मैं शिवम भट्ट को नहीं जानता था, पहली और आखिरी मुलाकात हिसार के बरवाला में हुई थी, जब रामपाल दास के सतलोक आश्रम का विवाद चल रहा था। सभी पत्रकारों को आश्रम से तकरीबन एक किलोमीटर दूर बैरिकेट्स लगाकर रोक दिया गया था। जिस कारण सभी न्यूज चैनल के पत्रकार उसी बैरिकेट्स से अपना लाइव दे रहे थे। उनमें से मैं भी एक था।
जैसे ही मेरा लाईव खत्म हुआ, मेरे पास आकर उसने कहा- भैया आप रामपाल के बारे में शायद काफी जानते हैं. मैने कहा-हां, मैं रोहतक का रहने वाला हूं और रामपाल का आश्रम विवाद वहीं से शुरू हुआ था, इसको मैंने कई बार कवर किया है, इसलिए इसके अतीत के बारे में कुछ जानकारी है।
फिर क्या था, उसने तकरीबन आधे घंटे तक रामपाल की सारी कहानी मेरे से पूछ ली और कहा कि थैंक्यू भैया, अब मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि विवाद के असली कारण का पता चल गया और रामपाल के इतिहास का भी।
ये सामान्य-सी बात है, जो मेरे और शिवम के बीच हुई थी, लेकिन इसका जिक्र इसलिए कर रहा हूं कि शिवम ने सबसे पहले बरवाला पहुंचते ही रामपाल दास के बारे में अपनी नालेज को अपडेट किया। वरना वहां पर दिल्ली के बहुत-से ऐसे स्वयंभू पत्रकार भी पहुंचे थे, जिन्हें ये तक नहीं पता था कि रामपाल दास कौन है और उसका आखिर विवाद क्या है। पहुंचते ही पीपली लाईव की तरह लग गए पूरी दुनिया के सामने अपना ज्ञान झाड़ने।
आज शिवम हमारे बीच में नहीं है..भगवान उनके परिवार को दुख सहने का सामथ्र्य दे। हम तो सिर्फ अफसोस ही जता सकते हैं।
धीरेन्द्र कुमार
रोहतक।
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