Deepankar Patel : “Sex sells better than anything else.” टॉइम्स 13 रूपये महीने में महिला को MAN बेच रहा है. टॉइम्स नेटवर्क का Times of india में एक एडवर्टीजमेंट छपा है. एडवर्टीजमेंट में घुघराले बालों वाली महिला है, और एडवर्टीजमेंट में लिखा है “Gift yourself a better MAN”. आगे विज्ञापन में लिखा गया है… Find …
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टाइम्स आफ इंडिया को अमित शाह से डर लगता है! खबर हटाने को हुआ मजबूर… पढ़िए पूर्व संपादक का खुलासा
जैसा कि वादा किया था, इस रहस्य से पर्दा उठाऊँगा कि क्यों और किन हालात में जुलाई 2017 में टाइम्स समूह की वेबसाइटों से अमित शाह के बारे में छपी एक स्टोरी हटा ली गई। क्या यह संपादकों ने ख़ुद हटाई थी, मैनेजमेंट ने इसे हटवाया था या इसे हटाने के लिए किसी बाहरी ताक़त …
सात महिला पत्रकारों ने #metoo किया तो TOI हैदराबाद के संपादक को देना पड़ा इस्तीफा
टाइम्स आफ इंडिया, हैदराबाद के स्थानीय सम्पादक केआर श्रीनिवास ने इस्तीफा दे दिया है. उन पर #MeToo कैंपेन के तहत सात महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. ऐसा पहली बार हुआ है जब मीटू कैंपेन के कारण वरिष्ठ पत्रकार और शीर्ष संपादक ने इस्तीफा दिया है.
TOI को पता है कि कोई किसान टाइम्स आफ इंडिया नहीं पढ़ता, इसलिए वह किसान विरोधी छापता है! देखें
Vibhuti Pandey : आप चाहे कितनी भी बार कह लें, चाहे टाइम्स के संपादक तक आप की बात से सहमत हों, लेकिन The Times of India अपना उच्च मध्यम वर्गीय चरित्र नहीं छोड़ेगा. कल किसान कवरेज पर टाइम्स की हेडलाइन पढ़िए. परसों सोशल मीडिया पर हिट शेयर के लिए इन्होंने जो भी किया हो लेकिन …
Misinformation being spread by Times of India’s Senior Diplomatic Editor caught red handed
Respected Indrani Bagchi madam, Senior Diplomatic Editor Times of India if I am not wrong, you happen to be a so called ‘Senior Diplomatic Editor’ working with the Times of India Group. And being a veteran journalist in the print media industry, you are supposed to get your basic facts right when you write an …
क्या टाइम्स आफ इंडिया वालों ने कश्मीर को अलग देश मान लिया!
टाइम्स आफ इंडिया ग्रुप देश का बड़ा अखबार समूह है. इस ग्रुप ने लगता है कि कश्मीर को खुद ही अलग राष्ट्र का दर्जा दे दिया है. तभी तो इस ग्रुप के अखबार मुंबई मिरर ने एक आर्टकिल में जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को जम्मू कश्मीर का प्रधानमंत्री लिख दिया. अगर ये मानवीय …
दो बड़े अंग्रेजी अखबारों के संपादक दिवाकर अस्थाना और पीआर रमेश ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में जुटे हैं! (देखें सुबूत)
टाइम्स आफ इंडिया के एक संपादक हैं, दिवाकर अस्थाना. ये हर किसी को ‘बाबू’ कह कर बुलाते हैं. एक रोज (31 मई, शाम चार बजे) इन्होंने गलती से एक मैसेज टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकारों के लिए बने ह्वाट्सअप ग्रुप पर पोस्ट कर दिया. इस मैसेज की शुरुआत भी बाबू संबोधन से हुई थी लेकिन आगे जो कुछ लिखा गया था, उसे पढ़कर ह्वाट्सअप ग्रुप से जुड़े सारे पत्रकारों की आंखें फटी की फटी रह गई.
टाइम्स आफ इंडिया वालों ने चित्रा सिंह को लेकर इतना बड़ा झूठ क्यों छाप दिया!
खबर पढ़ाने के चक्कर में खबरों के साथ जो बलात्कार आजकल अखबार वाले कर रहे हैं, वह हृदय विदारक है. टाइम्स आफ इंडिया वालों ने छाप दिया कि सिंगर चित्रा सिंह ने 26 साल बाद का मौन तोड़ा और गाना गाया. टीओआई में सचित्र छपी इस खबर का असलियत ये है कि चित्रा सिंह ने कोई ग़ज़ल / भजन नहीं गया. उन्हें मंच पर बुलाकर सिर्फ सम्मानित किया गया था. लेकिन खबर चटखारेदार बनाने के लिए छाप दिया कि चित्रा ने गाना गाया.
टीओआई के राजशेखर झा बताएं, किसके कहने पर नजीब-आईएस वाली ख़बर प्लांट की थी?
