Saurabh Sharma : 18 साल की पत्रकारिता करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि सबसे ज्यादा भ्रष्ट और बेर्इमान लोग अगर कहीं हैं तो वो मीडिया में ही हैं। मालिक लोग अपने रिपोर्टर से अनाप शनाप काम करवाते हैं, उन्हीं के जरिये बड़े बड़े लोगों से मिलते हैं, सेटिंग करते हैं और रिपोर्टर मालिक के नाम का फायदा उठाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो क्यों जी न्यूज के दो संपादकों को सजा हुई। उन्होंने नवीन जिंदल से सौ करोड़ रुपये की ब्लेकमेलिंग की थी, लेकिन फंस गए। अखबारों में तो इससे भी ज्यादा बुरा हाल है।
संपादक चावल की बोरी, आटे के कटटे, सरसों के तेल के टिन, 50 किलो चीनी पर, पांच किलो लीची, मौसमी फल, दाल मसाले और अचार पर बिक जाते हैं। ऐसे कुछेक संपादकों को तो मैं जानता हूं। अब ऐसे में अगर नामी गिरामी अखबार का संवाददाता आपसे विज्ञप्ति छपवाने के नाम पर 100-50 रूपये मांग ले तो क्या बुरा है। यकीन मानिये मीडिया में उपर से नीचे तक सब भ्रष्ट हैं और अगर ये लोग सुधर जाएं तो भ्रष्टाचार काफी कम हो सकता है, इस बात को समझने की जरूरत है। मैने किसी पर आरोप नहीं लगाया, नाम नहीं लिया, साक्ष्य दिया है। अब सवाल यह भी है कि जी न्यूज से संबंधित खबरें सिर्फ अमर उजाला में ही क्यों प्रमुखता से प्रकाशित हुईं, इसमें उसके अपने कुछ निहितार्थ हो सकते हैं। दूसरे अखबारों ने उन्हें उतनी जगह और प्रमुखता क्यों नहीं दी। इस व्यवस्था का हिसा बनना शर्मनाक है।
दैनिक जागरण, मेरठ से हाल में ही इस्तीफा देने वाले पत्रकार सौरभ शर्मा के फेसबुक वॉल से.
मूल खबर…
अंदरुनी राजनीति से दुखी सौरभ शर्मा का दैनिक जागरण, मेरठ से इस्तीफा
Comments on “18 साल पत्रकारिता करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि मीडिया में सबसे ज्यादा भ्रष्ट-बेर्इमान लोग हैं”
शर्मा जी सौ टके की बात कही है। कोई टिप्पणी नियम पर होती है, अपवाद पर नहीं। अगर कोई ईमानदार, अच्छा इंसान निकल आए तो वह नियम नहीं बन जाएगा। मीडिया की हकीकत का आइना दिखाने के लिए साधुवाद.
Job chhodne ke baad kyon aarp lagate hain log! Job chhodne se ek din pehle tak pata hi nahin tha kya!!!
100 Chuhe khane ke baad billi haz ko chali…
😮
tum murkh ho bhai. jo itnai deno kai bad samjhai
BAAT TOW AAPNEY SAHI KAHI. LEKIN ISS HAMAM MEIN SAB NAGEY HAI. :zzz :zzz :zzz :zzz :zzz :zzz :zzz :zzz :zzz :zzz :zzz :zzz :zzz
-AUR SARE PATRKARON KE BARE BATA DIYA, LEKIN AAP NE AAPNE CHARITR KE BARE ME NAHI BATAYA…….
sorry bhaeyon report to administar men galat clik ho gaya
बात तो सही कह रहे हैं आप…लेकिन ऐसे ही लोग आज मीडिया में सर्वेसर्वा बने हुए हैं, छाये हुए हैं. चाहे फिर वह इलेक्ट्रानिक मीडिया हो या प्रिंट मीडिया. प्रबंधन से लेकर तो प्रशासन और सरकार तक में इन्हीं की पूछ होती है. ईमानदारी से पत्रकारिता करने वालों को कोई नहीं पूछता. उन्हें तो लोग पत्रकार भी नहीं मानते.