Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

कायर बाइडेन के बोल से अमेरिकी शेयर मार्केट मुस्कराया, पिछलग्गू भारत भी हराभरा!

शेयर बाज़ारों को युद्ध पसंद नहीं है। वे युद्ध का नाम सुनते ही थर थर कांपने लगते हैं। पिछले कई दिनों से दुनिया के बाज़ार ज़मीन चाटने को दौड़ रहे हैं।

कल युद्ध की शुरुआत पर भारतीय शेयर बाज़ार चार प्रतिशत गिर गया जिससे हाहाकर मच गया। जब भारत में रात बारह बजे और अमेरिका में दोपहर तो अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की प्रेस कांफ्रेंस शुरू हुई। तब तक अमेरिकी मार्केट नीचे गिरने की दौड़ लगा रहा था। सब देखना चाहते थे अमेरिका क्या स्टैंड लेगा यूक्रेन पर?

Advertisement. Scroll to continue reading.

अगर अमेरिका बहादुरी दिखाता और रूस की सबक़ सिखाने हेतु नाटो की सेना भेजने का एलान करता तो मार्केट बुरी तरह गिरता और कई दिन गिरता। लेकिन बुजुर्ग बाइडन ने समझदारी का परिचय दिया। या यूँ कहिए कि कायर निकले और संकट में यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया।

बाइडन ने हमला न करने का एलान किया। रूस से न लड़ने की घोषणा की। नाटो सैनिक न भेजने का फ़रमान सुनाया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाइडन की इस घोषणा का अमेरिकी शेयर मार्केट पर फ़ौरन असर हुआ। बाज़ार की गिरती सुई थम गई और वापसी की राह पकड़ ली। बाज़ार बंद होते होते डाउ ज़ोंस अच्छी ख़ासी हरियाली समेट कर मुस्कुरा रहा था।

अमेरिकी पिछलग्गू भारत में भी आज बाज़ार में बहार रहने की उम्मीद है और कल जो गिरावट हुई थी उसके रिकवर करने की उम्मीद है।

पत्रकार शशि सिंह लिखते हैं-

Advertisement. Scroll to continue reading.

जो कल दलाल स्ट्रीट पर फैली लाली को तबाही का मंजर बता रहे थे आज वहॉं उगी हरियाली को शांति का संदेश क्यूँ नहीं कह रहे? ये शेयर बाज़ार जो होता है न यह राजनीति से भी क्रूर व्यवस्था का नाम है, जहॉं बात-बात बकरे काटे जाते हैं। कल रूस-यूक्रेन का नाम पर जो बकरे कटे थे आज उनकी गोश्त कसाइयों में बंट रही है। बस यही है उन गलियों में लाल और हरे का सच। जाओ सब चादर तानकर सो जाओ। रूस-यूक्रेन में जो हो रहा है वह स्क्रिप्टेड ड्रामा है। इसकी राइटिंग टीम में अमेरिका, चीन, रूस और भारत सब शामिल हैं। हैरान मत होना यदि चीन ताइवान पर और भारत बलूचिस्तान एवं आज़ाद कश्मीर के लिए पाकिस्तान पर हमला बोल दे। ये नया वर्ल्ड ऑर्डर बन रहा है दोस्त। इस व्यवस्था में वो सब हो सकता है जो हमने और आपने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। ये सफ़र कोरोना से शुरू हुआ है। अभी इसके कई रंग हमें देखने को मिलेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार विमल कुमार लिखते हैं-

Advertisement. Scroll to continue reading.

अमरीकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कल रात कह दिया वे अपनी सेना यूक्रेन को नहीं भेजेंगे।इससे विश्वयुद्ध तो टल गया अब यह केवल रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई है जिसमे रूस की जीत होगी।क्या अमरीका ने यूक्रेन को धोखा दिया या उसकी मजबूरी थी कि रूस के खिलाफ सेना न भेजने का फैसला उसे करना पड़ा।मुझे लगता है अफगानिस्तान से जिस तरह अमरीकी सेनाएं वापस लौटी हैं उसे देखते हुए अब अमरीका दोबारा सेना नहीं भेजना चाहता हो।संभव है उसकी सेना में बगावत न हो जाये या वहां की जनता उसके खिलाफ न हो जाये।बहरहाल अमरीका का यह फैसला सही है कि वह सेना नहीं भेजेगा लेकिन यूक्रेन के साथ उसे धोखा नहीं देना चाहिए था। नाटो देशों के बहकावे में यूक्रेन उछल रहा था।दरअसल यह वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा है।इस युद्ध से यह एक बार फिर सिद्ध हुआ संयुक्त राष्ट्र केवल दिखावे की संस्था है और हर राष्ट्र को अपनी रक्षा खुद करनी है।कोई किसी की मदद नहीं करनेवाला है लेकिन कोरोना काल में यह युद्ध इस बात का सबूत है कि शासकों को मनुष्य की तकलीफों से कोई मतलब नहीं है, केवल उसे अपनी सत्ता से मतलब है।अपने देश मे भी हमने देखा शासकों के लिए चुनाव ही अधिक महत्वपूर्ण है। पूरी दुनिया में इंसानियत मानवीय संवेदना खतरे में है,क्रूरता और पाशविकता बढ़ी है।यह कैसा विकास और आर्थिक प्रगति है जिसमें मनुष्य के दुख दर्द को कोई सुननेवाला नहीं है।यूक्रेन में बच्चे फंसे है।माँ बाप रो रहे हैं।टीवी पर उनको रोते देख द्रवित हो गया।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास तक खबर सूचनाएं जानकारियां मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement