हरीश पाठक-
नहीं रहे शैलेँद्र दीक्षित… हिंदी पत्रकारिता में शैलेंद्र दीक्षित की गिनती उस जुझारू और दबंग संपादक के तौर पर होती हैं जो रहनेवाले तो कानपुर के थे।वहाँ वे दैनिक ‘आज’ के संपादक रहे।वे कानपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे पर उन्होंने कानपुर से पटना आ कर पहले से स्थापित एक दैनिक को चुनौती देते हुए दैनिक ‘जागरण’ को स्थापित किया।
वे ‘जागरण’ के स्टेट हेड भी रहे।उनकी अगुवाई में ‘जागरण’ के कई संस्करण निकले जो आज सफलता का कीर्तिमान बना रहे हैं।वे अरसे तक ‘जागरण’ से जुड़े रहे।वहीं से सेवानिवृत्त हुए।
मेरी दो दौर की बिहार की पत्रकारिता में वे मेरे बेहद करीब रहे। बड़े भाई की तरह। 2001 से 2004 में जब मैं भागलपुर में दैनिक ‘हिंदुस्तान’ का समन्वय संपादक था तब वे भागलपुर से ‘जागरण’ का संस्करण निकालने में प्राणपण से जुटे थे और उसी ‘निहार’ होटल से रणनीति बनाते रहे जहाँ मैं रहता था।
2008 में जब मैं पटना में ‘राष्ट्रीय सहारा’ का स्थानीय संपादक बन कर पहुँचा तो वे शैलेँद्र दीक्षित ही थे जो स्वागत के गुलाब लिए मिले।
आज दोपहर कानपुर में इस तेवर वाले वरिष्ठ पत्रकार का हृदय घात से निधन हो गया। वे 67 साल के थे और इन दिनों बिफोर प्रिंट नाम की वेबसाइट का पटना व कानपुर से संचालन कर रहे थे। सादर नमन। हर दौर में याद आयेंगे आपके तेवर, कलेवर और पत्रकारिता की दबंग शैली।
One comment on “हर दौर में याद आयेंगे शैलेंद्र दीक्षित के तेवर, कलेवर और पत्रकारिता की दबंग शैली!”
शैलेन्द्र जी आपकी बहुत याद आएगी