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टाइम्स प्रबंधन को बड़ा झटका, पत्रकारों की बड़ी जीत

टना हाईकोर्ट ने नवभारत टाइम्स के पटना संस्करण को 1995 में बंद करने को अवैध घोषित किया है। कोर्ट ने कहा कि समाचार पत्र का प्रकाशन औपचारिक रूप से बंद करने से पहले प्रबंधन द्वारा कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।

नवभारत टाइम्स के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने श्रम न्यायालय, में इसके बंद होने के बाद अपील की थी। वहां से 2008 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया गया था। प्रबंधन ने इस फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी। पटना हाईकोर्ट ने 16 साल के लंबे इंतजार के बाद अपना फैसला कर्मचारियों के पक्ष में दिया है।

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पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ए अभिषेक रेड्डी की एकल बेंच ने 2008 में दिए श्रम न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है, प्रबंधन (एम/एस बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड) को उन्हें उचित रूप से बहाल करने और उनके वेतन और अन्य लाभों के खिलाफ बकाया का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

उच्च न्यायालय ने टाइम्स प्रबंधन को निर्देश दिया है कि केस में पार्टी बने नवभारत टाइम्स के पत्रकार हरेंद्र प्रताप सिंह और शरद रंजन कुमार को छंटनी की तारीख के बाद से सभी बैकलॉग वेतन और अन्य लाभों का भुगतान उनकी स्थिति के अनुसार करें। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि अवकाश प्राप्ति की आयु प्राप्त करने के मामले में, वे सभी प्रकार के वित्तीय लाभ प्राप्त करने के हकदार होंगे। हाईकोर्ट ने प्रबंधन ने चार सप्ताह में भुगतान और अन्य लाभ देने का निर्देश दिया है।

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