उत्तर प्रदेश सरकार अब तक उसके द्वारा गठित जांच आयोगों के सम्बन्ध में सूचना देने से लगातार इनकार कर रही है. आरटीआई कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने उत्तर प्रदेश के गृह विभाग से स्वतंत्रता के बाद अब तक प्रदेश सरकार द्वारा कमीशन ऑफ़ इन्क्वायरी एक्ट 1952 की धारा तीन में गठित जांच आयोग, उनके अध्यक्ष और सदस्य, गठन की तिथि, कार्यकाल बढ़ाए जाने और उनके द्वारा प्रेषित अंतरिम या अंतिम जांच रिपोर्ट के बारे में सूचना मांगी थी.
पहले गृह विभाग, पुलिस अनुभाग-15 के जन सूचना अधिकारी ने अपने पत्र दिनांक 12 जून 2014 द्वारा साफ़ तौर पर यह कहते हुए सूचना देने से मना कर दिया था कि यह सूचना अत्यंत विस्तृत है. इस पर डॉ. ठाकुर ने आपत्ति दी कि कोई सूचना विस्तृत होने के आधार पर मना नहीं की जा सकती. इस पर अब डॉ सरोज कुमार, विशेष सचिव और प्रथम अपीलीय अधिकारी ने अपने पत्र दिनांक 04 जुलाई द्वारा यह कह कर सूचना देने से मना किया है कि आरटीआई एक्ट में प्रश्न नहीं पूछा जा सकता है और इस एक्ट की धारा 2(च) में व्याख्या की व्यवस्था नहीं है.
डॉ ठाकुर इन विरोधाभाषी उत्तरों के खिलाफ अब राज्य सूचना आयोग जायेंगी. उनका कहना है कि शासन ने सूचना दिए जाने से मना करके जांच आयोग के बारे में आम धारणा को बल पहुंचाया है.
जन सूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारी द्वारा दिए गए उत्तर