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‘समकालीन तीसरी दुनिया’ की आर्थिक स्थिति गंभीर, आनंद स्वरूप वर्मा ने जारी की अपील

आनंद स्वरूप वर्माआनंद स्वरूप वर्मा

मित्रों, ‘समकालीन तीसरी दुनिया’ की आर्थिक स्थिति काफी गंभीर हो गयी है- इतनी गंभीर कि इसे जारी रखने में काफी मुश्किलें आ रही हैं। यद्यपि इस दौरान इसके पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई और पिछले चार वर्षों से इसने अपनी नियमितता भी बनाये रखी तो भी विज्ञापन का कोई ठोस आधार न होने के कारण इसे प्रकाशित करना बेहद कठिन काम हो गया है। हमने पिछले कुछ महीनों में इसके लिए एक ‘अक्षय कोष’ बनाने की कोशिश की लेकिन उसमें हमें कामयाबी नहीं मिल सकी। लिहाजा हम पत्रिका का प्रकाशन बंद करने की ओर धीरे धीरे बढ़ने लगे और इस वर्ष जनवरी से हमने वार्षिक शुल्क लेना भी बंद कर दिया है। वैसे, 1980 से 1998 तक यह पत्रिका चार बार प्रकाशित हुई और हर बार कुछ समय के बाद आर्थिक कारणों से ही इसका प्रकाशन स्थगित करना पड़ा। फिलहाल अगस्त 2010 से यह नियमित निकल रही है।

आनंद स्वरूप वर्मा

आनंद स्वरूप वर्माआनंद स्वरूप वर्मा

मित्रों, ‘समकालीन तीसरी दुनिया’ की आर्थिक स्थिति काफी गंभीर हो गयी है- इतनी गंभीर कि इसे जारी रखने में काफी मुश्किलें आ रही हैं। यद्यपि इस दौरान इसके पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई और पिछले चार वर्षों से इसने अपनी नियमितता भी बनाये रखी तो भी विज्ञापन का कोई ठोस आधार न होने के कारण इसे प्रकाशित करना बेहद कठिन काम हो गया है। हमने पिछले कुछ महीनों में इसके लिए एक ‘अक्षय कोष’ बनाने की कोशिश की लेकिन उसमें हमें कामयाबी नहीं मिल सकी। लिहाजा हम पत्रिका का प्रकाशन बंद करने की ओर धीरे धीरे बढ़ने लगे और इस वर्ष जनवरी से हमने वार्षिक शुल्क लेना भी बंद कर दिया है। वैसे, 1980 से 1998 तक यह पत्रिका चार बार प्रकाशित हुई और हर बार कुछ समय के बाद आर्थिक कारणों से ही इसका प्रकाशन स्थगित करना पड़ा। फिलहाल अगस्त 2010 से यह नियमित निकल रही है।

इस स्थिति की सूचना पाकर पत्रिका से जुड़े कई मित्रों ने आपस में बातचीत की और तय किया कि हम लोग हिम्मत न हारें और एक बार फिर सामूहिक तौर पर इसकी आर्थिक स्थिति सुधारने के उपायों पर विचार किया जाय। एक राय यह बनी कि इसके लिए कोष जुटाने का काम वे लोग करें जिनके संपर्क में पत्रिका के ऐसे शुभचिंतक हों जो जनतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखते हुए इस पत्रिका के मिशन से अपनी सहमति व्यक्त करते हैं और अपने अपने व्यवसायों में सफल भी हैं। इन लोगों के सहयोग से पत्रिका के लिए एक स्थायी कोष बनाया जाय। अगर सितंबर 2014 तक हमें अपने इस प्रयास में 10-15 प्रतिशत भी कामयाबी मिल जाती है तो हम इसे दिसंबर 2014 के बाद जारी रख सकते हैं। कुछ लोग इस काम मंे जुट गये हैं।

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लेकिन दिसंबर 2014 तक पत्रिका को जिंदा रखने के लिए भी न्यूनतम साधनों की जरूरत है। इसके लिए हम पत्रिका के पाठकों और इससे जुड़े शुभचिंतकों से अपील करते हैं कि वे कम से कम एक वर्ष तक न्यूनतम 200 रुपये से लेकर अधिकतम 1000 रुपये तक की कोई भी राशि प्रतिमाह पत्रिका को सहयोग करें। अगर हम ऐसा कर सके तो दिसंबर तक हम इसे किसी तरह जारी रख सकेंगे। इस बीच मित्रों के प्रयास से इसे एक सांगठनिक स्वरूप देने का काम भी किया जा रहा है। इसी क्रम में हमें यह भी अनुमान हो जायेगा कि हम स्थायी कोष बना पाते हैं अथवा नहीं।  इस संदर्भ में हम आपके पास एक फार्म भेज रहे हैं जिसे भरकर आप जितनी जल्दी हम तक (समकालीन तीसरी दुनिया, क्यू-63, सेक्टर-12, नोएडा-201301, उत्तर प्रदेश, फोन- 9810720714, 0120-4356504) पहुंचा देंगे उतनी ही जल्दी हम किसी निर्णय तक पहुंच सकेंगे।

आपके पत्र/संदेश की प्रतीक्षा में-

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आपका

आनंद स्वरूप वर्मा

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(संपादक/प्रकाशक)

[email protected]

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फार्म…

मैं वैकल्पिक सूचना तंत्र विकसित करने की दिशा में ‘समकालीन तीसरी दुनिया’ के प्रयास का समर्थन करता/करती हूं।  

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मैं………………..माह 2014 से एक वर्ष तक प्रति माह …………… रुपये का योगदान करना चाहूंगा/चाहूंगी।

मुझसे हर माह की ……………..तारीख तक नगद राशि/चेक मंगा लें।

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नाम …………………………………………………………….

पता…………………………………………………………………

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…………………………………………………………………….

…………………………………………………………………….

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फोन नं………………………………….

ई-मेल…………………………………..

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दिनांक…………………………………..

हस्ताक्षर……………………………..

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