जेएनयू के लापता छात्र नजीब के बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया में इसके पत्रकार राजशेखर झा ने फर्जी खबर प्लांट की. इस खबर में बताया गया कि दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया है कि नजीम यूट्यूब और गूगल पर आईएस (इस्लामिक स्टेट) के बारे में वीडियो आदि खोज देखा करता था, साथ ही वह आईएस की कार्यप्रणाली, विचारधारा, भर्ती आदि के बारे में अध्ययन करता था. खबर में बताया गया कि दिल्ली पुलिस ने नजीब की लैपटाप के जांच के बाद यह जानकारी हासिल की है. उधर, इस खबर के छपने के बाद दिल्ली पुलिस ने खंडन भेज दिया कि उसने ऐसी कोई जांच लैपटाप की नहीं की और न ही ऐसा कोई नतीजा निकला है.
TOI MUST APOLOGISE FOR FALSE NAJEEB STORY
The Delhi Union of Journalists is shocked that a leading daily like the Times of India should have discredited itself by publishing a malicious and misleading report on the missing JNU student Najeeb. The DUJ demands that the TOI issue an immediate apology for maligning a boy who is ‘missing and unable to defend his reputation.
TOI का पेड न्यूज : इससे ज्यादा बिकी हुई राजनीतिक खबर आज तक नहीं पढी
टाइम्स आफ इंडिया में प्रिंट मीडिया मालिकों के पक्ष में छपे संपादकीय का जवाब डीयूजे ने भी भेजा
A Reply to The Times of India
On the eve of the budget session and state elections the newspaper industry has made out a case for financial sops, including exemptions from the forthcoming Goods and Services tax, and higher government advertisement rates. The pretext is the losses it claims it faces as a result of paying journalists and other employees fair wages. This is a case of killing two birds with one stone: make a killing by getting more money from the government and by denying employees the dues ordered by the Majithia Wage Board.
झूठ का पुलिंदा है टाइम्स ऑफ इंडिया का संपादकीय
जयपुर। सुबह-सुबह टाइम्स ऑफ इंडिया खोलते ही संपादकीय पेज के Indian newspaper industry : Red ink splashed across the bottom line शीर्षक से प्रकाशित लेख पर निगाह पड़ गई। चूंकि मसला प्रिंट मीडिया से संबंधित था, तत्काल पढ़ डाला। पूरा लेख झूठ का पुलिंदा है। प्रिंट मीडिया के मौजूदा हालात पर आंसू (घड़ियाली) बहाए गए हैं। अपने एक भी कर्मचारी को मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ न देने वाले टीओआई ने वेजबोर्ड को लागू करने से हो रहे नुकसानों को बताया है। अखबार लिखता है कि स्थितियां इतनी गंभीर हो चली हैं कि बड़े नेशनल डेली न्यूजपेपर्स को संस्करण (हाल में हिंदुस्तान टाइम्स ने चार संस्करणों पर ताला लगाया है) बंद करने पड़ रहे हैं, स्टाफ की छंटनी हो रही है, कास्टकटिंग जारी है, खर्चे कम करने पड़ रहे हैं। लेख में अखबारों को नोटबंदी से हुए नुकसान और आगामी जीएसटी की टैक्स दरों पर चिंता जाहिर की गई है।
Reply to TOI editorial
Given below is the reply sent to the Times of India’s article ‘Indian newspaper industry: Red ink splashed across the bottom line‘ published yesterday.
टाइम्स समूह ने नहीं सौपा श्रम अधिकारी को कर्मचारियों की सूची और एरियर का डिटेल
शशिकांत सिंह
हो सकती है कानूनी कार्यवाई, आरटीआई से हुआ खुलासा…
मुंबई : देश के नंबर वन समाचार पत्र समूह बेनेट कोलमैन एन्ड कंपनी लिमिटेड अपने कर्मचारियों का ना सिर्फ जमकर शोसण कर रहा है बल्कि मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के आदेश को भी ठेंगे पर रखता है। इस समूह के समाचार पत्रों टाइम्स आफ इंडिया, मुम्बई मिरर, नवभारत टाइम्स और महाराष्ट्र टाइम्स में काम करने वाले हजारों लोग भले गर्व से कहते हों मैं टाइम्स समूह का कर्मचारी हूँ मगर इन्हें शायद ये जानकार काफी दुःख पहुंचेगा कि इस कंपनी ने श्रम अधिकारी को अपने कर्मचारियों की लिस्ट ही नहीं सौंपी है।
टाइम्स आफ इंडिया के दिल्ली आफिस में लगी आग, हड़कंप
दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर आईटीओ स्थित टाइम्स आफ इंडिया के आफिस में भयंकर आग से सनसनी मच गई है. टीओआई बिल्डिंग के आगे पीछे दोनों तरफ धुआं ही धुआं दिखाई दे रहा है. करीब आधा दर्जन दमकल की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हैं. बताया जा रहा है कि आग शार्ट सर्किट की वजह से लगी है. आग और धुएं की तीव्रता का आलम ये था कि लोग टाइम्स बिल्डिंग के आसपास खड़े नहीं हो पा रहे थे.
