फेसबुक ने बांग्लादेश की विवादित लेखिका तसलीमा नसरीन के अकाउंट को इस्लामिक रुढ़िवादियों द्वारा उनके पोस्ट को लेकर की गई शिकायत के बाद बंद कर दिया। फेसबुक की इस कार्रवाई को तसलीमा ने ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ करार देते हुए फेसबुक के ‘मुक्त’ होने के दावे पर सवाल उठाए। तसलीमा ने कहा, ‘मंगलवार से ही मेरा फेसबुक अकाउंट बंद कर दिया गया है।
कई बार अनुरोध करने के बावजूद फेसबुक के अधिकारियों ने मेरा अकाउंट शुरू नहीं किया। उन्होंने ऐसा इस्लामिक रुढ़िवादियों को संतुष्ट करने के लिए किया, जो नहीं चाहते कि मैं अपने विचार सोशल साइट पर साझा करूं।’ अपने वतन से निर्वासित चल रहीं तसलीमा ने अपने पाठकों से संपर्क स्थापित करने से रोकने के लिए फेसबुक की आलोचना की। तसलीमा ने कहा, ‘मुझे बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में प्रवेश देने से रोका जा रहा है। मेरे पाठक मेरा लेखन नहीं पढ़ सकते, क्योंकि मेरी रचनाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसलिए मैं अपने पाठकों से जुड़ने के लिए माध्यम के रूप में फेसबुक का इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन मुझ पर यहां भी प्रतिबंध लगा दिया गया।’
उन्होंने आगे कहा, ‘फेसबुक को अनेक फर्जी अकाउंट से कोई दिक्कत नहीं है, जो मेरे नाम से चलाए जा रहे हैं, लेकिन मेरे वैध अकाउंट से उन्हें आपत्ति है और यह सिर्फ मुस्लिम रुढ़िवादियों को संतुष्ट करने के लिए किया जा रहा है, जो मेरे विचार फैलने नहीं देना चाहते।’
फेसबुक के इस कदम की ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष अशोक वाजपेयी ने आलोचना करते हुए कहा कि यह अभिव्यक्ति की आजादी के विचार का अतिक्रमण है। वाजपेयी ने कहा, ‘एक लेखक को अपने विचार प्रसारित करने से रोकने के लिए जो कुछ भी किया जाए, वह भी नसरीन जैसी प्रख्यात लेखिका के, वह पूरी तरह अस्वीकार्य और अति प्रतिक्रियावादी है। यह अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है और हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी।’
Comments on “‘मुस्लिम रुढ़िवादियों को संतुष्ट करने के लिए’ तसलीमा नसरीन का फेसबुक अकाउंट बंद”
तस्लीमा नसरीन का फेसबुक अकॉउंट बंद करना न सिर्फ स्वतंत्रता का हनन है बल्कि तस्लीमा का विरोध करने वालों की गन्दी सोच का परिचायक है।
तस्लीमा नसरीन का फेसबुक अकॉउंट बंद करना निश्च्ति रुप से अभिव्यक्ति की स्चतंत्रता का हनन है यदि किसी की अभिव्यक्ति निर्धार या आपत्तिजनक है तो उस आवश्यक कार्यवाही का प्राविधान है इसलिये इनके एकाउन्ट को चलने दिया जाये