सुजीत सिंह प्रिंस-
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कई मोर्चों पर अकेले एक साथ लड़ने वाले गोरखपुर के खोजी पत्रकार सत्येन्द्र ने बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता को भी उनके अंजाम तक पहुंचा दिया है । बिजली विभाग के भ्रष्टाचार के खिलाफ लगभग ढाई महीने तक बगैर बिजली पानी के रहते हुए उत्तर प्रदेश के महाभ्रष्ट बिजली विभाग को सबक सिखाने वाले सत्येन्द्र के बारे में भड़ास ने पहले ही बता दिया था कि इस बार बिजली विभाग ने गलत जगह पंगा ले लिया है।
तमाम कसरतों के बाद अधिशासी अभियंता के भ्रष्टाचार की जाँच खुलने तथा उनका तबादला होने के बाद अधिशासी साहब ने खुन्नस में आकर हाइकोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए अपना पदभार छोड़ने से कुछ घंटों पूर्व एक नया तुगलकी फरमान जारी कर दिया था कि 21 दिनों बाद सत्येन्द्र के घर की बिजली फिर काट दी जाए।
साहब की इस धृष्टता से बिजली विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सभी तब हैरान हो गए जब उनके हाथ ये आदेश आया । ये आदेश थमाकर अधिशासी साहब गोरखपुर से कुंडा रवाना हो गए। जब तक कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही यह मामला इलाहाबाद हाइकोर्ट के डबल बेंच के सामने पहुँच चुका था । बिजली विभाग की धृष्टता देख न्यायपीठ के देवताओं की भी भृकुटियां तन गयी ।
कहते हैं कि गेहूं के साथ घुन भी पिस जाता है । यहाँ भी ठीक वैसा ही हुआ और न्यायपीठ के देवताओं ने अधिशासी साहब के तुगलकी फरमान पर रोक लगाते हुए उनके साथ बिजली विभाग के एम डी को भी अपने सामने आगामी 2 अप्रैल को तलब कर लिया । साथ ही अपने आदेश से बिजली विभाग को अवगत कराने के लिए स्टेट कॉउन्सिल को भी स्पष्ट तौर पर आगाह कर दिया है ।
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