औरत के उड़ते वस्त्रों वाली यह तस्वीर छापने पर टाइम्स आफ इंडिया की सोशल मीडिया पर खिंचाई
ये फोटो टाइम्स ऑफ इंडिया के मुखपृष्ठ पर है. कभी विदेशी अतिथियों की उडती ड्रेस की तस्वीर तो कभी दीपिका पादुकोण की क्लीवेज पर चर्चा पत्रकारिता के कौन से मापदंड स्थापित किए जा रहे हैं. पता नहीं. टाइम्स ऑफ इंडिया का यह कृत्य न केवल स्त्री की गरिमा पर वार करता है बल्कि यह यह भी दिखाता है कि उसकी मानसिकता क्या है? खैर, मैं टाइम्स ऑफ इंडिया लेना काफी पहले बंद कर चुकी हूं, पर कभी कभी ई-पेपर पढ़ती हूं.
यौन उत्पीड़न के कई आरोपों से घिरे आरके पचौरी ने टीओआई और टाइम्स नाऊ के खिलाफ दायर याचिका अदालत से वापस ली
यौन उत्पीड़न के कई मामलों में आरोपी टेरी के कार्यकारी उपाध्यक्ष और जाने माने पर्यावरणविद आरके पचौरी ने टाइम्स आफ इंडिया और टाइम्स नाऊ को संचालित करने वाली मीडिया कंपनी बेनेट कोलमैन कंपनी लिमिटेड के खिलाफ याचिका अदालत से वापस ली. पचौरी ने बेनेट कोलमैन के खिलाफ कार्यवाही करने और जांच के नतीजे से संबंधित खबरों के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग मानने से इनकार करने वाले एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी थी.
टाइम्स ग्रुप के मालिक विनीत जैन का वो ट्वीट पढ़िए जो उन्होंने डर के मारे कुछ ही देर में हटा लिया
सबसे उपर विनीत जैन की तस्वीर और उसके नीचे उनके द्वारा किया गया ट्वीट.
Priyabhanshu Ranjan : देश के सबसे बडे मीडिया ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर ने की RSS प्रमुख मोहन भागवत की गिरफ्तारी की मांग! चौंकिए मत। आप बिल्कुल सही देख रहे हैं। भारत के सबसे बडे मीडिया ग्रुप Bennett, Coleman & Co. Ltd ( The Times of India अखबार की parent company) के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत जैन ने आज ट्वीट किया है-
टाइम्स आफ इंडिया प्रबंधन ने अपने मीडियाकर्मियों से ट्विटर व फेसबुक एकाउंट का पासवर्ड मांगा!
Rakesh Praveer : पत्रकारों पर प्रबंधन का पहरा… दुनियाभर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दम भरने वाले एक बड़े मीडिया घराने ने अपने यहां कार्यरत पत्रकारों और स्टाफ से सोशल मीडिया के उनके निजी अकाउंट डीटेल्स मांगे हैं। एक अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट क्वॉर्ट्ज के भारतीय संस्करण में प्रकाशित समाचार के अनुसार ‘बैनेट एंड कोलमैन’ अखबार समूह ने अपने तमाम पत्रकारों से कहा है कि वे अपने ट्विटर और फेसबुक के पासवर्ड दफ्तर के हवाले कर दें।
ये कैसी पत्रकारिता कर रहा है टाइम्स आफ इंडिया!
टाइम्स आफ इंडिया की वेबसाइट पर ‘सेलेब ट्विटपिक्स’ नामक एक कालम है. इसमें सेलेब के नाम पर युवतियां हैं और उनकी अधनंगी, नंगी तस्वीरें हैं. ”Here’s a look at the celebs who posted their pics on Twitter. A few days ago, porn star Sunny Leone has posted this topless photo of herself. 15 Jan, 2012” यह वाक्य उस तस्वीर के बाएं तरफ लिखा है, जिसमें पोर्न स्टार सन्नी लियोन अपने खुले स्तन को दोनों हाथ से ढंक रखा है और दूसरा हाथ नीचे पैंटी में. सनी लियोन की तस्वीर का स्क्रीनशाट देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: porn journalism
Shame on you TOI its NIT (An Institute of National Importance), not NIIT
Since the time I remember, one thing that comes to my mind is the newspaper vendor flinging Times of India at the main gate of my house. I was an avid reader of prominent national daily, The Times of India. The exclusive coverage of issues of national importance always fascinated me. The idea of switching loyalty to any other national daily didn’t even cross my mind. I would have labelled that an exceedingly absurd thought. Today, in the hustle and bustle of college life, I somehow carve out time to login Times Of India on my laptop and go through the electronic version of it. It was my love for Times Of India that drove me crazy.
