क है. इस तर्क से कल कोई किसी को भड़का के ‘साबित’ कर देगा कि वह हिंसक है.
और यह बदायूँ या लखनऊ जैसा नहीं है जहाँ मीडिया अपराध होने के बाद पंहुचा है. यहाँ मीडिया साथ साथ आया है, अपराध करवाने की सी मुद्रा में. और फिर उस अपराध की छवि उसने बनियान फटने के बाद पेश की है, पहले क्या हुआ नहीं बताया। मेरी बात गलत लगे तो निवेदन करूँगा कि प्रोफ़ेसर मटुकनाथ और जूली प्रकरण याद करें और उस पर अपने तर्क सोचें। शायद समझ सकें कि मैं क्या कह रहा हूँ. अब यह सब कह चुके होने के बाद फिर दोहरा रहा हूँ- कृष्णमोहन का व्यवहार अक्षम्य ही नहीं आपराधिक भी है और उन्हें इस हिंसा के लिए सजा मिलनी ही चाहिए। कोई भड़काने गया था और आप भड़क गए यह कोई तर्क नहीं है, हो ही नहीं सकता। पर फिर इस मामले में वीडिओ देख वह अकेले अपराधी नहीं लगते, महिला और मीडिया भी बराबर की अपराधी दिख रही हैं. सजा तो उन्हें भी होनी चाहिए। इसलिए भी कि इसमें उन्होंने एक स्त्री की भी मर्यादा और निजता का हनन किया है, जिसका नाम चीख चीख के कृष्णमोहन जी की पत्नी ले रही हैं? उनका कृष्णमोहन से प्रेम हो सकता है, पर प्रेम करना अपराध तो नहीं है, अन्य कोई अपराध किये हुए वह दिखती नहीं। ऐसे में उनकी निजता और सम्मान का हनन स्त्रियों पर हिंसा कैसे नहीं है? इस पर भी आपको दिक्कत हो तो अभी दिग्विजय सिंह मामले में अपना स्टैंड याद करें. उसमे भी महिला तलाकशुदा नहीं तलाक की कार्यवाही में मुब्तिला थीं. कंगारू कोर्ट बना जज बन जाना आसान है दोस्तों, बचिए इससे. कृष्णमोहन हिंसा के दोषी हैं उन्हें सजा मिले. पर उनकी पत्नी का भी दोष कम नहीं दिखता यहाँ.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारवादी अविनाश पांडेय समर के फेसबुक वॉल से.
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