बंटवारे की ओर बढ़ती सपा में बगावत

संजय सक्सेना, लखनऊ

उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के तेवर हल्के होने का नाम नहीं ले रहे हैं। बाप-चचा की तमाम ‘घुड़कियों’ और ‘अपनों’ के खिलाफ कार्रवाई से तिलमिलाए अखिलेश ‘जख्मी शेर’ बनते जा रहे हैं। विकास और स्वच्छता की राजनीति के कायल अखिलेश से जब उनके बुजुर्गो ने यही दोंनो ‘हथियार’ उनसे छीन लिये तो अखिलेश के पास कहने-सुनने को कुछ नहीं बचा। दागी अमनमणि को टिकट दिये जाने पर तो उन्होंने यहां कह दिया,‘मैंने सारे अधिकरी छोड़ दिये हैं।’

उ.प्र. सपा के किले में दरार : टीपू से टीपू सुल्तान बनने के अखिलेश के मंसूबों पर फिर गया पानी

अलग-अलग चाहर दिवारियों से समय-समय पर झर-झर के बाहर आये बयान जिन्हें पाठकों की सुविधा के लिए, सिलसिलेवार नीचे परोसा गया हैं, तो यही संकेत दे रहे हैं कि “टीपू“ से “टीपू सुलतान“ बनने के अखिलेश (घर परिवार में टीपू) के मंसूबों पर पूरी तरह पानी फिर गया है।

बुजुर्ग ब्राह्मण साहित्यकार का युवा यादव मुख्यमंत्री का पैर छूना दरअसल सामाजिक बदलाव की एक तस्वीर है!

Mohammad Anas : मुझे इस तस्वीर में कोई बुराई नहीं नज़र आती. यह सामाजिक बदलाव वाली तस्वीर है. जिसमे एक ब्राहमण साहित्यकार एक पिछड़ी जाति यादव मुख्यमंत्री से पुरूस्कार लेने के बाद चरण स्पर्श कर रहा है.  इस तस्वीर में मुझे कुछ भी बुरा नहीं लग रहा, लेकिन जिन्हें बुरा लग रहा है उन्होंने ऐसे न जाने कितने यादव बुजुर्गों को गाँव गिरांव में पैरों में झुकाते रहते हैं. अखिलेश यादव ने तो इस चाटुकार ब्राह्मण को उठाना भी चाहा, लेकिन यूनिवर्सिटी के दिनों से ही ताकतवर के सामने झुकने और निर्बल को सताने वाली मानसिकता तब तक पूरा पूरा लेट चुकी थी.

यूपी में जंगलराज : फिर निर्भया कांड, जननांग पर घाव, जलाने के निशान, बोरे में शव, फिर केस दब जाएगा!

Kumar Sauvir : बीती शाम लखनऊ की एक बेटी फिर कुछ हैवानों की शिकार बन गयी। अलीगंज के बीचोंबीच सेंट्रल स्‍कूल के पीछे बोरे में दो दिन पुरानी उसकी लाश जब बरामद हुई तो लोग गश खाकर गिर पड़े। उम्र रही होगी करीब 25 साल, कपड़े बुरी तरह फटे हुए। हाथ और पैर तार से बंधे थे। इस बच्‍ची को जलाया गया था। इतना ही नही, इसके जननांग पर दरिन्‍दों ने बहुत बड़ा घाव बना दिया था। एक मनोविज्ञानी से बातचीत हुई तो उन्‍होंने बताया कि ऐसी दरिन्‍दगी नव-धनाढ्य और इसके बल पर पाशविक ताकत हासिल किये लोगों की ही करतूत होती है। सत्‍ता का नशा भी सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण कारक तत्‍व बनता है। तो फिर कौन हैं वह लोग ? शायद एडीजी पुलिस (महिला सुरक्षा) सुतापा सान्‍याल को पूरी छानबीन के बाद इस बारे में पता चल जाए। इसके एक दिन पहले भी तेलीबाग में भी इसी तरह की एक लाश बरामद हुई थी। क्‍या वाकई लखनऊ की आबोहवा बेटियों के खिलाफ हो चुकी है? अगर ऐसा है तो हम सब के लिए यह शर्म, भय, निराश्रय, असंतोष के साथ ही साथ चुल्‍लू भर पानी में डूब जाने की बात है। बेशर्म हम।

यूपी सीएम अखिलेश ने महज मौजमस्ती के लिए सरकारी पैसे पर विदेश टूर किया!