टाइम्स ऑफ इंडिया के संपादकों ने तो शर्म भी बेच दी
Dhiraj Kulshreshtha : आज टाइम्स ऑफ इंडिया में संपादकीय पेज पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का लीड आर्टिकल छपा है…..यह आर्टिकल अखबार और राजनेता दोनों की गिरावट का बेहतरीन नमूना है… ‘अ रिवोल्यूशन इन सब्सिडीज’ यानि आर्थिक सहायता में क्रांति…के हैडिंग से छपा यह लीड आलेख सरकार के विभिन्न विभागों की संयुक्त सालाना रिपोर्ट से ज्यादा कुछ नहीं है…जिसे वसुंधरा राजे नहीं बल्कि नौकरशाह तैयार करते हैं, और जनसंपर्क विभाग विज्ञप्ति के रूप में जारी करता है….पर बहुप्रतिष्ठित अखबार के संपादकजी क्या कर रहे हैं…अगर सेटिंग (मार्केटिंग) के तहत इस विज्ञप्ति को छापना ही था, तो अखबार के किसी भी पेज पर छाप सकते थे।
अनिल अंबानी ने TOI पर ठोका 5 हजार करोड़ की मानहानि का मुकदमा
अनिल अंबानी ने टाइम्स ऑफ इंडिया पर पाँच हज़ार करोड़ की मानहानि का दावा ठोका है। भारतीय मीडिया के इतिहास में अब तक किसी मीडिया ग्रुप पर लगाया गया मानहानि का ये सबसे बड़ा दावा है। सीएजी यानी कैग की ड्राफ्ट रिपोर्ट के आधार टाइम्स ऑफ इंडिया ने 18 अगस्त को अपने अखबार में कई लेख प्रकाशित किए थे। जिसमें अंबानी की बिजली कंपनी बीएसईस के खातों में कई तरह की गड़बड़ियाँ पाए जाने की बात कही गई थी।
धार्मिक जनगणना के डाटा पर टीओआई और द हिंदू के इन शीर्षकों को गौर से पढ़िए
See how two of India’s leading newspapers have today reported the same data (of the latest Census)
Nadim S. Akhter : इसे देखिए, पढ़िए और समझिए. देश के दो प्रतिष्ठित अखबारों निष्ठा. किसकी निष्ठा पत्रकारिता के साथ है और किसकी चमचई में घुली जा रही है, खबर की हेडिंग पढ़ के समझा जा सकता है. मैंने कल ही फेसबुक की अपनी पोस्ट में लिखा था कि अलग-अलग चम्पादक, माफ कीजिए सम्पादक धार्मिक जनगणना के इस डाटा का अपने अपने हिसाब से इंटरप्रिटेशन करेंगे. आज फेसबुक पर एक ही खबर के दो एंगल, बिलकुल जुदा एंगल तैरता हुआ देखा तो आपसे साझा कर रहा हूं.
कलाम और याकूब की खबरों के साथ खिलवाड़ की आलोचना
याकूब मेमन की फांसी और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के निधन से जुड़ी खबरों पर इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया के रवैये को लेकर देश के बौद्धिक जगत में जमकर आलोचना का सिलसिला सोशल मीडिया पर अभी थमा नहीं है।
इतनी बड़ी कॉरपोरेट जालसाज़ी के आरोपियों में टाइम्स ऑफ इंडिया समूह के मालिक समीर जैन भी
कोई भी कहानी कभी भी खत्म नहीं होती। बस, हम उसका पीछा करना छोड़ देते हैं। पचास साल पुरानी एक लंबी और जटिल कहानी से मेरी मुलाकात दस साल पहले 2005 में हुई थी जिसका नायक उस वक्त 84 साल का था। निर्मलजीत सिंह हूण नाम के इस एनआरआइ के इर्द-गिर्द मुकदमों का जाल था। एक ज़माने में कॉरपोरेट जगत पर राज करने वाले शख्स को इस देश के कारोबारियों, पुलिस और न्याय व्यवस्था ने पंगु बनाकर छोड़ दिया था। फिर इस शख्स ने इस देश की न्याय प्रणाली का परदाफाश करने को अपना मिशन बना लिया। उसके मिशन में से एकाध कहानियां हमने भी उठाकर 2005 में ‘सीनियर इंडिया’ में प्रकाशित की थीं, जिसके बाद प्रतिशोध की कार्रवाई में संपादक आलोक तोमर समेत प्रकाशक और मालिक सबको जेल हो गई। पत्रिका बंद हो गई, आलोकजी गुज़र गए, हूण से हमारा संपर्क टूट गया, लेकिन उनका मिशन जारी रहा।
जस्टिस काटजू और टाइम्स ऑफ इंडिया को कोर्ट का नोटिस
इलाहाबाद की जिला अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कण्डेय काटजू के खिलाफ क्रिमिनल केस की अर्जी मंजूर करते हुए उन्हें नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब तलब किया है। गाय के मांस संबंधी काटजू के बयान पर जस्टिस काटजू जवाब मांगते हुए कोर्ट ने टाइम्स ऑफ इंडिया को भी नोटिस जारी कर दिया है, क्योंकि उसने खबर प्रकाशित की थी।
