Prashant Mishra : पिछले कुछ अंकों में ‘इण्डिया टुडे’ पत्रिका ने उ.प्र. सरकार की अच्छी खिंचाई कर रखी थी. पिछले महीने “यूपी लोक सेवा आयोग में यादव राज” करके एक अच्छी और जरूरी रिपोर्ट (पीयूष बवेले की) लगाई जिसपर “आज तक” में पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी एक स्टोरी की.
इसके कारण कई मुद्दों पर पहले से फंसी सरकार की और ज्यादा किरकिरी हुई. उसके अगले अंक में यूपी सरकार ने इंडिया टुडे को दो-दो पेज के दो विज्ञापन दे दिया. स्वतन्त्रता दिवस विशेषांक में सात पेज का दिया. बाप-बेटा जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं साधने की.. लेकिन ये मीडिया है कि मानता ही नहीं..
पत्रकारिता छात्र प्रशांत मिश्रा के फेसबुक वॉल से.
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