पीएचडी हिंदी में बिक्रय उपाध्याय का होना पहले से तय. निवेदन है कि दबे कुचले लोगों की आप आवाज बनें और असंतोष के विरुद्ध आवाज को बुलंद करें. एक दलित और आँख से अंधे अंजेश पाल नामक स्टूडेंट ने दिसम्बर 2015 के नेट एग्जाम में जेआरएफ पास किया. डॉक्टर शकुंतला मिश्रा पुनर्वास राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी लखनऊ से एमए कर रहे अंतिम सेमेस्टर के एग्जाम में मार्च 2016 के रिजल्ट में एक पेपर में बैक लगा दिया गया. उसका आज कोई आवाज बनने को तैयार नहीं है.
ये पूरा का पूरा खेल करप्ट मानसिकता वाले गुरुओं की देन है. ये लोग एक स्टूडेंट जिसका नाम बिक्रय उपाधयाय है को पीएचडी में एडमिशन देने के लिए आमादा हैं. आज के द्रोणाचार्यों ने एकलव्य रूपी अंजेश पाल नामक अंधे का अंगूठा काट लिया. एक अन्य छात्र भी उसी क्लास में है जो आँखों से अँधा है. इसने एमए हिंदी में लगातार तीन सेमेस्टर में टॉप किया. लास्ट सेमेस्टर में उसके साथ भी खेल कर दिया गया ताकि पीएचडी में उसका एडमिशन न हो. यह सारा कुछ बिक्रय उपाधयाय नामक छात्र की पीएचडी में एडमिशन आसानी से करने के लिए किया गया. आप सभी से निवेदन है कि आप इन बेसहारा और विकलांग छात्रों की आवाज बनें और न्याय दिलाएं.
एक छात्र द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.