टीओआई के मालिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाले हूण को मिली एक सफलता
Abhishek Srivastava : कोई भी कहानी कभी भी खत्म नहीं होती। बस, हम उसका पीछा करना छोड़ देते हैं। पचास साल पुरानी एक लंबी और जटिल कहानी से मेरी मुलाकात दस साल पहले 2005 में हुई थी जिसका नायक उस वक्त 84 साल का था। निर्मलजीत सिंह हूण नाम के इस एनआरआइ के इर्द-गिर्द मुकदमों का जाल था। एक ज़माने में कॉरपोरेट जगत पर राज करने वाले शख्स को इस देश के कारोबारियों, पुलिस और न्याय व्यवस्था ने पंगु बनाकर छोड़ दिया था।
गाजियाबाद में निजी फ्लैट पर टाइम्स ऑफ इंडिया का जबरन कब्जा, मालिक का अपहरण कराया, पीएम से गुहार
गाजियाबाद (उ.प्र.) : बड़े अखबार घराने भी अब किस तरह माफिया तत्वों की तरह अपराध जगत में घुस चुके हैं, इसका एक ताजा वाकया संज्ञान में आया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने राजेंद्रनगर (साहिबाबाद) सेक्टर-2 में एस के ठाकुर पुत्र जे एन ठाकुर के आरएच-47 एचआईजी डुपलेक्स फ्लैट पर कब्जा कर लिया है। ठाकुर ने अपना फ्लैट खाली कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है।
पांच महिलाओं की लाश की जगह एक महिला से जुड़ी हस्तमैथुन की खबर को तूल दे रहा टाइम्स ऑफ इंडिया!
दो-चार दिनों से बहुत परेशान हूं। वजह है अखबारों की समझ, अदा, शैली और उनकी संवेदनशीलता। लगातार मनन-चिन्तन के बाद इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि अब बोलना जरूरी है। यह है लखनऊ से प्रकाशित अखबार टाइम्स ऑफ इण्डिया। विश्वविख्यात है, और अंग्रेजी-दां लोगों का पसन्दीदा भी। पांच महिलाओं की लाश की जगह एक महिला से जुड़ी हस्तमैथुन की खबर को तूल दे रहा है ये अखबार।
टाइम्स ऑफ इंडिया के पतन की पराकाष्ठा… सलमान खान पर 5 पेज बिछा दिया!
Nadim S. Akhter : TIMES NOW वाले अर्नब गोस्वामी भी कमाल है. हमेशा लाइमलाइट में रहना चाहते हैं. ये देखकर ताज्जुब हुआ कि कल रात के थकाऊ News Hour शो के बाद आज सुबह-सुबह एंकरिंग करने स्टूडियो में बैठ गए हैं. माने के Live हो गए हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट में आज सलमान खान मामले की सुनवाई होनी है, सो अर्नब पूरी फौज के साथ तैयार हैं. और एक मैं हूं कि खामोख्वाह इस इवेंट को लाइटली ले रहा था. जब अर्नब ने इतनी बड़ी तैयारी कर रखी है तो दूसरे चैनलों, खासकर हिन्दी के चैनलों ने क्या किया होगा, अंदाजा लगा रहा हूं.
Six newspapers protest survey results
The Times of India published a public statement ”What’s new? certainly not IRS 2014”, challenging the correctness of the Indian Readership Survey (IRS) 2014 report. The statement is issued by six dailies Dainik Jagran, Dainik Bhaskar, Amar Ujala, Dharitri, TOI and The Hindu. The IRS 2014 report has been condemned for three reasons: One, for presenting skewed readership numbers (towards the higher side) of the above mentioned six dailies; two, for re-publishing three fourth of the ‘flawed’ IRS 2013 report; and three, having based the survey on a dated sample (January – February 2014).
Dainik Jagran Remains Top Publication With 16.6M Readership, ToI Tops English Dailies: IRS
The Indian Readership Survey 2014 is out and it shows that even in the age of Internet and mobile, the readership of physical dailies and magazines is still on the rise. Although, Internet as a news consumption medium is showing rapid growth, the physical paper still remains a popular with Indians. The Indian Readership Survey is the largest and most widely accepted platform to understand how Indian readers consume their news and through which channels. Let us look at some of the key findings of the report.
