Muni Shankar : मेरी हिन्दी सामान्य रुप से अच्छी है। अवधी और भोजपुरी भी ठीक-ठाक बोल लेता हूँ लेकिन ये रोजगार परक नहीं है। विश्व का सबसे ज्यादा बिकने वाला अखबार (संख्या की दृष्टि से) दैनिक जागरण है। लेकिन उसकी आय केवल दिल्ली एनसीआर में बिकने वाले टाइम्स आँफ इण्डिया के आय (लाभ) से कम है। इसी से दोनों अखबारों में कार्ररत पत्रकारों की हैसियत का अन्दाजा लगाया जा सकता है।
काम दोनों एक ही करते हैं। खबरें लाना और इडिट करके (शुद्ध करके) जनता तक पहुंचाना लेकिन उनके स्तर में इतना अन्तर होता है कि हिन्दी पत्रकार 10 वर्ष की मेहनतकश नौकरी करने के बाद भी टाटा नैनो लेने में संकोच करता है जबकि सामान्य रूप से टाइम्स आफ इण्डिया में कार्यरत नौकरी के दूसरे तीसरे साल ही आईटेन शौक से ले लेता है। ध्यान रहे ये वो चीजें है जो कोई भी सरकार चाहे भी तो नहीं बदल सकती। कमाऊ पूत किसे नापसन्द होते हैं……. फिर भी आप कहते हैं तो हिन्दी दिवस की सभी को शुभकामनायें (केवल कहने के लिए)… किसी की पिलपिली भावनायें आहत हुई हो तो क्षमा करें।
आईआईएमसी से पत्रकारिता कोर्स करने वाले आजाद पत्रकार मुनि शंकर के फेसबुक वॉल से.
Comments on “हिंदी की औकात : टाइम्स आफ इंडिया और दैनिक जागरण के बीच के अंतर को जान लीजिए”
हैडिंग पढ़कर मुझे लगा कोई गहन विश्लेषण होगा, लेकिन यहाँ तो सिर्फ पिलपिलेपन की ही चिंता नजर आयी… दैनिक जागरण और TOI के अंतर पर कुछ गंभीर टिप्पणी होनी चाहिए थी… (अब ये न कह देना की आप ही कर दो)…..
IIMC KA EK AUR CHUTIYA