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सियासत

किसानों, जवानों, पहलवानों के बाद अब ड्राइवरों का नंबर है… हड़ताल से ट्रांसपोर्टेशन ठप हुआ तो मार्च तिमाही के आंकड़े हिल जाएंगे!

सुभाष सिंह सुमन-

नए साल में 500 किलोमीटर से ज्यादा ड्राइव कर चुका हूं. पहली तारीख से देश भर में ड्राइवर हड़ताल पर हैं. बीसियों जगहों पर इसे लेकर बात हुई. ड्राइवर समुदाय सच में आक्रोशित है. भारत में समस्या आती है कि पेशे के आधार पर सामूहिकता का अभाव है. पेशागत सामूहिकता इस तरह हो कि वो वोट बैंक की शक्ल ले ले, तब उन्हें गंभीरता से लिया जाता है. इस बार ड्राइवर अभी तक तो एकजुट और संकल्पित लग रहे हैं. आगे का राम जानें…

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देखें ये वीडियो-

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नए कानून के एक प्रावधान पर सबसे ज्यादा विरोध है. नई व्यवस्था में अगर दुर्घटना के बाद ड्राइवर भागता है तो उसके लिए 10 साल जेल और जुर्माने का प्रावधान है. नैतिकता कहती है कि दुर्घटना हो जाए तो वाकई में ड्राइवर को भागना नहीं चाहिए, बल्कि घायल व्यक्ति की मदद करनी चाहिए. व्यावहारिकता कहती है कि अगर ड्राइवर ऐसा करेगा तो दोष बाद में तय होगा, सजा पहले मिल जाएगी और ज्यादातर मामलों में सजा मौत की होगी. भीड़ की अदालत इसी तरीके से काम करती है. विरोध कर रहे लोगों का सबसे बड़ा मुद्दा यही है.

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नियम-कानून व्यवस्था को सरल बनाने के लिए बनाए जाते हैं. कानून बनाते समय नैतिक से ज्यादा व्यवहार पक्ष पर ध्यान रहना चाहिए. आपका देश है भारत और आप कानून बनाने लगेंगे फ्रांस का तो समीकरण असंतुलित होगा ही. ये वाला असंतुलन अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकता है. ट्रांसपोर्टेशन एक सप्ताह भी ठप हो गया तो मार्च तिमाही में जीडीपी के आंकड़े हिल जाएंगे.

दुर्घटनाओं को कम करने के लिए जो सबसे जरूरी काम है, वो है ड्राइव करने का लाइसेंस देने की व्यवस्था को टाइट करना. इसमें असंख्य लूपहोल हैं. लोगों को बेसिक कायदे नहीं मालूम हैं. हर जगह 10-12 साल के लड़के ई-रिक्शा चलाते दिख जाते हैं. व्हाइट लाइट रात में होने वाली दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है. काम इन पहलुओं पर होना चाहिए.

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अजीत भारती-

किसानों, जवानों, पहलवानों के बाद अब ड्राइवरों का नंबर है। आप अपने नंबर का इंतजार कीजिए। आप भी कतार में हैं।

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ड्राइवर साइट पर रुकेगा तो पब्लिक ही निपटा देगी उसे। ठेके के बाहर खड़ी गाड़ियों में खुल कर ड्रिंक & ड्राइव चलता है उन्हे कोई नही पकड़ता। जितने रास्ते में चालान करने वाले मिलते है उन में से कितने % ईमानदार मिलते है। सारी गलती बड़ी गाड़ियों की ही क्यों। बाइक रिक्शा ट्रैक्टर ऑटो सबसे ज्यादा गलत चलाते है। सड़को पर गड्ढों की वजह से कितने लोग मरते है। हर सड़क पर समुचित लाइट की व्यवस्था कहां है। टोल रोड पर 50 किलोमीटर तक पेट्रोल पंप तक नही दिखते। रॉन्ग साईड ट्रैफिक क्यों चलता है। कहीं रोड रिपेयर या ब्लॉक होने पर क्यों नहीं पहले रोड डायवर्सन का इंतजाम किया जाता। ट्रैफ़िक जाम में पुलिस कहाँ गायब हो जाती है। पिछले ही कानूनों को ढंग से लागू करें तो नए नए प्रावधानों की जरूरत ही नहीं।


विनोद सिरोही-

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सड़क दुर्घटना / हिट और रन मामले में फ़रार होने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। शरीफ़ लोग भी इसलिए नहीं रुकते हैं क्यूँकि आम पब्लिक उन पर टूट पड़ती है।

उस बेइज़्ज़ती, मार और जान के ख़तरे से बचने हाथ पैर टूटने से बचने को ऐसा किया जाता है।

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प्रावधान यह भी होना चाहिए कि दुर्घटना के बाद कोई किसी भी तरह का दुर्व्यवहार आक्रोश या मारपीट जैसा करे उसके विरुद्ध भी सख़्त कार्यवाही की जाएगी।

रुकने का माहौल बनाये बिना रुकने की अपेक्षा असंभव बात है ।
फिर पुलिस का व्यवहार। सब चीजों को एक सिरे से समझने की आवश्यकता है।

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1 Comment

1 Comment

  1. राज

    January 2, 2024 at 8:25 pm

    driver चाहते है किसी को कुचलकर मार डाले लेकिन सजा ना हो Sarkar ne क़ानून बना दिया कुचलकर मारे जाने पर दस साल की सज़ा होगी driver एक हो गये और और कुछ उसका साथ देने के लिए खड़े हो गये .

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