रीडर सर्वे : जागरण, हिंदुस्तान, भास्कर की शीर्ष अग्रता बरकरार, पत्रिका चौथे, अमर उजाला पांचवें पायदान पर
मुंबई : मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल (एमआरयूसी) के इंडियन रीडरशिप सर्वे (आईआरएस) 2014 के जारी आंकड़े के मुताबिक इस बार विभिन्न श्रेणियों के प्रकाशनों का क्रम जस का तस रहा है। सर्वे में पूरा सैम्पल 2.38 लाख पाठकों का रहा है। शीर्ष हिंदी समाचारपत्रों के रूप में दैनिक जागरण, हिंदुस्तान और दैनिक भास्कर की श्रेष्ठता बरकरार रही है। सभी श्रेणियों में मीडिया की खपत बढ़ने का दावा किया गया है। अपने-अपने प्रसार क्षेत्र में दैनिक जागरण (हिंदी), टाइम्स ऑफ इंडिया (अंग्रेज़ी) और मलयालम मनोरमा (क्षेत्रीय भाषाओं) पहले नंबर पर रहे। हरिभूमि अखबार सातवें नंबर से खिसक कर नौवें नंबर पर पहुंच गया है। शीर्ष की पत्रिकाओं में इंडिया टुडे (हिंदी) चौथे स्थान पर पहुंच गई है। सर्वे पीरिएड में प्रिंट मीडिया की खपत 197.4 लाख बढ़कर 3015.7 लाख पर और टेलिविज़न सेक्टर की खपत 185 लाख बढ़कर 6211.2 लाख पर पहुंच गई है।
मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई, भविष्य की रणनीति और लड़ने का आखिरी मौका… (देखें वीडियो)
Yashwant Singh : सुप्रीम कोर्ट से अभी लौटा हूं. जीवन में पहली दफे सुप्रीम कोर्ट के अंदर जाने का मौका मिला. गेट पर वकील के मुहर लगा फार्म भरना पड़ा जिसमें अपना परिचय, केस नंबर आदि लिखने के बाद अपने फोटो आईडी की फोटोकापी को नत्थीकर रिसेप्शन पर दिया.
भारतीय टीवी न्यूज इंडस्ट्री में बड़ा और नया प्रयोग करने जा रहे हैं दीपक शर्मा समेत दस बड़े पत्रकार
(आजतक न्यूज चैनल को अलविदा कहने के बाद एक नए प्रयोग में जुटे हैं दीपक शर्मा)
भारतीय मीडिया ओवरआल पूंजी की रखैल है, इसीलिए इसे अब कारपोरेट और करप्ट मीडिया कहते हैं. जन सरोकार और सत्ता पर अंकुश के नाम संचालित होने वाली मीडिया असलियत में जन विरोधी और सत्ता के दलाल के रूप में पतित हो जाती है. यही कारण है कि रजत शर्मा हों या अरुण पुरी, अवीक सरकार हों या सुभाष चंद्रा, संजय गुप्ता हों या रमेश चंद्र अग्रवाल, टीओआई वाले जैन बंधु हों या एचटी वाली शोभना भरतिया, ये सब या इनके पिता-दादा देखते ही देखते खाकपति से खरबपति बन गए हैं, क्योंकि इन लोगों ने और इनके पुरखों ने मीडिया को मनी मेकिंग मीडियम में तब्दील कर दिया है. इन लोगों ने अंबानी और अडानी से डील कर लिया. इन लोगों ने सत्ता के सुप्रीम खलनायकों को बचाते हुए उन्हें संरक्षित करना शुरू कर दिया.
पति पीआर रमेश ने जो स्टोरी ओपेन में की, उसी को घुमा-फिरा कर पत्नी भारती जैन ने टीओआई में छाप दिया!
Abhishek Srivastava : सिर्फ हिंदी पत्रकारिता में सड़ांध की बात कर के अंग्रेज़ी मीडिया की ओर टिटिहरी की तरह देखने वालों के लिए एक ताज़ा उदाहरण। टाइम्स ऑफ इंडिया में 22 और 23 जनवरी को लीड और सेकंड लीड के तौर पर मुसलमानों की बढ़ती आबादी के संबंध में जनगणना के आंकड़े पर स्टोरी करने वाली रिपोर्टर का नाम है ‘भारती जैन’। लोकसभा चुनाव से पहले बिलकुल ऐसी ही एक रिपोर्ट 15 मार्च 2014 को ‘पी.आर.रमेश’ ने ‘ओपेन’ पत्रिका में की थी।
टाइम्स आफ इंडिया में खबर दब सकती है लेकिन फेसबुक पर नही : दीपक शर्मा
Deepak Sharma : टाइम्स ऑफ़ इंडिया देश का सबसे रसूखदार अख़बार है. इसके मालिक की हैसियत मोदी जैसी नही तो मोदी से कम भी नही. टाइम्स के देश में 7.20 करोड़ पाठक है. टाइम्स की एक प्रति का दिल्ली में मूल्य 4.50 रूपए है. एक पाठक के तौर पर आपकी हैसियत टाइम्स में वैसी ही है जो किसी दूकान से कोई सामान खरीदते वक़्त किसी की होती है. यानी आप एक ग्राहक है.