सरकारी खर्चों पर किए गये विदेश दौरों के बाद उन दौरों के दौरान सीखी गयी बातों को लेकर रिपोर्ट तैयार करना और उस पर अमल करना एक सामान्य प्रक्रिया है परंतु यूपी सीएम के सरकारी विदेश दौरे इस सामान्य प्रक्रिया से छूट प्राप्त श्रेणी में आते हैं. यह खुलासा लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई से हुआ है। दरअसल, संजय की आरटीआई के जवाब में उत्तर प्रदेश के गोपन विभाग के विशेष सचिव एवं जन सूचना अधिकारी कृष्ण गोपाल ओर से जो उत्तर मिला है, उसने अखिलेश के विदेश दौरों की पोल खोल दी है.

‘पीके’ डाउनलोड कर देखने पर सीएम अखिलेश यादव के कार्यालय ने दी सफाई

लखनऊ : आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ को कम्प्यूटर पर ‘डाउनलोड’ करके देखे जाने को लेकर उठे विवाद के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने आज इस पर सफाई देते हुए अपने कदम को जायज ठहराया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले में ट्विटर पर आधिकारिक बयान पोस्ट किया है, जिसमें कहा गया है कि अखिलेश ने फिल्में डाउनलोड करके देखने की सेवा देने वाले ‘क्लब एक्स मीडिया सर्वर’ की सदस्यता ले रखी है और उन्होंने लाइसेंस लेकर इस सेवा का उपयोग कर ‘पीके’ फिल्म देखी है। ऐसे में उन पर फिल्म के ‘पाइरेटेड’ स्वरूप को देखने के लगाये जा रहे इल्जाम निराधार हैं।

अखिलेश यादव हैकर! : ‘पीके’ फिल्म डाउनलोड कर देखने पर थाने में दी गई तहरीर

यूपी के सीएम अखिलेश यादव ही जब खुद कानून तोड़ने लगे तो प्रदेश में भला कानून का राज कैसे कायम हो सकता है. यही कारण है कि यूपी में जंलराज की स्थितियां सदा बनी रहती हैं. गरीब-गुरबों का बुरा हाल रहता है. ताजी सूचना अखिलेश यादव से जुड़ी है. उन्होंने फिल्म पीके सिनेमा हॉल में जाकर देखने की बजाय इसे अवैध तरीके से इंटरनेट से डाउनलोड कर देखा. फिल्म ‘पीके’ को इंटरनेट से डाउनलोड करके देखने का मामला ‘पायरेसी’ का होता है. इसको लेकर लखनऊ के सोशल और आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने विभिन्न जगहों पर शिकायत की है और अखिलेश यादव के खिलाफ एफआईआर लिखाने के लिए लखनऊ के थाना हजरतगंज में तहरीर दी है.

यूपी में जंगलराज : मंत्री के बेटे ने कब्जायी तहसील की सरकारी जमीन, वकील गुस्से में

वीवीआईपी कहे जाने वाले अमेठी जिले में तहसील की सरकारी जमीन पर कब्ज़ा किये जाने का एक मामला प्रकाश में आया है. कब्ज़ा कोई और नहीं कर रहा बल्कि सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के बेटे द्वारा किया जा रहा है. एक ओर जहाँ सूबे की सपा सरकार सूबे में नई नई योजनाये लाकर उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की कोशिश में जुटी है वहीं मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले एक कैबिनेट मंत्री ही खुद सरकार की इज्जत में बट्टा लगा रहे हैं. कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के बेटे पर बैनामे के कागजात में हेराफेरी करने व स्टाम्प चोरी करने के साथ ही तहसील की खाली पड़ी जमीन पर जबरन कब्ज़ा कर निर्माण करने का आरोप है.

यूपी में जंगलराज, यूपी में ‘चोरों’ की सरकार : अब आईपीएस भी सुरक्षित नहीं, अमिताभ ठाकुर के घर भीषण चोरी

उत्तर प्रदेश में जंगलराज का आलम ये हो गया है कि अब जनता तो जनता, अफसर तक सुरक्षित नहीं हैं. वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर आज सुबह जब गाजियाबाद से लखनऊ लौटे तो पता चला कि उनके घर में भीषण चोरी हो चुकी है. गोमती नगर स्थित उनके घर में चोरी की ये घटना कोई सामान्य नहीं है. जहां पर अमिताभ ठाकुर का घर है, वहां ढेर सारे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का घर है. मतलब वीआईपी इलाका है. इस इलाके में घुसने और चोरी करने की हिम्मत कोई सामान्य चोर कर ही नहीं सकता.