दृष्टिहीन युवा बेटे की मौत के बाद समीर जैन कुछ-कुछ आध्यात्मिक हो गए!
: लेकिन हरिद्वार छोड़ते ही वे एकदम हार्डकोर बिजनेसमैन बन जाते हैं : देश की सबसे ज्यादा कमाऊ मीडिया कंपनी है – बैनेट, कोलमैन एंड कंपनी। यह कंपनी टाइम्स ऑफ इंडिया, इकॉनोमिक्स टाइम्स, महाराष्ट्र टाइम्स, नवभारत टाइम्स, फेमिना, फिल्मफेयर जैसे अनेक प्रकाशनों के अलावा भी कई धंधों में है। टाइम्स ऑफ इंडिया जो काम करता है, उसी की नकल देश के दूसरे प्रमुख प्रकाशन समूह भी करते है। यह कंपनी अनेक भाषाओं के दैनिक अखबार छापना शुरू करती है, तो दूसरे अखबार मालिक भी नकल शुरू कर देते है। दैनिक भास्कर समूह, दैनिक जागरण समूह, अमर उजाला समूह, राजस्थान पत्रिका समूह जैसे ग्रुप ‘फॉलो द लीडर’ फॉर्मूले के तहत चलते है। टाइम्स ने मुंबई टाइम्स शुरू किया, भास्कर ने सिटी भास्कर चालू कर दिया।
तरुण तेजपाल को टीओआई ने अपने समारोह में वक्ता के रूप में बुलाया, विवाद के बाद कदम पीछे हटाया
तरुण तेजपाल को टीओआई (टाइम्स ऑफ़ इंडिया) द्वारा आयोजित एक साहित्यिक समारोह में निमंत्रण देने पर विवाद खड़ा हो गया है. कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि यौन शोषण के एक हाई प्रोफाइल अभियुक्त को इस तरह का प्लेटफार्म देना महिलाओं को ग़लत पैग़ाम देने जैसा होगा. लगभग एक साल पहले तेजपाल यौन शोषण के आरोप में गिरफ़्तार हुए थे और उन्हें इस साल जुलाई में ज़मानत मिली थी. हालाँकि उन्होंने लगातार ख़ुद पर लगों आरोपों को बेबुनियाद कहते हुए ख़ारिज किया है.
टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकारों का गणित ज्ञान कमजोर, मोदी के गुणगान में आंख मूंद छाप दे रहे हैं कुछ भी
Abhishek Srivastava : ये है टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर, जो वैसे तो कई अख़बारों में छपी है लेकिन जस यहां है तस कहीं नहीं है। खबर का शीर्षक देखें और पूरी खबर पढ़ें। इसके मुताबिक प्रधानजी बनारस में रोहनिया के जिस गांव को गोद लेने वाले हैं, उसने ‘450’ साल पहले औरंगज़ेब की फौज को हराकर भगा दिया था। औरंगज़ेब 1618 में पैदा हुआ था यानी आज से 396 साल पहले, लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया ने 450 साल पहले बनारस पर उसका हमला करवा दिया है।
दीपिका प्रकरण को लेकर टाइम्स आफ इंडिया के भीतर दो फाड़
दीपिका पादुकोण प्रकरण टाइम्स आफ इंडिया पर भारी पड़ता जा रहा है. टाइम्स आफ इंडिया के मुंबई वाले एडिशन ‘बांबे टाइम्स’ ने दीपिका के खिलाफ खुलकर युद्ध छेड़ दिया है. ‘बांबे टाइम्स’ बजाय अपनी गल्ती मानने के, दीपिका को ही हिप्पोक्रेट साबित करने में जुट गया है. टाइम्स आफ इंडिया के दिल्ली एडिशन के संपादकीय विभाग के लोगों ने बांबे टाइम्स की हरकत का विरोध किया है और एक इनटरनल मेल सभी को जारी किया है.