IPS officer Amitabh Thakur

यूपी में जंगलराज : मंत्री के रिश्तेदार की खबर छापने पर पत्रकार की पिटाई, एफआईआर लिखने से इंकार

तहसील सिकन्दरपुर, बलिया के पत्रकार संजीव कुमार सिंह को कबीना मंत्री रामगोविन्द चैधरी के चचेरे भाई रामबचन यादव और उसके ड्राईबर धर्मेन्द्र के बारे में खबर छापने की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. संजीव ने दुर्गा पुजा के दिन धर्मेन्द्र द्वारा सिकंदरपुर कस्बे में कथित छेड़छाड़ करने पर लोगों द्वारा की गयी पिटाई के बाद पुलिस द्वारा एकतरफा कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में खबर लिखी थी. इस पर 08 अक्टूबर को रात करीब 07.30 बजे धर्मेन्द्र, छोटक सिंह तथा अन्य लोगों ने समाचार छपने के लिए संजीव को भला-बुरा कहा और लात-घूंसे से मारा.

आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने यूपी पुलिस के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे नफीस खान को सलाम कहा

Amitabh Thakur : नफीस खान को सलाम!.. यह पत्र मैंने अमेठी निवासी नफीस खान की सूचना के आधार पर आईजी ज़ोन लखनऊ को लिखा है. आपकी दृष्टि चाहूँगा, यह एक गंभीर प्रकरण है. इस देश को हज़ारों नफीस खान की जरूरत है…

यूपी में सपा राज उर्फ जंगल राज : जान बचाना मुश्किल हो रहा इस तालाब के सिपाही को.. पढ़िए पूरी दास्तान…

उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार के राज में एक सूचनाधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता अनूप कौशिक के साथ हो रहे अत्याचार की इस लड़ाई को देखें. यह अधिवक्ता सिर्फ इसलिए आज अपनी जिंदगी को बचाए हर सरकारी दफ्तर, आला पुलिस अधिकारियों और राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास की खाक छान रहा है ताकि जनपद अलीगढ़ का एक तालाब बचा सके. इसके इलाके के एक दबंग नेता ने 300 करोड़ की तालाब की भूमि बेचने का कारनामा सरकारी तंत्र की पनाह में किया है. बदले में इस सूचनाधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता अनूप कौशिक को मिली है एक गोली, जानलेवा हमले और कई फर्जी मुकदमे.

एडवोकेट अनूप कौशिक

मुख्यमंत्री अखिलेश उवाच- नकल करके सिर्फ बन सकते हैं पत्रकार

बीते हफ्ते शुक्रवार के दिन यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्रकारों पर की गई एक टिप्पणी यूपी के मीडियावालों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. कार्यक्रम अमर उजाला की तरफ से आयोजित था. इसमें प्रदेश के मेधावी छात्रों को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में लैपटॉप दिया. अमर उजाला के इसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पत्रकारों को एक टिप्पणी करके भरपूर बेइज्जत किया. लैपटॉप वितरण के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंच से बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों, पढ़ने-लिखने में मन लगाना क्योंकि नकल करके आईएएस तो नहीं बन सकते, हां पत्रकार बन सकते हो.

विज्ञापन देकर यूपी सरकार की किरकिरी रोकने में जुटे मुलायम और अखिलेश

Prashant Mishra : पिछले कुछ अंकों में ‘इण्डिया टुडे’ पत्रिका ने उ.प्र. सरकार की अच्छी खिंचाई कर रखी थी. पिछले महीने “यूपी लोक सेवा आयोग में यादव राज” करके एक अच्छी और जरूरी रिपोर्ट (पीयूष बवेले की) लगाई जिसपर “आज तक” में पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी एक स्टोरी की.

यूपी में जितने सत्ता केंद्र उतने ही अफसरों के गुट, जनता बेचारी रोये फूट-फूट

: यूपी में नाजुक होते नेताओं-नौकरशाहों के रिश्ते से विकास कार्यों और कानून व्यवस्था पर बुरा प्रभाव :  उत्तर प्रदेश की नौकरशाहों और राजनेताओं के रिश्ते भी निराले हैं। वर्षों से दोनों के बीच आंख-मिचौली का खेल चल रहा है। कब कौन कहां किसको पटकनी दे दे, कोई नहीं जानता। वैसे तो यह टकराव कोई खास मायने नहीं रखता है, लेकिन जब इसका असर समाज के किसी हिस्से पर पड़े तो इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। सच्चाई तो यही है कि अब देश, समाज और संविधान के तहत काम करने की कसम खाने वाले नौकरशाह और राजनेता जनता के हितों के बारे में रत्ती भर भी नहीं सोचते हैं। अगर ऐसा न होता तो उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा सरकार की तरफ से छह वर्षों में अपने अफसरों को 13 पत्र लिखे जाने के बाद भी हालत जस के तस नहीं रहते।