टीओआई को निपटाने के बाद दीपिका ने पूजा बेदी की बोलती बंद की
दीपिका पादुकोण एक न्यूज़ चैनल पर अपनी खबर देखने के बाद भड़क गईं और ट्विटर पर गुस्सा जाहिर किया. दीपिका ने टाइम्स आफ इंडिया को करारा जवाब देने के बाद पूजा बेदी को लताड़ लगाई है. पहले जानिए पूजा बेदी ने क्या कहा. पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री पूजा बेदी ने एक इंटरव्यू में कहा, “जब ऋतिक रोशन या शाहरुख खान की सिक्स-पैक एब्स की तस्वीरें मीडिया में आती हैं तो ये किसी को गलत नहीं लगता तो आखिर एक औरत के लिए इतना अंतर क्यों? … एक सेलेब्रिटी होने के कारण आपको कैमरा फेस करना ही पड़ता हैं और अगर मीडिया ने कुछ ऐसा नेटिस किया जो आप दिखा रहे हैं तो इसमें बुराई क्या है … जब कोई पब्लिक फिगर होता हैं तो इसकी नेलपेंट का रंग और फुटवियर तक पर मीडिया की नज़र होती है …. अगर औरत के रूप पर ध्यान देना और फोकस करना क्राइम है तो फिर बॉलीवुड के सभी आइटम नंबर पर बैन होनी चाहिए…“
शाबाश दीपिका! पलट कर मीडिया के मुंह पर जोरदार थप्पड़ मारने के लिए
Shakil Ahmed Khan : शाबाश दीपिका पादुकोण पलट कर मीडिया के मुंह पर ज़ोरदार थप्पड़ मारने के लिए…. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने आनलाइन न्यूज़ में दीपिका पर बहुत भद्दी टिप्पड़ी की जिसका दीपिका ने मुहतोड़ जवाब दिया… TOI ने बाद में वह स्टोरी हटा ली लेकिन गूगल सर्च में यह स्टोरी मौजूद है… TOI ENTERTENMENT का भद्दा स्लोगन “दीपिका का क्लीवेज शो”। और दीपिका का शानदार पलटवारSupposedly India’s ‘LEADING’ newspaper and this is ‘NEWS’!!??।और फिर उनका अगला जवाब YES!I am a Woman.I have breasts AND a cleavage! You got a problem!!?? और दीपिका ने आखिरी जवाब दिया वह काबिले-तारीफ़ था Dont talk about Woman’s Empowerment when YOU don’t know how to RESPECT Women!
शकील अहमद खान के फेसबुक वॉल से.
जब बेशर्म अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया को दीपिका पादुकोण ने ट्विटर पर सरेआम दौड़ा लिया…
कब बंद होगी मीडिया की बदतमीजी… एक अंग्रेज़ी अखबार के अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किए गए वीडियो और उसके साथ के ट्वीट पर दीपिका पादुकोण का जवाब जो आया, उस पर कई हस्तियों ने खुलकर दीपिका का साथ दिया है. अंग्रेज़ी अख़बार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर दीपिका पादुकोण का एक वीडियो पोस्ट किया और उसके नीचे लिखा, “ओह माय गॉड ! दीपिका पादुकोण क्लीवेज शो!” इस पर दीपिका पादुकोण ने इस अंग्रेज़ी अख़बार को ट्वीट कर जवाब दिया, “हां, मैं एक औरत हूं. मेरे पास स्तन हैं, क्लीवेज है. आपको कोई समस्या है इस बात से?”
हिंदी की औकात : टाइम्स आफ इंडिया और दैनिक जागरण के बीच के अंतर को जान लीजिए
Muni Shankar : मेरी हिन्दी सामान्य रुप से अच्छी है। अवधी और भोजपुरी भी ठीक-ठाक बोल लेता हूँ लेकिन ये रोजगार परक नहीं है। विश्व का सबसे ज्यादा बिकने वाला अखबार (संख्या की दृष्टि से) दैनिक जागरण है। लेकिन उसकी आय केवल दिल्ली एनसीआर में बिकने वाले टाइम्स आँफ इण्डिया के आय (लाभ) से कम है। इसी से दोनों अखबारों में कार्ररत पत्रकारों की हैसियत का अन्दाजा लगाया जा सकता है।
अब जम्मू से भी छपेगा टाइम्स ऑफ इंडिया
जम्मू्-कश्मीर में विधान सभा चुनावों से ठीक पहले दिग्गज अखबार समूह बेनेट एंड कोलमैन का अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया (Times of India) अब जम्मू से भी प्रकाशित होगा। उसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अखबार की छपाई जम्मू में ही दैनिक जागरण के प्रेस में होनी है। उसके लिए टाइम्स ऑफ इंडिया की टीम जागरण प्रेस का निरीक्षण भी कर आई है। जम्मू में इस बड़े अखबार समूह के दस्तक देने से जहां स्थानीय अखबारों को कड़ी व्यावसायिक चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, वहीं नया जॉब वर्क मिलने से जागरण समूह की आय के लिए एक और स्रोत खुलेगा, जिससे उसकी कमाई में इजाफा होगा।
हरवीर सिंह, नलिन मेहता और शशिकांत कोन्हेर के बारे में सूचनाएं
पत्रकार हरवीर सिंह के बारे में पता चला है कि वह भास्कर ग्रुप के हिस्से बन गए हैं. उन्हें मनी भास्कर डॉट कॉम में संपादक बनाया गया है. अभी तक मनी भास्कर के संपादक अंशुमान तिवारी हुआ करते थे जो इंडिया टुडे हिंदी में चले गए हैं. हरवीर कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं.